Tuesday, November 4, 2025
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US Indian Subramaniam Vedam Murder Case | Deportation | बेगुनाह भारतीय 43 साल अमेरिकी जेल में रहा: बरी होते ही देश छोड़ने का फरमान था; अब अदालतों ने रोक लगाई


वॉशिंगटन डीसी12 मिनट पहले

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अमेरिका में 43 साल तक गलत आरोप में जेल में रहे भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को फिलहाल राहत मिली है। दो अलग-अलग अदालतों ने फिलहाल उनके डिपोर्टेशन यानी भारत भेजने पर रोक लगा दी है।

सबसे पहले एक इमिग्रेशन जज ने सोमवार को उनकी डिपोर्टेशन पर स्टे (स्थगन) दिया है, जब तक कि बोर्ड ऑफ इमिग्रेशन अपील (BIA) यह तय न कर ले कि क्या उनका मामला दोबारा सुना जाए या नहीं। दूसरी तरफ यू॰एस॰ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पेनसिल्वेनिया में ने भी उसी दिन उनके डिपोर्टेशन प्रक्रिया को हटाने का आदेश दिया।

रिहाई के बाद फिर हिरासत में लिए गए थे

NBC न्यूज के मुताबिक अब मामला इमिग्रेशन अपील बोर्ड में जाएगा, जिसका फैसला आने में कुछ महीने लग सकते हैं। 64 साल के वेदम को इसी साल 3 अक्टूबर को रिहा किया गया था। वे अमेरिकी राज्य पेंसिलवेनिया के स्थायी निवासी हैं। 1980 में उनपर अपने क्लासमेट की हत्या का आरोप लगा था।

हालांकि, वेदम ने हमेशा अपनी बेगुनाही का दावा किया, फिर भी उन्हें 1983 और 1988 में दो बार दोषी ठहराया गया और बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। रिहाई के बाद जेल से निकलते ही इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें फिर हिरासत में ले लिया था। वेदम अभी लुइजियाना के एक डिपोर्टेशन सेंटर में बंद हैं।

वेदम को जेल से रिहा होने के बाद हिरासत में लेते अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के अधिकारी।

वेदम को जेल से रिहा होने के बाद हिरासत में लेते अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के अधिकारी।

मृतक के साथ आखिरी बार देखे गए थे वेदम

सुब्रमण्यम वेदम और थॉमस किंसर दोनों 1980 में पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र थे। दोनों की उम्र लगभग 19 साल थी और वे एक-दूसरे को जानते थे।

रिपोर्ट के मुताबिक वेदम ने थॉमस किंसर से कहा कि उसे ड्रग्स खरीदने के लिए कही जाना है। उन्होंने किंसर से लिफ्ट मांगी। इसके बाद दोनों साथ निकले। किंसर को आखिरी बार जिंदा उसी समय देखा गया था

कुछ दिनों बाद, किंसर की वैन उसके अपार्टमेंट के बाहर खड़ी मिली, लेकिन वह खुद गायब था। 9 महीने बाद, कुछ पैदल यात्रियों को एक जंगली इलाके में एक शव मिला, जो बाद में थॉमस किंसर का निकला।

उसे गोली मारी गई थी। चूंकि किंसर को आखिरी बार वेदम के साथ देखा गया था और पुलिस के मुताबिक वेदम हत्या के बाद कुछ संदिग्ध व्यवहार करते नजर आए थे, इसलिए सीधे वेदम को संदिग्ध बना दिया।

लेकिन इस मामले में कोई गवाह नहीं था। कोई सीधा सबूत नहीं था। इसके बावजूद, वेदम पर हत्या का आरोप लगाया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया।

सुब्रमण्यम वेदम की 23 फरवरी, 1988 की एक तस्वीर। वे वकीलों के साथ अदालत जा रहे हैं।

सुब्रमण्यम वेदम की 23 फरवरी, 1988 की एक तस्वीर। वे वकीलों के साथ अदालत जा रहे हैं।

हत्या का आरोप झूठा साबित हुआ

किंसर की हत्या के मामले में इस साल अगस्त में नया सबूत सामने आया। जांच से यह पता चला कि हत्या में चली गोली उस बंदूक से नहीं चली थी, जो वेदम से जुड़ी बताई गई थी। यानी यह साबित हुआ कि वेदम पर लगाया गया आरोप गलत था, क्योंकि गोली और हथियार का मेल नहीं बैठता।

दरअसल, हत्या का आरोप लगाने वाले पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वेदम ने .25 कैलिबर की बंदूक खरीदकर हत्या की।

ट्रायल के दौरान, एक स्थानीय किशोर ने गवाही दी थी कि उसने वेदम को एक पुरानी .25 कैलिबर की हैंडगन बेची थी। इस गवाही का उपयोग वेदम को दोषी ठहराने में किया गया था।

लेकिन FBI की रिपोर्ट में साफ दर्ज था कि गोली का घाव .25 कैलिबर बंदूक से मेल नहीं खाता। किंसर के शरीर पर गोली से हुआ घाव बहुत छोटा था, जो किसी और बदूंक से गोली से बना था। यह रिपोर्ट 2023 में वेदम के नए वकील बालचंद्रन को मिली।

बाद में पता चला कि प्रॉसीक्यूशन (सरकारी वकील) ने यह सबूत पहले से छिपा रखा था यानी उन्होंने जानबूझकर अदालत को नहीं बताया। इसके बाद अदालत ने उनकी सजा रद्द कर दी और रिहाई का आदेश दिया।नया सूबत पेश होने के बाद अदालत ने कहा था कि अगर यह जानकारी पहले दी जाती, तो वेदम को कभी दोषी नहीं ठहराया जाता।

पिछले 43 साल साल से वेदम की बहन सरस्वती वेदम उन्हें बेगुनाह साबित करने के लिए लड़ाई लड़ रही थीं।

पिछले 43 साल साल से वेदम की बहन सरस्वती वेदम उन्हें बेगुनाह साबित करने के लिए लड़ाई लड़ रही थीं।

9 महीने की उम्र में अमेरिका गए थे वेदम

सुब्रमण्यम वेदम नौ महीने की उम्र में अपने माता-पिता के साथ कानूनी रूप से अमेरिका आए थे। उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और पूरा परिवार स्टेट कॉलेज में रहता था।

वेदम अमेरिका के ‘लीगल परमनेंट रेजिडेंट’ हैं। वकीलों के मुताबिक, उनकी नागरिकता की अर्जी मंजूर हो चुकी थी, लेकिन 1982 में उन पर हत्या का झूठा आरोप लग गया और गिरफ्तारी हो गई।

वेदम की बहन सरस्वती वेदम ने कहा,

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हम खुश हैं कि दो अदालतों ने माना कि उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि अदालतें यह भी समझेंगी कि उन्हें भारत भेजना एक और बड़ा अन्याय होगा।

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उन्होंने कहा, “वह 43 साल तक उस अपराध के लिए जेल में रहे जो उन्होंने किया ही नहीं और उन्होंने पूरी जिंदगी अमेरिका में बिताई है। अब उन्हें डिपोर्ट करना गलत होगा।”

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