Saturday, November 15, 2025
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Trump lifts tariffs on beef, coffee, and fruit | ट्रम्प दो राज्यों में हार के बाद टैरिफ पर पलटे: बीफ-कॉफी से टैरिफ हटाया; अमेरिकियों का सलाना खर्च ₹8 लाख तक बढ़ने के बाद फैसला


वॉशिंगटन डीसी5 घंटे पहले

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प वर्जीनिया और न्यू जर्सी में हुए चुनावों में हारने के बाद टैरिफ से पीछे हट रहे हैं। ट्रम्प ने शुक्रवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इसमें बीफ, कॉफी और फलों सहित दर्जनों एग्रीकल्चर प्रोडक्ट पर लगे टैरिफ हटा दिए गए हैं। इसके पीछे मंहगाई बड़ी वजह है।

ट्रम्प प्रशासन के अनुसार यह कदम उत्पादों की कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाया गया है। इन पर लगाए गए टैरिफ का बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर पड़ रहा था। बीफ, कॉफी, चाय, फलों का जूस, कोको, मसाले, केले, संतरे, टमाटर और कुछ खाद उत्पादों को टैरिफ फ्री कैटेगरी में शामिल किया गया है।

द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य पदार्थों की कीमतें अप्रैल से सितंबर 2025 तक 2.7% बढ़ीं, जिसमें बीफ 7% और केले 7% महंगे हुए हैं। अमेरिकियों का कहना है कि उनकी मासिक लागत में एवरेज 9 हजार रुपए से 66 हजार रुपए तक बढ़ोतरी हुई है।

कुल मिलाकर, टैरिफ ने अमेरिकी परिवार के सलाना खर्च को एवरेज 2 से 8 लाख रुपए तक बढ़ा दिया है।

कृषि उत्पादों से जुड़े इम्पोर्ट बढ़ाने के लिए फैसला

पिछले महीनों में बीफ सहित कई खाद्य उत्पादों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। अप्रैल में ट्रम्प ने कई देशों पर टैरिफ लगाए थे।

उनके प्रशासन का दावा था कि इनसे उपभोक्ता कीमतें नहीं बढ़तीं। लेकिन नतीजा इसके उलट आया। ब्राजील जैसे बड़े बीफ निर्यातक देश पर टैरिफ को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

यह फैसला इक्वाडोर, ग्वाटेमाला, एल साल्वाडोर और अर्जेंटीना के साथ हुए समझौतों के तुरंत बाद आया। इनसे इन देशों से कृषि उत्पादों पर आयात टैक्स कम होगा। इस हफ्ते ट्रम्प ने कॉफी पर टैरिफ कम करने का संकेत दिया था, जिससे इम्पोर्ट आगे बढ़ सके।

मेक्सिको अमेरिका का सबसे बड़ा कृषि साझेदार

2025 में अमेरिका का सबसे बड़ा कृषि व्यापारिक साझेदार मेक्सिको है, जो एक्सपोर्ट और आयात दोनों के मामले में टॉप पर है।

यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अमेरिका ने मेक्सिको को रिकॉर्ड 30.3 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद एक्सपोर्ट किए, जो 2023 से 7% ज्यादा था।

कुल व्यापार मूल्य के लिहाज से, 2020-24 के एवरेज में मेक्सिको ने अमेरिका को 41.6 अरब डॉलर के इम्पोर्ट किए, जो सभी कृषि आयातों का लगभग 25% है, जबकि कनाडा दूसरे स्थान पर 35 अरब डॉलर के साथ है।

मुख्य एक्सपोर्ट में मक्का (5.51 अरब डॉलर), सूअर का मांस, डेयरी उत्पाद, सोयाबीन और मुर्गी मांस शामिल हैं, जबकि इम्पोर्ट में टमाटर, एवोकाडो, बेरीज और सब्जियां प्रमुख हैं।

USMCA (United States-Mexico-Canada Agreement) समझौते के कारण मेक्सिको के ज्यादातर उत्पादों पर टैरिफ शून्य हैं, जिससे यह व्यापार आसान और तेजी से बढ़ा है। पिछले चार वर्षों में निर्यात 65% ऊपर हो गया।

ट्रम्प ने 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाया था

ट्रम्प ने 5 मार्च को अमेरिकी संसद के जॉइंट सेशन में दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि हमारी इकोनॉमी लगातार घाटे में जा रही है। इस नुकसान से बचने के लिए हम उन सभी देशों पर टैरिफ लगाएंगे, जो हमारे सामानों पर टैरिफ लगाते हैं।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने करीब एक महीने बाद 2 अप्रैल को भारत समेत 69 देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह 9 अप्रैल से लागू होने वाला था, लेकिन ट्रम्प ने तब इसे टाल दिया। बाद में 31 जुलाई को ट्रम्प ने 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाया, जो अगस्त में पूरी तरह लागू हो गया।

भारत मांसाहारी गाय का दूध लेने को तैयार नहीं

भारत और अमेरिका के बीच डेयरी प्रोडक्ट्स को लेकर विवाद है। अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, घी को भारत में आयात की अनुमति मिले। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं।

भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं।

अमेरिका में गायों को बेहतर पोषण के लिए जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) को उनके खाने में मिलाया जाता है। भारत ऐसी गायों के दूध को ‘नॉन वेज मिल्क’ यानी मांसाहारी दूध मानता है।

भारत की शर्त है कि कोई भी डेयरी उत्पाद तभी भारत में बिक सकता है जब वह यह साबित करे कि वह पूरी तरह शाकाहारी तरीके से बना हो।

भारत की शर्त है कि कोई भी डेयरी उत्पाद तभी भारत में बिक सकता है जब वह यह साबित करे कि वह पूरी तरह शाकाहारी तरीके से बना हो।

साउथ कोरिया: चावल और बीफ मार्केट ओपन नहीं किया

अमेरिका ने साउथ कोरिया पर 15% टैरिफ लगा रखा है। हालांकि साउथ कोरिया ने अपने किसानों के हित में चावल और बीफ मार्केट को ओपन नहीं किया है। साउथ कोरिया ने 30 महीने से ज्यादा उम्र वाले अमेरिकी मवेशियों का बीफ आयात करने पर रोक लगा रखी है।

इसकी वजह मैड काउ डिजीज है। ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी ज्यादा उम्र के मवेशियों में होती है। इस प्रतिबंध के बावजूद साउथ कोरिया अब भी अमेरिकी गोमांस का सबसे बड़ा खरीदार है। 2024 में उसने करीब 2.22 अरब डॉलर का अमेरिकी मांस खरीदा था।

इसके अलावा जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों पर भी सख्त नियम हैं। कोरिया के किसान संघ और हानवू एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी थी कि वह अमेरिकी दबाव में आकर अपने किसानों की बलि न दे।

स्विट्जरलैंड: डेयरी और मांस पर हाई टैक्स

स्विट्जरलैंड अपने डेयरी और मांस जैसे कृषि उत्पादों पर बहुत अधिक टैक्स लगाता है, ताकि स्थानीय किसान सुरक्षित रहें। इसके कारण विदेशी उत्पादों का बाजार में आना मुश्किल होता है।

स्विट्जरलैंड में देश की खेती का करीब 25% हिस्सा डेयरी से आता है। यहां पर सरकार किसानों से फसल खरीदने में मदद करती है, ताकि वे खेती जारी रखें और साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा हो।

आइसलैंड: विदेशी प्रोडक्ट पर हाई टैक्स

आइसलैंड उन देशों में शामिल है जिसने डेयरी प्रोडक्ट और एग्रीकल्चर को लेकर विदेशी देशों के साथ समझौता नहीं किया है।

आइसलैंड भी अपने कृषि और डेयरी उत्पादों पर बहुत ज्यादा सब्सिडी देता है और विदेशी प्रोडक्ट पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाता है, ताकि स्थानीय किसान सुरक्षित रहें। विदेशी उत्पादों के लिए बाजार को सीमित रखा गया है।

सरकार स्थानीय किसानों को आर्थिक सहायता और सब्सिडी देती है, ताकि वे खेती-बाड़ी जारी रखें और देश की खाद्य सुरक्षा बनी रहे।

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