Monday, December 29, 2025
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Thailand-Cambodia Border Row: Thai Army Demolishes Lord Vishnu Statue | थाईलैंड ने कंबोडिया में भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़ी, VIDEO: सैनिकों ने बुलडोजर से गिराई; मंदिर को लेकर दोनों देशों में 6 महीने से विवाद


लाओस/नाम पेन्ह28 मिनट पहले

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थाई सैनिकों ने 22 दिसंबर को बुलडोजर की मदद से भगवान विष्णु की मूर्ति को गिरा दिया। - Dainik Bhaskar

थाई सैनिकों ने 22 दिसंबर को बुलडोजर की मदद से भगवान विष्णु की मूर्ति को गिरा दिया।

थाईलैंड और कंबोडिया की बॉर्डर पर थाई सेना ने भगवान विष्णु की एक मूर्ति तोड़ दिया है। एशियानेट न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक थाई सैनिकों ने बुलडोजर चलाकर मूर्ति को गिरा दिया। घटना सोमवार, 22 दिसंबर की बताई जा रही है।

कंबोडिया ने इसे लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि मूर्ति उसके इलाके में थी, जिसे थाईलैंड ने अवैध तरीके से गिरा दिया।

कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत के सरकारी प्रवक्ता किम चानपनहा ने कहा कि इस मूर्ति को 2014 में थाईलैंड की सीमा से करीब 100 मीटर दूर बनाया गया था।

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच पिछले 6 महीने से प्रीह विहार मंदिर के इलाके को लेकर विवाद चल रहा है। जून में दोनों देशों के बीच जंग भी हुई थी। हालांकि ट्रम्प की मध्यस्थता के बाद सीजफायर हो गया था।

लेकिन दिसंबर में एक बार फिर विवाद भड़क गया है। अब तक संघर्ष में 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि 10 लाख से ज्यादा को पलायन करना पड़ा है।

मूर्ति गिराने का वीडियो यहां देखिए…

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच विवाद को जानिए…

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद 118 साल पुराना है। इसका केंद्र प्रीह विहार और ता मुएन थॉम जैसे प्राचीन मंदिर हैं, जो दोनों देशों की सीमा के बेहद करीब स्थित हैं।

1907 में, जब कंबोडिया फ्रांस के अधीन था, दोनों देशों के बीच 817 किमी लंबी सीमा खींची गई। थाईलैंड ने इसका विरोध किया, क्योंकि नक्शे में प्रीह विहार मंदिर कंबोडिया के हिस्से में दिखाया गया था। ता मुएन थॉम मंदिर को थाईलैंड में दिखाया गया, जिसे कंबोडिया अपना मानता है।

यह विवाद 1959 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचा। 1962 में अदालत ने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना। थाईलैंड ने फैसले को स्वीकार किया, लेकिन आसपास की जमीन पर दावा आज भी जारी है।

ऐतिहासिक रूप से भी खमेर साम्राज्य (कंबोडिया) और सियाम साम्राज्य (थाईलैंड) के बीच सीमाओं और प्रभाव क्षेत्र को लेकर संघर्ष लंबे समय तक चलता रहा है, जिसका असर आज तक दिखता है।

जानिए थाईलैंड-कंबोडिया के बीच जंग क्यों छिड़ी थी

दोनों देशों की सेनाओं के बीच 28 मई को एमरॉल्ड ट्राइंगल पर भिड़ंत हुई थी, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी। यह वो जगह है जहां थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाएं मिलती हैं। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही इस इलाके पर दावा करते हैं।

कंबोडियाई सेना के मुताबिक थाई सैनिक ने बॉर्डर इलाके के पास ता मुएन थॉम मंदिर को घेरकर उसके चारों ओर कंटीले तार लगा दिए थे। इसके बाद थाई सैनिकों ने ड्रोन छोड़ा और हवाई फायरिंग की।

वहीं, थाई सेना के मुताबिक पहले कंबोडियाई सैनिकों ने संघर्ष शुरू किया। थाईलैंड ने बातचीत के जरिए तनाव कम करने की कोशिश की, लेकिन जब बात नहीं बनी तो गोलीबारी शुरू हो गई।

ता मुएन थॉम मंदिर पर कंबोडिया का दावा

ता मुएन थॉम मंदिर दोनों देशों की सीमा के उस हिस्से में आता है जो ठीक से तय नहीं है। यही वजह है कि इस पर दोनों देश अपना दावा करते हैं।

यह थाईलैंड की तरफ स्थित है, लेकिन कंबोडिया दावा करता है कि यह उसका ऐतिहासिक हिस्सा है, क्योंकि यह खमेर साम्राज्य के दौर में बना था।

खमेर साम्राज्य कंबोडिया की एक शक्तिशाली और प्रभावशाली सभ्यता थी, जो 9वीं से 15वीं शताब्दी तक रही। इस साम्राज्य ने कंबोडिया के अलावा लाओस, थाईलैंड और वियतनाम के कई हिस्सों पर शासन किया।

वहीं, थाईलैंड का दावा है कि मंदिर तो कंबोडिया का हो सकता है लेकिन उसके चारों ओर की जमीन पर उसका हक है।

दोनों देशों की सेनाएं इस मंदिर के आसपास नियमित रूप से गश्त करती हैं, जिससे यहां अक्सर झड़पें हो जाती हैं। इस बार की झड़प भी इसी मंदिर के पास हुई।

प्रीह विहियर मंदिर पर थाईलैंड का दावा

प्रीह विहियर मंदिर पर दोनों देशों में विवाद ज्यादा है। थाईलैंड इस मंदिर पर कंट्रोल करने की कोशिश में लगातार लगा रहा, जिसके बाद 1959 में कंबोडिया यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लेकर गया।

साल 1962 में अदालत ने फैसला दिया कि मंदिर कंबोडिया का है। कोर्ट ने थाईलैंड को अपने सैनिक हटाने का आदेश दिया। तब थाईलैंड ने इसे स्वीकार किया, लेकिन आसपास की जमीन को लेकर विवाद जारी रखा।

हेरिटेज साइट में शामिल होने पर विवाद बढ़ा

2008 में यह विवाद तब और बढ़ गया जब इस मंदिर को यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कर लिया। मंदिर को मान्यता मिलने के बाद दोनों देशों की सेनाओं में फिर झड़पें शुरू हो गईं और 2011 में तो हालात इतने बिगड़ गए कि हजारों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए।

साल 2013 में कोर्ट ने अपने पुराने फैसले को साफ करते हुए कहा कि मंदिर ही नहीं, उसके आसपास का क्षेत्र भी कंबोडिया का है। साथ ही थाईलैंड को अपनी सेना वहां से पूरी तरह हटाने को कहा गया। हालांकि सीमा का मुद्दा अब तक पूरी तरह हल नहीं हो पाया है।

विवाद सुलझाने में गई थी PM की कुर्सी

दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ने के बाद 15 जून को थाईलैंड की PM पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने कंबोडिया के नेता हुन सेन से फोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में उन्होंने थाई सेना के कमांडर की आलोचना की थी। इसे थाईलैंड में गंभीर मामला माना जाता है, क्योंकि सेना का वहां काफी प्रभाव है।

इस बातचीत के लीक होने के बाद देशभर में गुस्सा फैल गया था। इसके बाद कोर्ट ने PM को पद से हटा दिया। हालांकि, पाइतोंग्तार्न ने माफी मांगते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी सिर्फ विवाद सुलझाने के लिए थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।

PM पद से हटने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देती हुई पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा। तस्वीर 1 जुलाई 2025 की है।

PM पद से हटने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देती हुई पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा। तस्वीर 1 जुलाई 2025 की है।

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