देश और दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनियों में से एक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) इन दिनों छंटनी को लेकर विवादों में घिर गई है। IT और ITES कर्मचारियों की यूनियन UNITE ने बीते मंगलवार को चेन्नई में विरोध प्रदर्शन किया था और दावा किया कि टीसीएस लगभग 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही है, जिनमें से अधिकतर मिड और सीनियर-लेवल के पेशेवर हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, UNITE ने यह भी आशंका जताई है कि यह आंकड़ा 30,000 से 40,000 तक जा सकता है। संगठन का कहना है कि कंपनी अनुभवी कर्मचारियों को हटाकर उनकी जगह कम वेतन पर फ्रेशर्स को भर्ती कर रही है ताकि लागत घटाई जा सके।
चेन्नई में विरोध प्रदर्शन, उठे तीखे सवाल
प्रदर्शन के दौरान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने बैनर और पोस्टर लेकर विरोध जताया। एक पोस्टर में लिखा था-छंटनी रोकने का उपाय- यूनियन बनाओ। कंपनी के शीर्ष अधिकारियों को “क्रूरता का प्रमुख” और “कॉर्पोरेट लालची के प्रमुख” जैसे तीखे शब्दों से निशाना बनाया गया। हालांकि, इस पर टीसीएस ने अब जवाब देते हुए कहा है कि छंटनी की खबरें गलत और भ्रामक हैं। कंपनी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। कंपनी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि 30,000 कर्मचारियों की छंटनी की खबरें गलत और भ्रामक हैं। यह प्रभाव केवल हमारे कुल वर्कफोर्स के 2% तक सीमित है।
यूनियन का क्या कहना है?
यूनियन UNITE की प्रतिनिधि जननी का आरोप है कि कंपनी जानबूझकर सीनियर कर्मचारियों को निशाना बना रही है, ताकि उनकी जगह फ्रेशर्स को सस्ते में नौकरी दी जा सके। उन्होंने कहा कि जब कंपनी की सालाना रेवेन्यू ₹2.55 लाख करोड़, ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 24.3% और डिविडेंड ₹45,588 करोड़ है, तब भी 12,000 नौकरियां क्यों जा रही हैं? यूनियन की मांग है कि अपस्किलिंग हो, छंटनी नहीं। यूनियन का कहना है कि कंपनी को कर्मचारियों को “फेंकने” के बजाय अपस्किल करने पर जोर देना चाहिए। टीसीएस कर्मचारियों को हटाकर सिर्फ मुनाफा कमा रही है। ये छंटनी कोई जरूरत नहीं, बल्कि रणनीति है। कर्मचारी सिर्फ बैलेंस शीट के नंबर नहीं हैं। हम न्याय की मांग करते हैं।