जब बात निवेश की हो तो अधिकतर लोग दो पॉपुलर विकल्पों – एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) और एफडी (फिक्स्ड डिपोजिट) पर भी विचार करते हैं। दरअसल ये दोनों ही अपने-अपने फायदे और सीमाओं के साथ आते हैं। मार्केट में दो तरह के निवेशक हैं। एक जो मार्केट रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। और दूसरा जो रिस्क लेकर ज्यादा रिटर्न कमाने का इरादा रखते हैं। ऐसे में दोनों ही निवेश विकल्पों की अपनी-अपनी भूमिकाएं हैं। इन दोनों निवेश विकल्पों में क्या फर्क है और किसके लिए कौन-सा बेहतर हो सकता है, यहां हम इसे समझने की कोशिश करते हैं।
SIP क्या है?
SIP यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान एक ऐसा तरीका है जिसमें आप हर महीने छोटी-छोटी राशि म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं। यह शेयर बाजार से जुड़ा होता है और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न देने की क्षमता रखता है। एसआईपी के कई फायदे हैं। इसमें कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है। समय के साथ निवेश पर रिटर्न भी रिटर्न कमाता है, जिससे पूंजी तेजी से बढ़ती है। साथ ही बाजार के उतार-चढ़ाव में औसत लागत पर यूनिट्स मिलती हैं, जिससे जोखिम कम होता है। लंबी अवधि के लक्ष्यों जैसे रिटायरमेंट या बच्चों की पढ़ाई के लिए यह फायदेमंद। चूंकि SIP म्यूचुअल फंड्स के ज़रिए शेयर बाजार में निवेश करता है, इसलिए इसमें कुछ हद तक बाजार जोखिम होता है।
एफडी क्या है?
एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट एक पारंपरिक और सुरक्षित निवेश विकल्प है, जिसे बैंक और वित्तीय संस्थाएं प्रदान करती हैं। इसमें निवेश की गई राशि पर निश्चित ब्याज दर मिलती है और यह तय अवधि तक बाजार जोखिम से पूरी तरह मुक्त होता है। एफडी के अपने फायदे हैं। इसमें निवेशक को निश्चित और स्थिर रिटर्न मिलता है। एफडी पर ब्याज दर पहले से तय होती है, जिससे रिटर्न का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो पूंजी की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। कुछ FD पर तो धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है।
SIP और FD में से किसे चुनें?
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, एसआईपी और एफडी में से चुनना आपके वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और समय सीमा पर निर्भर करता है। अगर आप सुरक्षा, स्थिर रिटर्न और बाजार जोखिम नहीं चाहते हैं, तो फिक्स्ड डिपॉजिट एक विश्वसनीय विकल्प है। हालांकि, अगर आप लंबी अवधि में धन जमा करना चाहते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव को संभाल सकते हैं, तो ऐसे में एसआईपी बेहतर साबित होते हैं। तो, एसआईपी या एफडी, कौन बेहतर है? इसका कोई एक जवाब नहीं है। आदर्श रूप से, दोनों एसआईपी फिक्स्ड डिपॉजिट रणनीतियों को मिलाकर एक संतुलित दृष्टिकोण आपको सुरक्षा और स्मार्ट निवेश का सर्वोत्तम लाभ उठाने में मदद कर सकता है। क्या एसआईपी, एफडी से बेहतर है? लंबी अवधि के लिए बेशक है।
निवेश से पहले इन बातों को समझ लें:
अगर आप एक रूढ़िवादी निवेशक हैं और अपनी मेहनत की कमाई को जोखिम में डालना पसंद नहीं करते, तो आप एफडी चुनें। वहीं दूसरी तरफ, आक्रामक निवेशक जो ज्यादा रिटर्न चाहते हैं और अपने निवेश पर मध्यम से लेकर ज्यादा जोखिम उठाने को तैयार हैं, वे एसआईपी का विकल्प चुन सकते हैं।
अगर आप एकमुश्त राशि निवेश करना चाहते हैं, तो आप एफडी में निवेश कर सकते हैं। अगर आप नियमित अंतराल पर छोटी-छोटी रकम निवेश करना चाहते हैं और ज्यादा निवेश नहीं करना चाहते, तो आप एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।
अगर आपका मुख्य निवेश लक्ष्य पूंजी बचाना है और आपको इससे ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं है, तो आप एफडी में निवेश कर सकते हैं। अगर आप लक्ष्य-उन्मुख निवेश करना चाहते हैं जिससे आपको ज़्यादा रिटर्न मिले, तो एसआईपी की तरफ जाएं।
अगर आपके मन में निवेश की कोई निश्चित अवधि है, तो आप एफडी स्कीम में निवेश कर सकते हैं। दूसरी तरफ, अगर आपको निवेश की अवधि के बारे में पता नहीं है और आप जब भी निवेश से उचित रिटर्न मिल रहा हो, तब पैसा निकालना चाहते हैं, तो आप एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।