Side Effects of Watching Reels in Bed: आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में रील्स देखना अब सिर्फ एक ट्रेंड नहीं बल्कि आदत बन चुका है. खासकर जब लोग बिस्तर पर लेटकर रील्स देखते हैं, तो उन्हें लगता है कि यह रिलैक्स करने का एक आसान तरीका है. लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक, यह आदत शरीर को धीरे-धीरे कई गंभीर बीमारियों की ओर धकेल रही है. आइए आपको बताते हैं कि लेटकर मोबाइल स्क्रॉल करना आपके शरीर के लिए कितना हानिकारक साबित हो सकता है.
गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर दबाव
जब हम बिस्तर पर लेटकर मोबाइल देखते हैं, तो गर्दन और कंधे का एंगल गलत हो जाता है. इससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और Text Neck Syndrome जैसी समस्या शुरू हो जाती है. अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन के अनुसार, लंबे समय तक झुककर मोबाइल देखने से गर्दन की हड्डियों पर लगभग 27 किलोग्राम तक का दबाव पड़ सकता है. यही कारण है कि कई लोग सुबह उठते ही कंधे और गर्दन में दर्द महसूस करते हैं.
नींद की गुणवत्ता पर पड़ता है असर
बिस्तर पर लेटे-लेटे रील्स देखने की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह आपकी नींद को खराब कर देता है. मोबाइल की ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन को दबा देती है, जो नींद को नियंत्रित करता है. एक स्टडी JAMA Network Open 2023 में पाया गया कि जो लोग सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करते हैं, उनकी नींद की क्वालिटी उन लोगों से काफी खराब होती है जो बिना स्क्रीन टाइम के सोते हैं. लगातार ऐसा करने से इनसोमिया जैसी समस्या हो सकती है.
आंखों की सेहत पर सीधा असर
मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों के लिए बेहद हानिकारक होती है. National Eye Institute (US) की रिपोर्ट के अनुसार, ब्लू लाइट आंखों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है और डिजिटल आई स्ट्रेन पैदा करती है. इससे आंखों में जलन, सूखापन और सिरदर्द आम हो जाते हैं. जो लोग रात में कमरे की लाइट बंद करके रील्स देखते हैं, उनमें यह समस्या और तेजी से बढ़ती है.
मेंटल हेल्थ पर असर
रील्स देखने से दिमाग में डोपामाइन हार्मोन रिलीज होता है, जिससे थोड़े समय के लिए अच्छा महसूस होता है. लेकिन बार-बार यह डोपामाइन हिट दिमाग को इसकी आदत डाल देती है. Centers for Disease Control and Prevention, 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक स्क्रीन टाइम से चिंता, डिप्रेशन और ध्यान की कमी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. यह दिमाग को लगातार उत्तेजित रखता है और व्यक्ति को बेचैन बना देता है.
कैसे बचें इस नुकसान से?
- मोबाइल स्क्रीन टाइम दिन में 1 घंटे से कम रखें.
- सोने से कम से कम 1 घंटा पहले मोबाइल दूर रखें.
- लेटकर नहीं, बैठकर स्क्रीन देखें.
- हर 20 मिनट में आंखों को आराम दें.
- योग, स्ट्रेचिंग और फिजिकल एक्टिविटी को रोज का हिस्सा बनाएं.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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