कोटा जिले के दौरे पर पहुंचे शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा एलान किया. उन्होंने कहा कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE), अजमेर अब छात्रों को एक ही शैक्षणिक सत्र में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका देगा. यह नई व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू की जाएगी.
मंत्री दिलावर ने बताया कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के प्रावधानों के तहत उठाया गया है. नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों को अधिक अवसर और लचीलापन देना है, ताकि वे अपनी योग्यता का बेहतर प्रदर्शन कर सकें. उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थियों के लिए पहली बोर्ड परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य रहेगा, जबकि जो विद्यार्थी इस परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे, उन्हें तीन विषयों तक में अपने अंक सुधारने के लिए दूसरी परीक्षा देने का अवसर मिलेगा.
दिलावर ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन छात्रों को पूरक घोषित किया जाएगा, उन्हें भी अधिकतम तीन विषयों में द्वितीय अवसर परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी. इसमें पूरक विषय भी शामिल रहेंगे, जिससे अब छात्रों को सालभर इंतजार नहीं करना पड़ेगा और वे उसी सत्र में अपने परिणाम सुधार सकेंगे.
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा?
राजस्थान बोर्ड अब से साल में दो बार परीक्षा आयोजित करेगा. पहली मुख्य परीक्षा फरवरी-मार्च में होगी और उसके परिणाम आने के बाद मई-जून में दूसरी परीक्षा, जिसे ‘द्वितीय अवसर परीक्षा’ कहा जाएगा, आयोजित की जाएगी. दोनों परीक्षाएं उसी सत्र के पूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी. यानी विद्यार्थियों को किसी भी तरह की नई या अलग तैयारी नहीं करनी होगी. अध्ययन योजना और परीक्षा प्रणाली दोनों ही बार समान रहेंगी.
दिलावर ने कहा कि यदि कोई विद्यार्थी मुख्य परीक्षा में अनुपस्थित रहता है, तो उसे दूसरी परीक्षा में बैठने की अनुमति केवल चिकित्सा प्रमाण पत्र या जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर ही दी जाएगी. यह व्यवस्था केवल उन छात्रों के लिए होगी जिनकी अनुपस्थिति के पीछे उचित कारण होगा.
इतना होगा शुल्क
शिक्षा मंत्री ने बताया कि द्वितीय अवसर परीक्षा का शुल्क मुख्य परीक्षा के समान रहेगा. छात्रों को इस व्यवस्था से किसी तरह का आर्थिक बोझ नहीं झेलना पड़ेगा. साथ ही, बोर्ड ने यह भी तय किया है कि इसमें ‘बेस्ट ऑफ टू’ का सिद्धांत लागू किया जाएगा. यानी विद्यार्थी की दोनों परीक्षाओं में से जिसमें अधिक अंक होंगे, वही अंक अंतिम परिणाम में शामिल किए जाएंगे. इससे छात्रों पर पहली परीक्षा में अच्छे अंक लाने का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा.
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