जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव में अपनी पार्टी का खाता न खुलने को लेकर चुप्पी तोड़ी और दावा किया कि चुनावों में ‘धांधली’ हुई है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस समय उनके पास इस आरोप के समर्थन में कोई सबूत नहीं है.
प्रशांत किशोर ने जन सुराज की हार को ‘करारी’ हार बताया, लेकिन साथ ही जोर देकर कहा कि जमीनी स्तर पर उनके अभियान का असर दिखा. उन्होंने दावा किया कि मतदान के रुझान महीनों तक चली जन सुराज यात्रा के दौरान उनकी टीम को मिले फीडबैक से मेल नहीं खा रहे. उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि कुछ गड़बड़ हुई है.
‘कुछ अजेय शक्तियां खेल रही थीं’
प्रशांत किशोर ने रविवार (23 नवंबर) को इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में कहा कि कुछ अजेय शक्तियां खेल रही थीं, जिन पार्टियों को लोग मुश्किल से जानते थे, उन्हें लाखों वोट मिले. कुछ लोग कह रहे हैं कि ईवीएम में छेड़छाड़ की गई थी. यह कुछ ऐसा है जो लोग हारने के बाद आरोप लगाते हैं. मेरे पास कोई सबूत नहीं है, लेकिन कई चीजें मेल नहीं खातीं. प्रथम दृष्टया तो ऐसा लगता है कि कुछ गलत हुआ है, लेकिन हमें नहीं पता कि क्या हुआ.
एनडीए सरकार पर पैसे बांटने का आरोप
इसके अलावा जन सुराज के संस्थापक ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पर चुनाव परिणाम में हेरफेर करने के लिए बिहार में हजारों महिला मतदाताओं को पैसे बांटने का भी आरोप लगाया. किशोर ने कहा, “चुनाव की घोषणा के दिन से लेकर मतदान के दिन तक, महिलाओं को दस हज़ार रुपये दिए गए. यह राशि भी उनके वादे के लिए पर्याप्त नहीं थी. उन्हें बताया गया था कि उन्हें कुल दो लाख रुपये मिलेंगे और यह दस हज़ार रुपये तो बस पहली किस्त थी.
‘लालू के जंगल राज की वापसी का डर’
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जन सुराज के खिलाफ एक और कारक जो सबसे ज़्यादा काम कर रहा था, वह था लालू के जंगल राज की वापसी का डर. प्रचार के अंतिम चरण तक कई मतदाताओं ने मान लिया था कि जन सुराज जीतने की स्थिति में नहीं है. उनकी चिंता साधारण थी अगर उन्होंने हमें वोट दिया और हम जीत नहीं पाए तो इससे लालू के जंगल राज की वापसी का रास्ता खुल सकता है. इस डर ने निश्चित रूप से कुछ लोगों को दूर कर दिया.
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