इस्लामाबाद8 मिनट पहले
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने मंगलवार को कहा कि भारत अगर पाकिस्तान की तरफ बहने वाला पानी रोकने की कोशिश करता है, तो यह सिंधु जल संधि का उल्लंघन होगा। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि इसका जवाब निर्णायक तरीके से दिया जाएगा।
इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में शरीफ ने कहा,

दुश्मन (भारत) पाकिस्तान से एक बूंद पानी भी नहीं छीन सकता। आपने हमें पानी रोकने की धमकी दी। अगर ऐसा करने की कोशिश की, तो पाकिस्तान आपको ऐसा सबक सिखाएगा, जिसे जिंदगीभर नहीं भूलेंगे।
शरीफ ने कहा कि पानी पाकिस्तान की जीवनरेखा है। और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत देश के अधिकारों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
बिलावल भी भारत को जंग की धमकी दे चुके
शहबाज शरीफ से पहले पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत को युद्ध की धमकी दे चुके हैं। सोमवार को दिए एक बयान में बिलावल ने कहा था कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित रखा तो पाकिस्तान के पास जंग के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
भुट्टो सिंध प्रांत की सरकार के एक कार्यक्रम में कहा,

मोदी सरकार के कदमों ने पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया है। हमें एकजुट होकर इन आक्रामक नीतियों का जवाब देना होगा।
भुट्टो ने दावा किया कि पाकिस्तान के लोग छह नदियों को वापस लेने के लिए जंग करने में सक्षम हैं।
इससे पहले आर्मी चीफ मुनीर ने भी धमकी दी थी कि अगर भारत सिंधु नदी के पानी पर कोई बांध बनाता है, तो पाकिस्तान उसे 10 मिसाइलों से उड़ा देगा।
भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है?
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।
1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था।
1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।
1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।
इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।
भारत ने इस समझौते को रद्द किया
भारत ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के दूसरे दिन 24 अप्रैल को पाकिस्तान के साथ 65 साल पुराना सिंधु जल समझौता रोक दिया था। इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे।

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