काठमांडू34 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
 

(फाइल फुटेज)
नेपाल के उत्तर-पूर्वी हिस्से में यालुंग री नाम की चोटी पर सोमवार को बर्फ का पहाड़ टूटने से 7 लोगों की मौत हो गई जबकि 4 लोग घायल हो गए।
यह हादसा उस समय हुआ जब हिमस्खलन 5,630 मीटर ऊंची चोटी के बेस कैंप पर आ गया। हादसे के बाद 4 लोग लापता हैं।
मृतकों में 3 अमेरिकी, 1 कनाडाई, 1 इतालवी और 2 नेपाली नागरिक शामिल हैं। यह जानकारी डोलखा जिले की पुलिस ने दी है। यह इलाका बागमती प्रांत के रोलवालिंग वैली में आता है।
पुलिस और रेस्क्यू टीमें अभी भी लापता लोगों की तलाश कर रही हैं।

मौसम खराब होने की वजह से रेस्क्यू में देरी
नेपाली वेबसाइट हिमालयन टाइम्स के मुताबिक यह हादसा सुबह करीब 9 बजे हुआ। 15 लोगों की एक टीम गौरीशंकर और यालुंग री की ओर बढ़ रही थी। इस दौरान एवलॉन्च ने बेस कैंप के पास ही उन्हें अपनी चपेट में ले लिया।
स्थानीय वार्ड अध्यक्ष निंगगेली शेरपा ने बताया कि सुबह से ही प्रशासन को कई बार मदद के लिए सूचना दी गई, लेकिन बचाव अभियान देर से शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि रोलवालिंग क्षेत्र प्रतिबंधित इलाका होने के कारण हेलिकॉप्टर को उड़ान की अनुमति मिलने में देरी हुई, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन और भी धीमा पड़ गया।
पुलिस के मुताबिक नेपाल आर्मी, नेपाल पुलिस और आर्म्ड पुलिस फोर्स को खोज और बचाव अभियान में लगाया गया है। एक हेलिकॉप्टर भी भेजा गया, लेकिन मौसम खराब होने के कारण वह हादसे वाली जगह तक नहीं पहुंच सका।
यालुंग री में ट्रैकिंग के लिए स्पेशल परमिट जरूरी
यालुंग री नेपाल-चीन सीमा के नजदीक है। यह इलाका कम भीड़ वाला और तकनीकी तौर पर मुश्किल ट्रैकिंग जोन माना जाता है। इस क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए विदेशी यात्रियों को खास परमिट लेना होता है।
यालुंग री एवलॉन्च-प्रोन इलाका है, यानी यहां पहले भी हिमस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं। 2019 में भी इसी क्षेत्र में एक फ्रेंच पर्वतारोहियों की टीम फंसी थी, जबकि 2015 के भूकंप के बाद भी इस रूट पर कई पर्वतारोही मारे गए थे।

यालुंग री नेपाल-चीन बॉर्डर के नजदीक है। धार्मिक वजहों से यहां यात्रा करना प्रतिबंधित था। 2000 के बाद यहां यात्रा करने की इजाजत मिलनी शुरू हुई है। इसके लिए विशेष परमिट लेना जरूरी होता है।
हिमस्खलन क्या होता है?
जवाब : बर्फ या पत्थर के पहाड़ की ढलान से तेजी से नीचे गिरने को हिमस्खलन या एवलांच कहते हैं। हिमस्खलन के दौरान बर्फ, चट्टान, मिट्टी और अन्य चीजें किसी पहाड़ से नीचे की ओर तेजी से फिसलती हैं।
हिमस्खलन आम तौर पर तब शुरू होता है, जब किसी पहाड़ की ढलान पर मौजूद बर्फ या पत्थर जैसी चीजें उसके आसपास से ढीली हो जाती हैं। इसके बाद ये तेजी से ढलान के नीचे मौजूद और चीजों को इकट्ठा कर नीचे की ओर गिरने लगती हैं। चट्टानों या मिट्टी के स्खलन को भूस्खलन कहते हैं।
हिमस्खलन तीन तरह के होते हैं:
1. चट्टानी हिमस्खलन : इनमें बड़े-बड़े चट्टानों के टुकड़े होते हैं।
2. हिमस्खलन : इनमें बर्फ पाउडर या बड़े-बड़े टुकड़ों के रूप में होती है। ये अक्सर ग्लेशियर या हिमनदी के आसपास होते हैं।
3. मलबे के हिमस्खलन : इसमें पत्थर और मिट्टी समेत कई तरह के मटेरियल होते हैं।
हिमस्खलन आखिर शुरू कैसे होता है?
जवाब : मुख्यत: ये दो तरीके से होता है- पहला कई बार पहाड़ों पर पहले से मौजूद बर्फ पर जब हिमपात की वजह से वजन बढ़ता है, तो बर्फ नीचे सरकने लगती है, जिससे हिमस्खलन होता है। दूसरा- गर्मियों में सूरज की रोशनी यानी गर्मी की वजह से बर्फ पिघलने से हिमस्खलन होता है।
एक बड़े और पूरी तरह से विकसित हिमस्खलन का वजन 10 लाख टन या 1 अरब किलो तक हो सकता है। पहाड़ों से नीचे गिरने के दौरान इसकी स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे से 320 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा हो सकती है।
आम तौर पर हिमस्खलन सर्दियों में होता है और इसके दिसंबर से अप्रैल में होने के आसार ज्यादा रहते हैं।

सवाल : क्यों होते हैं हिमस्खलन?
जवाब : ज्यादातर हिमस्खलन खुद से यानी प्राकृतिक होते हैं, इसकी कई वजहें होती हैं, मसलन…
- भारी हिमपात
 - जंगलों की कटाई
 - खड़ी ढलान
 - भूकंप
 - तूफान
 - चट्टानों का गिरना
 
इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण गर्मी की वजह से बर्फ का पिघलना होता है।
हिमस्खलन इंसानों के कारण भी होता है, जैसे-
- स्कीइंग
 - बर्फ में स्नो स्कूटर (स्नो मोबाइल) चलाने वाले
 - पर्वतारोही
 
हिमस्खलन दो तरह से होते हैं- स्लफ और स्लैब
स्लफ हिमस्खलन : इसमें ढीली बर्फ थोड़ी दूर खिसकती है।
स्लैब हिमस्खलन : ये सबसे खतरनाक हिमस्खलन है। इसमें विशाल बर्फ का स्लैब खिसकता है।
हिमस्खलन को 4 अलग कैटेगरी में बांट सकते हैं
1. लूज स्नो एवलांच
- ये स्लफ हिमस्खलन का उदाहरण हैं, जो खड़ी ढलान पर ताजे हिमपात के बाद होते हैं।
 - इस हिमस्खलन की बर्फ कठोर नहीं होती और सूरज की रोशनी से मुलायम हो जाती है।
 - इसमें बहुत सॉलिड स्नो-पैक यानी बर्फ का ढेर नहीं बन पाता।
 - ये सिंगल पॉइंट से निकलते हैं और नीचे की ओर बढ़ने पर चौड़े हो जाते हैं।
 

2. स्लैब एवलांच

- इस हिमस्खलन में बड़े हिमखंड यानी बर्फ के विशाल खंड ढलान से नीचे गिरते हैं
 - इसमें पतले बर्फ के स्लैब कम नुकसान पहुंचाते हैं जबकि मोटे स्लैब घातक होते हैं।
 - लूज स्नो हिमस्खलन ही स्लैब हिमस्खलन की भी वजह बन सकते हैं।
 
3. पाउडर स्नो एवलांच

- ये स्लफ और स्लैब हिमस्खलन का मिश्रण होता है।
 - इसके निचले हिस्से में बर्फ का स्लैब और हवा और ऊपरी हिस्से में मुलायम स्नो होती है।
 - ये ढलान से नीचे की ओर बढ़ने पर एक विशाल बर्फ के गोले में बदल जाते हैं।
 - इनकी स्पीड 300 KM/ घंटे से ज्यादा होती है और ये लंबी दूर तय कर सकते हैं।
 
4. वेट स्नो एवलांच

- ये हिमस्खलन शुरू में पानी और बर्फ से बने होते हैं। ये काफी खतरनाक हो सकते हैं।
 - फ्रिक्शन की वजह से धीमी स्पीड से आगे बढ़ते हुए रास्ते में मलबा इकट्ठा करते हैं।
 - कई बार इनकी भी स्पीड तेज हो सकती है।
 
—————————————–
ये खबर भी पढ़ें…
जमैका में लोग कीचड़-मलबे में खाना ढूंढने पर मजबूर, PHOTOS:तूफान मेलिसा के बाद भूख-प्यास से परेशान; बाढ़ का पानी भरा, जानवर सड़ रहे

जमैका में कैटेगरी-5 के हरिकेन मेलिसा के टकराने के बाद हालात खराब हो चुके हैं। ब्लैक रिवर शहर में लोग कीचड़ और मलबे में खाने-पीने का सामान खोज रहे हैं। कई लोग टूटी दुकानों और सुपरमार्केट से पानी की बोतलें और जरूरी चीजें निकाल रहे हैं।
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, तूफान के बाद पिछले तीन दिनों से शहर में अराजकता और भूख-प्यास का संकट है। सड़कों पर कीचड़, टूटी इमारतें, पलटी नावें और बिखरे वाहन चारों ओर तबाही की तस्वीर पेश कर रहे हैं। बिजली-पानी की सप्लाई बंद है। लोगों का परिवारों से संपर्क टूट गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…


                                    