इंग्लैंड के बर्मिंघम के एजबेस्टन ग्राउंड में चल रही एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में भारत के तेज गेंदबाज आकाशदीप ने इतिहास रच दिया। उन्होंने एजबेस्टन टेस्ट में पहली पारी में 4 और दूसरी पारी में 6 विकेट लेकर कुल 10 विकेट झटके।
.
आकाशदीप इंग्लैंड में एक टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज बन गए हैं। इससे पहले चेतन शर्मा ने 1986 में बर्मिंघम में यह कारनामा किया था। आकाशदीप ने दूसरे टेस्ट मैच में 336 रन से इंग्लैंड को हरा दिया है। इसके साथ ही पांच मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर हो गई है।
608 रन के टारगेट का पीछा कर रही इंग्लैंड की टीम मैच के आखिरी दिन 271 रन पर ऑलआउट हो गई। यह इंग्लैंड की धरती पर रन के लिहाज से भारत की अब तक की सबसे बड़ी जीत है। पिछला रिकॉर्ड 279 रन से जीत का था।
भारत ने 1986 में लीड्स में अंग्रेजों को इस अंतर से हराया था। साथ ही भारत ने बर्मिंघम में 58 साल में पहली जीत हासिल की है। इससे पहले यहां खेले गए 8 टेस्ट में से 7 में भारत को हार मिली थी और 1 मुकाबला ड्रॉ हुआ था।
आकाशदीप ने ये मैच कैंसर से जूझ रही अपनी बहन को डेडिकेट किया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि, ‘ये प्रदर्शन आपके लिए है। जब भी मैं गेंद पकड़ता था, मेरे दिमाग में आपका ख्याल आता था। मैं आपके साथ हूं। मैं आपके चेहरे पर खुशी देखना चाहता हूं। हम सभी आपके साथ हैं।’

आकाशदीप और उनकी बहनें।
मैच से जुड़ी तस्वीरें…

हर एक विकेट लेने के बाद आकाशदीप की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी।

पूरी टीम विकेट लेने के बाद खुश मनाती हुई।

अपोनेंट के हर आउट पर आकाशदीप के फेस पर आई स्माईल।

विकेट लेने के बाद एटीट्यूड में आकाश।
इस तरह से आकाशदीप ने मैच में बनाई जगह
आकाशदीप को पहले मैच में प्लेइंग-11 में मौका नहीं मिला था, लेकिन इस बार बुमराह की गैरहाजिरी में इन्होंने दोनों पारियों में बेहतरीन गेंदबाजी की। पहली पारी में आकाशदीप ने 88 रन देकर 4 विकेट लिए।
वहीं, दूसरी पारी में इन्होंने 99 रन देकर 6 विकेट लिए। आकाशदीप ने अपनी सीम मूवमेंट से पूरे मैच में इंग्लैंड के बल्लेबाजों को परेशान रखा। नई गेंद से उन्होंने दोनों पारियों में भारतीय टीम को ब्रेक-थ्रू दिलाए।

गांव वाले घर में मौजूद आकाशदीप की शील्ड, कप और ट्रॉफी।
दैनिक भास्कर की टीम इस ऐतिहासिक जीत पर आकाशदीप के गांव पहुंची। वहां, मां, चाचा और भतीजी से बातचीत की…
भतीजी आर्या सिंह ने बताया कि,

चाचू के इस आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस से पूरा परिवार खुश है। वो लगातार अच्छा परफॉर्मेंस कर रहे हैं। चाचू अक्सर हमें मोटिवेट करते रहते हैं। वो कहते हैं कि इंडिपेंडेंट बनो। हार्ड वर्क करो। अपनी खुद की पहचान बनाओ और आगे बढ़ो।

वो चाहते हैं कि हमलोग भी बिग ड्रीम रखें। पूरा परिवार इस मैच को एक साथ बैठकर देख रहा था। सभी लोग इंग्लैंड के हर एक विकेट का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही विकेट गिर रही थी, सब अपनी-अपनी जगह से उछल कर खुश नजर आ रहे थे।

बुआ का 2 महीने पहले तबीयत खराब हुई थी। लखनऊ में उनका इलाज चल रहा है। फिलहाल, वो ठीक हैं। दादी भी उन्हीं के पास हैं। वो जब भी घर आते हैं तो बिल्कुल सामान्य जिंदगी जीने लगते हैं। पूरे गांव में घूमते हैं। सबसे बातें करते हैं। सभी लोगों से मिलकर उनका हाल-चाल जानते हैं।

आकाशदीप की बहन ज्योति ने बताया कि ‘जिस तरह से मेरे छोटे भाई ने यह मैच मेरे नाम किया है, उसके लिए मैं काफी खुशी व्यक्त कर रही हूं। भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं।’
आकाशदीप की भाभी ने बताया कि ‘वो बचपन से ही बहुत अच्छे बच्चे की तरह रहे हैं। मैं जब इस घर में आई, इसके बाद देवर का जन्म हुआ। शुरू से ही वो होनहार बच्चा रहा है। हमलोग उनके प्रदर्शन से बेहद खुश हैं।’
बिहार के सासाराम से टीम इंडिया तक का सफर
आकाशदीप ने बचपन में ही क्रिकेट को अपना सपना बना लिया था, लेकिन इस राह में उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। जब बिहार क्रिकेट एसोसिएशन निलंबित था, तब उनके पास कोई मंच नहीं था। पड़ोसियों तक ने अपने बच्चों को आकाश से दूर रहने की सलाह दी थी, ताकि उनके बच्चे पढ़ाई छोड़ क्रिकेट की राह पर न चले जाएं।

पिता की मौत के बाद 3 साल तक किक्रेट से दूर रहे थे आकाशदीप
आकाशदीप को पिता रामजी सिंह ने चपरासी या कॉन्स्टेबल बनने की सलाह दी थी। लेकिन वो अक्सर छुप-छुपकर क्रिकेट खेला करते थे।
साल 2015 में लकवा मारने के कारण पिता और बड़े भाई की छह महीने के अंदर मौत के बाद आकाश परिवार में कमाने वाले एकमात्र सदस्य बन गए थे। आकाश इन कठिन परिस्थितियों में 3 साल तक क्रिकेट से दूर रहे थे। लेकिन बाद में घर चलाने के लिए उन्होंने क्रिकेट की ही मदद ली थी।

घर खर्च के लिए देते थे 25 हजार
घर का खर्च चलाने के लिए आकाशदीप अपने एक दोस्त की मदद से दुर्गापुर में एक क्रिकेट क्लब से जुड़े। वहीं, टेनिस बॉल क्रिकेट खेलकर उन्होंने हर दिन 800 रुपए तक कमाए और महीने के करीब 25 हजार रुपए परिवार को भेजते थे। बाद में वे कोलकाता चले आए और CAB लीग में यूनाइटेड क्लब से खेले।
उनकी लंबाई और गेंदबाजी की धार को देखकर कोचों ने उन्हें तेज गेंदबाज बनने के लिए प्रेरित किया। आकाशदीप को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर बैन की वजह से बंगाल जाना पड़ा था।

क्रिकेट ग्राउंड में दोनों भतीजी और मां के साथ आकाशदीप। (फाइल फोटो)
IPL और फिर टीम इंडिया में धमाकेदार एंट्री
IPL में 2021 में वे रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से जुड़े और 2025 में लखनऊ सुपरजायंट्स ने उन्हें 8 करोड़ रुपए में खरीदा।
फरवरी 2024 में आकाशदीप ने इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में अपना डेब्यू किया। 2025 की एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में जसप्रीत बुमराह की जगह उन्हें एजबेस्टन टेस्ट में मौका मिला।
आकाशदीप की जीत से रोहतास के गांव में खुशी की लहर है। लोग पटाखे फोड़ रहे हैं, मिठाइयां बांट रहे हैं। आकाश की मां लड्डूमा देवी भावुक होकर कहती हैं, ‘हमरा बेटा आज देश के नाम रोशन कर दिहलस।’
वहीं गांव वालों का कहना है कि आकाश की सफलता आज के युवाओं के लिए मिसाल है। आकाशदीप ने अब तक अपने 38 मैचों के फर्स्ट-क्लास करियर में 128 विकेट लिए हैं।

विराट कोहली और माही के साथ फोटोज और रिएक्शन की तस्वीरें।
2 महीने से कैंसर पीड़ित हैं बहन
आकाशदीप ने रविवार को जीत के बाद अपनी बहन को याद किया। उन्होंने कहा कि उनकी बहन उनके इस शानदार प्रदर्शन को देखकर काफी खुश होगी। आकाशदीप ने मैच जीतने के बाद स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत में कहा, ‘मेरी बड़ी बहन पिछले दो महीने से कैंसर से जूझ रही है। अब वह ठीक है।
वह मानसिक रूप से जो कुछ भी झेल चुकी है, उसके बाद वह आज बहुत खुश होगी और मैं यह मैच उनको समर्पित करता हूं। मैं उसके चेहरे पर खुशी देखना चाहता हूं।
नेटवर्थ और ब्रांड वैल्यू में भी हुए मालामाल
आकाशदीप की नेटवर्थ अब करीब 40 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। वह बीसीसीआई के ग्रेड-सी खिलाड़ी हैं और 1 करोड़ रुपए सालाना पाते हैं। IPL और ब्रांड एंडोर्समेंट से उनकी कमाई करोड़ों में है।
