Wednesday, July 16, 2025
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NATO threatens to impose secondary sanctions on India, China and Brazil | NATO की भारत पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी: कहा- इंडियन PM हों या चीनी राष्ट्रपति, रूस को जंग रोकने को कहें, वरना नतीजा भुगतना होगा


ब्रसेल्स58 मिनट पहले

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नाटो महासचिव मार्क रूट 15 जुलाई को कैपिटल हिल में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सवालों का जवाब देते हुए। - Dainik Bhaskar

नाटो महासचिव मार्क रूट 15 जुलाई को कैपिटल हिल में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सवालों का जवाब देते हुए।

नाटो ने भारत, चीन और ब्राजील पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। नाटो महासचिव मार्क रूट ने बुधवार को कहा कि अगर आप चीन के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको यह समझना होगा कि रूस के साथ व्यापार जारी रखने का भारी नुकसान हो सकता है।

रूट ने बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन तीनों देशों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव डालना चाहिए, ताकि वह शांति वार्ता को गंभीरता से लें।

रूट ने तीनों देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अगर ये देश रूस से तेल और गैस खरीदना जारी रखते हैं तो इन देशों पर 100% सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

रूस बोला- अपनी नीतियां नहीं बदलेंगे

वहीं, रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने अमेरिका और नाटो की धमकियों को खारिज किया। उन्होंने कहा, रूस ट्रम्प के साथ बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन इस तरह के अल्टीमेटम मंजूर नहीं हैं।

रियाबकोव ने कहा कि रूस आर्थिक दबाव के बावजूद अपनी नीतियां नहीं बदलेगा और ऑप्शनल बिजनेस रूट तलाशेगा।

नाटो महासचिव की यह चेतावनी उस समय आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन को नए हथियार देने और रूस के व्यापारिक साझीदारों पर भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है।

अमेरिका अब यूक्रेन को पैट्रियट मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार देने वाला है, ताकि वह रूस के हमलों से बच सके।

सेकेंडरी प्रतिबंध के बारे में जानिए…

सेकेंडरी प्रतिबंध उन देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं जो सीधे प्रतिबंधित देश पर नहीं, लेकिन उसके साथ व्यापार करने वाले देशों या कंपनियों पर लगाए जाते हैं।

इसे आसान भाषा में ऐसे समझिए कि जैसे अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखा है। अगर अब भारत की कोई कंपनी ईरान से तेल खरीदती है, तो अमेरिका कह सकता है कि भारत की कंपनी ने हमारे प्रतिबंधों की अनदेखी की है, ऐसे में हम उन्हें सजा देंगे।

अमेरिका, ईरान से व्यापार करने वाली कंपनी को अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम से निकाल सकती है, जुर्माना लगा सकती है या व्यापार पर रोक लगा सकती है।

इसका असर ये होता है कि सेकेंडरी प्रतिबंध के डर के कारण बहुत सी कंपनियां ऐसे देशों से व्यापार करने से बचने लगती हैं।

दो दिन पहले ट्रम्प ने रूस पर 100% टैरिफ की धमकी दी ट्रम्प ने सोमवार को रूस पर यूक्रेन से जंग खत्म करने का दबाव डालने के लिए भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। ट्रम्प ने कहा था- मैं ट्रेड को कई चीजों के लिए इस्तेमाल करता हूं, लेकिन यह युद्ध खत्म करने के लिए बहुत अच्छा है।

ट्रम्प ने कहा था कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 50 दिन में यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं किया, तो उस पर 100% टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने बताया कि यह ‘सेकेंडरी टैरिफ’ होगा, जिसका मतलब रूस से तेल खरीदने वाले देशों, जैसे भारत और चीन, पर भी प्रतिबंध लगेगा।

ट्रम्प ने जिस वक्त रूस पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, नाटो के महासचिव मार्क रूटे भी उनके साथ मौजूद थे।

ट्रम्प ने जिस वक्त रूस पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, नाटो के महासचिव मार्क रूटे भी उनके साथ मौजूद थे।

सेकेंडरी प्रतिबंध का भारत पर क्या असर होगा?

भारत रूस से कच्चे तेल का एक बड़ा खरीदार है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया है। अगर सेकेंडरी प्रतिबंध लागू होते हैं, तो भारत पर इसके बुरे प्रभाव पड़ सकते हैं।

  • तेल आपूर्ति में रुकावट: भारत रूस से अपनी कुल तेल आयात का एक बड़ा हिस्सा खरीदता है। प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की आपूर्ति रुक सकती है। इससे भारत को वैकल्पिक स्रोतों (जैसे सऊदी अरब, इराक) से महंगा तेल खरीदना पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी।
  • आर्थिक नुकसान: अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद करता है, तो ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर आम जनता पर पड़ेगा। अगर भारत रूस के साथ व्यापार जारी रखता है, तो अमेरिका भारतीय कंपनियों या बैंकों पर प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे भारत का निर्यात और वित्तीय लेनदेन प्रभावित होगा।
  • ऊर्जा संकट: रूस से तेल आयात बंद होने पर भारत की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। वैश्विक तेल बाजार पहले से ही अस्थिर है, और नए प्रतिबंध इस स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं। भारत को तेल की कमी से बचने के लिए आपातकालीन योजनाएं बनानी पड़ सकती हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत को अमेरिका और नाटो के दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसकी विदेश नीति पर असर पड़ेगा। भारत को रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है।

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