नई दिल्ली15 घंटे पहले
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लोकसभा में बिल के बारे में बताते हुए खेल मंत्री मनसुख मांडविया।
सोमवार को लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल और नेशनल एंटी-डोपिंग संशोधन बिल, 2025 पास हो गया। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे आजादी के बाद से भारतीय खेलों में सबसे बड़ा सुधार बताया। इस दौरान विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR प्रक्रिया) और कथित वोट धोखाधड़ी के खिलाफ विरोध जारी रखा।
नेशनल स्पोर्ट्स बिल को लाने की शुरुआत 1975 से हुई थी। लेकिन हर बार राजनीतिक कारणों के चलते यह बिल कभी संसद नहीं जा पाया था।
बिल पास होने पर मनसुख मांडविया ने कहा-

यह आजादी के बाद का सबसे बड़ा खेल सुधार है। यह बिल खेल संघों में जवाबदेही, न्याय और बेहतर गवर्नेंस सुनिश्चित करेगा।”उन्होंने यह भी कहा कि यह बिल भारत के खेल तंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अफसोस है कि विपक्ष इसमें शामिल नहीं हुआ।
संसद में क्या हुआ? संसद में सुबह हंगामे के कारण सदन स्थगित हुआ, लेकिन दोपहर 2 बजे दोबारा शुरू होने पर दोनों बिल पास हो गए। विपक्ष के अधिकतर नेता उस समय सदन में नहीं थे, क्योंकि वे चुनाव आयोग के ऑफिस की ओर मार्च करते हुए हिरासत में ले लिए गए थे। बहस के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने बिल का समर्थन भी किया, लेकिन बाद में विपक्ष लौटकर नारेबाजी करने लगा। हंगामे के बीच बिल को वॉयस वोट से पास किया गया।

BCCI पर RTI लागू नहीं होगा BCCI अब भी RTI के दायरे में नहीं आएगा। खेल मंत्रालय ने नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में संशोधन किया है। इसके अनुसार, अब केवल उन्हीं खेल संगठनों को इसके दायरे में लाया गया है, जो सरकारी अनुदान और सहायता लेते हैं।
BCCI खेल मंत्रालय से कोई अनुदान नहीं लेता है। हालांकि विभिन्न संगठन कई बार BCCI को RTI (सूचना का अधिकार) के दायरे में लाने की मांग करते रहे हैं।
23 जुलाई को बिल पेश किया था खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने 23 जुलाई को लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 पेश किया था। इस बिल में खेलों के विकास के लिए नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बॉडी, नेशनल स्पोर्ट्स बोर्ड, नेशनल खेल इलेक्शन पैनल और नेशनल स्पोर्ट्स ट्रिब्यूनल बनाने के प्रावधान हैं। संसद में इस बिल को GPC में भेजने की मांग भी उठी है।
1975 से शुरुआत हुई नेशनल स्पोर्ट्स बिल को लाने की शुरुआत 1975 में हुई थी। लेकिन राजनीतिक कारणों से यह कभी संसद तक नहीं पहुंच सका था। 2011 में नेशनल स्पोर्ट्स कोड बना, जिसे बाद में बिल में बदलने की कोशिश हुई, लेकिन वह भी अटक गया। अब 2036 ओलिंपिक की बोली लगाने की तैयारी के तहत खेल प्रबंधन में पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय स्तर की व्यवस्था लाने के लिए इसे लाया गया है।
नेशनल स्पोर्ट्स बिल का उद्देश्य…

नेशनल एंटी-डोपिंग बिल क्या हैं नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 एक ऐसा कानून है जो भारत में डोपिंग रोकने की व्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक बनाने के लिए लाया गया है। इसका मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि भारत की नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) पूरी तरह स्वतंत्र तरीके से काम करे और उस पर सरकार का सीधा दखल न हो।
क्यों लाया गया?
- 2022 में नेशनल एंटी-डोपिंग एक्ट पास हुआ था, लेकिन WADA (वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी) ने इसमें कुछ आपत्तियां जताईं।
- WADA को यह आपत्ति थी कि भारत में बनाए गए नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग इन स्पोर्ट्स को NADA पर निगरानी और निर्देश देने का अधिकार था, जिसे उन्होंने “सरकारी हस्तक्षेप” माना।
- अगर WADA के नियमों का पालन नहीं होता, तो भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिबंध झेलना पड़ सकता था।
2025 में क्या बदलाव हुए?
- बोर्ड (नेशनल बोर्ड फॉर एंटी-डोपिंग) बना रहेगा, लेकिन अब उसके पास NADA पर कोई निगरानी या निर्देश देने का अधिकार नहीं होगा।
- NADA को ऑपरेशनल इंडिपेंडेंस (संचालन की पूरी स्वतंत्रता) दी गई है।
- इसका मतलब है कि डोपिंग से जुड़े फैसले केवल NADA के विशेषज्ञ और अधिकारी लेंगे, न कि सरकार या कोई राजनीतिक नियुक्त व्यक्ति।
फायदा क्या होगा?
- भारत का एंटी-डोपिंग सिस्टम WADA के नियमों के अनुरूप होगा।
- खिलाड़ियों को डोपिंग मामलों में निष्पक्ष जांच और सुनवाई मिलेगी।
- भारत की अंतरराष्ट्रीय खेलों में साख बनी रहेगी और कोई बैन या सस्पेंशन का खतरा नहीं रहेगा।