नई दिल्ली2 घंटे पहले
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इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने फिर देश में काम करने के घंटों को बढ़ाने की वकालत की है। मूर्ति ने सोमवार को एक इंटरव्यू में चीन के मशहूर ‘9-9-6 मॉडल’ (सुबह 9 से रात 9 बजे तक, हफ्ते में 6 दिन) का उदाहरण दिया।
मूर्ति ने कहा कि, ‘अगर भारत को चीन की तरह तेजी से आगे बढ़ना है तो युवाओं को हफ्ते में कम-से-कम 72 घंटे काम करना होगा।’ उन्होंने कहा कि देश के हर नागरिक, ब्यूरोक्रेट और कॉर्पोरेट लीडर को इसके लिए मेहनत करनी होगी।
मूर्ति ने आगे कहा कि भारत ने अब तक अच्छी प्रगति (6.57% की आर्थिक वृद्धि) की है, लेकिन चीन को पकड़ने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश करने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय युवाओं से चीन की तरह मेहनत करने को कहा।

यह पहली बार नहीं है जब नारायण मूर्ति ने लंबे काम के घंटों की वकालत की हो। साल 2023 में भी उन्होंने एक पॉड-कास्ट में भारतीय युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी।
इसके बाद सोशल मीडिया कई अलग-अलग धड़ों में बंट गया था। कई युवा इसे अव्यवहारिक और सेहत के लिए खतरनाक बता रहे थे, वहीं कुछ लोग उनकी बात से सहमत भी थे।
चीन में मशहूर 9-9-6 नियम को जानिए…

9-9-6 नियम खास तौर पर चीन की टेक कंपनियों जैसे अलीबाबा, टेनसेंट, हुवावे और जेडी डॉट कॉम में बहुत सालों तक चला।
हुवावे के संस्थापक रेन झेंगफेई ने एक बयान में कहा था कि “जो 9-9-6 नहीं करना चाहते, वे कंपनी छोड़ सकते हैं।” स्टाफ पर एक ही सैलरी में डबल काम करने का दबाब बनाया जाता था।
इससे स्टार्टअप को महंगे इंजीनियरों की बड़ी टीम रखने की जरूरत नहीं पड़ती थी। लगातार ओवरटाइम से कर्मचारियों में डिप्रेशन, चिंता, नींद की कमी आम हो गई।
कई युवाओं की अचानक मौत हुई। बढ़ते तनाव को देखते हुए साल 2021 में चीन की सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध घोषित कर दिया। फिर भी कई कंपनियां चुपके से इसे फॉलो करती रही हैं।
मूर्ति बोले थे- PM मोदी जैसा समर्पण चाहिए, हफ्ते में 100 घंटे काम करते
इससे पहले मूर्ति ने 2024 में कहा था कि देश के लोगों को काम के प्रति अपना रवैया बदलना चाहिए। उन्होंने अपने खुद के शेड्यूल का जिक्र किया। यह भी कहा कि पीएम मोदी हफ्ते में 100 घंटे काम कर रहे हैं। देश के नागरिकों को भी उनके जैसा समर्पण करना चाहिए।
काम के घंटे बढ़ाने के पक्ष में नारायण मूर्ति ने 4 बातें कहीं-
- मैंने हफ्ते में 6 दिन, रोजाना 14 घंटे काम किया है। मुझे 6 वर्किंग-डे वीक की जगह 5 वर्किंग-डे वीक के बदलाव पर निराशा हुई।
- जो लोग सबसे ज्यादा इंटेलिजेंट हैं वह भी लगातार एफर्ट किए बिना सफल नहीं हो सकते।
- जब पीएम मोदी हफ्ते में 100 घंटे काम कर रहे हैं तो देश के नागरिकों को भारत की प्रगति को आगे ले जाने के लिए अतिरिक्त घंटों के लिए काम करके उनके बराबर समर्पण करना चाहिए।
सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह देकर विवादों में रहे
अक्टूबर 2023: 2023 में नारायण मूर्ति ने देश के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने भारत को ग्लोबल लीडर बनाने के लिए युवाओं से कड़ी मेहनत करने को कहा था।
दिसंबर 2024: मूर्ति ने कहा था कि हमें अपनी आकांक्षाएं ऊंची रखनी होंगी, क्योंकि 800 मिलियन (80 करोड़) भारतीयों को मुफ्त राशन मिलता है। इसका मतलब है कि 800 मिलियन भारतीय गरीबी में हैं। अगर हम कड़ी मेहनत करने की स्थिति में नहीं हैं तो कौन कड़ी मेहनत करेगा।’

नारायण मूर्ति 20 जनवरी को इंडियन मर्चेंट्स चैंबर (IMC) के आयोजित किलाचंद मेमोरियल लेक्चर में शामिल हुए थे। उन्होंने 70 काम करने की वकालत की।
80% एम्प्लॉयज वर्किंग आवर के बाद ऑफिस कॉन्टैक्ट में नहीं रहना चाहते
ऑफिस के काम के घंटों के बाद भी 88% भारतीय ऑफिस से किसी न किसी तरह लगातार कॉन्टैक्ट में रहते हैं। ग्लोबल जॉब मैचिंग और हायरिंग प्लेटफॉर्म Indeed ने जुलाई से सितंबर 2024 के दौरान एक सर्वे करवाया था। इसके मुताबिक-
- 85% एम्प्लॉयज- अगर बीमारी की वजह से छुट्टी पर हों या पब्लिक हॉलिडे के दिन घर पर हों तब भी ऑफिस से कम्युनिकेशन बना रहता है।
- 79% एम्प्लॉयज- काम के घंटों (Working Hours) के बाद भी मौजूद ना रहने पर उन्हें बेइज्जत होना पड़ता है।
- 81% एम्प्लॉयज- सोशल लाइफ और वर्क लाइफ के बीच अंतर बनाकर नहीं रख पाते।
- हर 10 में से 8 एम्प्लायर्स वर्किंग प्लेस पर ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ पॉलिसी को लागू करने के पक्ष में हैं। इस पॉलिसी का मतलब है कि काम के तय घंटों के बाद एम्पलाई को उसके ऑफिस के काम या किसी भी और तरह के कम्युनिकेशन से पूरी तरह दूर रहने की आजादी मिलनी चाहिए।

भारत में ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ पॉलिसी लागू नहीं
भारत में अभी तक ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ पॉलिसी लागू नहीं है। हालांकि, केरल, भारत का ऐसा राज्य बनने की ओर बढ़ रहा है, जो कर्मचारियों की शिफ्ट पूरी होने के बाद उन्हें ऑफिस से पूरी तरह डिसकनेक्ट होने का कानूनी अधिकार देगा।
राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025 के तहत कर्मचारी शिफ्ट खत्म होने के बाद ऑफिस से आने वाले ईमेल, कॉल, मैसेज या मीटिंग रिक्वेस्ट को नजरअंदाज कर सकता है।
केरल का यह बिल पहली बार सितंबर 2025 में पेश किया गया था। इसका रिव्यू किया जा रहा है और कमेटी की मंजूरी और वोटिंग का इंतजार है।
ऐसे कानून की जरूरत क्यों?
इस कानून का मकसद काम और निजी जिंदगी के बीच एक बैलेंस बनाना है, ताकि कर्मचारी हमेशा ऑन कॉल रहने के तनाव से मुक्त हो सकें।
सेंटर फॉर फ्यूचर वर्क की 2022 की रिपोर्ट में पाया गया कि 71% कर्मचारियों ने तय घंटों से ज्यादा काम किया। लगभग एक-तिहाई लोगों ने ज्यादा थकान और चिंता से घिरे होने की बात कही। एक चौथाई से ज्यादा लोगों ने कहा कि इसका असर उनके निजी रिश्तों पर पड़ रहा है।
WHO-ILO के एक अध्ययन में भारत को ज्यादा काम से होने वाली मौतों के लिए सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में बताया गया है। भारतीय मजदूर अक्सर बिना ओवरटाइम पेमेंट के 10-11 घंटे काम करते हैं।

वर्क-लाइफ बैलेंस क्या है?
वर्क-लाइफ बैलेंस का मतलब है, काम और निजी जीवन (परिवार, स्वास्थ्य, दोस्त, शौक, आराम) के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना।
ताकि व्यक्ति न तो काम की वजह से जल्दी थके और न ही निजी जीवन की वजह से करियर में पीछे रह जाए। WHO और ILO के अनुसार, अच्छा वर्क-लाइफ बैलेंस होने पर:
- तनाव कम होता है
- मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है
- प्रोडक्टिविटी बढ़ती है
- नींद अच्छी आती है
- परिवार और रिश्तों में गर्माहट रहती है

1981 में नारायण मूर्ति ने इंफोसिस की स्थापना की थी
नारायण मूर्ति ने भारत के दूसरे सबसे बड़े टेक फर्म इंफोसिस की स्थापना 1981 में की थी। तब से लेकर 2002 तक कंपनी के CEO रहे थे। इसके बाद 2002 से 2006 तक बोर्ड के चेयरमैन रहे।
अगस्त 2011 में चेयरमैन एमेरिटस की उपाधि के साथ मूर्ति कंपनी से रिटायर हो गए थे। हालांकि, एक बार फिर कंपनी में उनकी एंट्री 2013 में एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर हुई। इस दौरान उनके बेटे रोहन मूर्ति उनके एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे थे।

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