दिल्ली में फैक्टरी चलाने वाले लोगों के लिए गुरुवार को एक बहुत ही अच्छी खबर आई है। राजधानी के अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्टरी मालिकों को अब दिल्ली नगर निगम (MCD) से अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। एमसीडी के नए नियमों के तहत फैक्टरी मालिकों की प्रॉपर्टी टैक्स रसीद को ही वैध फैक्टरी लाइसेंस माना जाएगा। एमसीडी ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके तहत दिल्ली सरकार और सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उद्यम (MSME) मंत्रालय के उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्रों को दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 416 और 417 के तहत ‘फैक्टरी लाइसेंस’ माना जाएगा।
लाइसेंस फीस के रूप में देना होगा सालाना प्रॉपर्टी टैक्स का पांच प्रतिशत
देश की राजधानी दिल्ली में कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिल्ली नगर निगम की आम बैठक में पारित प्रस्ताव से दिल्ली सरकार या दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (DSIIDC) द्वारा अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में एमसीडी द्वारा जारी फैक्टरी लाइसेंस की आवश्यकता खत्म हो गई है। इन औद्योगिक क्षेत्रों में कारोबार करने वाले फैक्टरी मालिक अब अपने सालाना प्रॉपर्टी टैक्स का पांच प्रतिशत लाइसेंस फीस के रूप में अदा करेंगे। एक ही रसीद, प्रॉपर्टी टैक्स भुगतान और फैक्टरी लाइसेंस, दोनों का प्रमाण होगा।
फैक्टरी मालिकों को मिलेगा अधिकारियों की वसूली से छुटकारा
दिल्ली नगर निगम के इस कदम से फैक्टरियों के लिए बार-बार निरीक्षण का दौर खत्म हो जाएगा और अधिकारियों द्वारा वसूली की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी। दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि नई व्यवस्था से एमसीडी अधिकारियों द्वारा अनावश्यक निरीक्षण कम होंगे। ये निश्चित रूप से दिल्ली के फैक्टरी मालिकों के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर है, क्योंकि इससे फैक्टरी मालिकों के लिए बार-बार का निरीक्षण का झंझट खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही, इंस्पेक्शन के नाम पर होने वाली वसूली से भी छुटकारा मिल जाएगा।