कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने एक नवंबर को कर्नाटक राज्योत्सव (Karnataka Rajyotsava) के अवसर पर केंद्र सरकार पर कन्नड़ भाषा (Kannada) की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र हिंदी और संस्कृत को तो भरपूर अनुदान देता है, लेकिन कन्नड़ जैसी शास्त्रीय भाषा (Classical Language) को वैसा समर्थन नहीं मिल रहा. सिद्धारमैया ने कहा कि केंद्र सरकार हिंदी और संस्कृत के प्रचार के लिए उदार अनुदान दे रही है, लेकिन कन्नड़ को उसी तरह का समर्थन नहीं मिलता यह भाषा के साथ अन्याय है.
सिद्धारमैया ने अपने भाषण में कहा कि कन्नड़ भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है. इसकी साहित्यिक परंपरा, संस्कृति और कला ने भारतीय सभ्यता को गहराई से प्रभावित किया है. फिर भी केंद्र सरकार की भाषा नीति में इसे वह प्राथमिकता नहीं दी जा रही, जो मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह स्थिति संवैधानिक समानता के सिद्धांत के खिलाफ है और केंद्र को तुरंत कदम उठाने चाहिए ताकि कन्नड़ भाषा के विकास के लिए अलग फंड और संस्थानिक ढांचा तैयार हो.
केंद्र पर भेदभाव का आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की भाषा नीति में हिंदी और संस्कृत को विशेष महत्व दिया जा रहा है, जबकि अन्य भारतीय भाषाएं कन्नड़, तमिल, तेलुगु, मराठी और मलयालम समान अवसरों से वंचित हैं. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सच में एक भारत, श्रेष्ठ भारत चाहता है तो उसे सभी भाषाओं को समान आर्थिक और नीतिगत समर्थन देना होगा.
कन्नड़ विरोधी रवैये का डटकर करें विरोध
मुख्यमंत्री ने लोगों से कहा कि वे कर्नाटक की भाषा, संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए एकजुट हों. कन्नड़ हमारी आत्मा है. कोई ताकत हमें हमारी भाषा से दूर नहीं कर सकती. उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे कन्नड़ दिवस, साहित्य उत्सव और स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर भाषा के संरक्षण में योगदान दें.
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