India GDP Growth: आर्थिक मोर्चे पर यह खबर निराश करने वाली है. एक तरफ जहां यूएस टैरिफ की वजह से पहले ही भारत की आर्थिक रफ्तार पर असर पड़ने की बात कई ब्रोकरेज फर्म्स ने अपने अनुमान में कही है, वहीं दूसरी तरफ समाचार एजेंसी रायटर्स ने अर्थशास्त्रियों का एक पोल कराया है. इस पोल में ज्यादातर ने राय दी है कि भारत की इकोनॉमी की रफ्तार अप्रैल-जून तिमाही में धीमी होकर 6.7 प्रतिशत के करीब रह सकती है.
भारत की धीमी रह सकती है रफ्तार
रायटर्स पोल 18 से 26 अगस्त के बीच किया गया था, जिसमें 70 अर्थशास्त्रियों से उनकी राय ली गई. इस दौरान यह अनुमान लगाया गया कि भारत की जीडीपी की रफ्तार पिछली तिमाही के 7.4 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 6.7 प्रतिशत रह सकती है. रायटर्स का यह पोल आरबीआई के हाल में किए गए अनुमान से थोड़ा ज्यादा है. आरबीआई ने दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
जीडीपी की धीमी रफ्तार की वजह
पोल के मुताबिक, औद्योगिक गतिविधियों और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में आई कमी को जीडीपी की सुस्ती की सबसे बड़ी वजह बताया गया. हालांकि सरकार की तरफ से पूंजीगत खर्च में इजाफा किया गया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकार ने पूंजीगत खर्च बढ़ाया, लेकिन उपभोक्ताओं की कमजोर मांग की वजह से प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में गिरावट दर्ज की गई.
पूंजीगत खर्च में इजाफा
जून के आंकड़ों के अनुसार, पूंजीगत खर्च सालाना आधार पर करीब 52 प्रतिशत तक बढ़ाया गया और लगभग 2.8 ट्रिलियन रुपये आधारभूत संरचनाओं पर खर्च किए गए. इसके साथ ही पीएम मोदी ने रोजमर्रा की उपभोग की वस्तुओं और छोटी कारों पर करों को कम करने का प्रस्ताव भी रखा है, ताकि मांग को बढ़ावा दिया जा सके.
आरबीआई के प्रयास और चुनौतियां
गौरतलब है कि देश की जीडीपी ग्रोथ को तेज करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. आरबीआई ने इस साल लगातार दो बार ब्याज दरों में कटौती कर कुल 75 बेसिस प्वाइंट की राहत दी है, जो उम्मीद से ज्यादा है. लेकिन इसका जीडीपी ग्रोथ पर बड़ा असर अभी तक नजर नहीं आ रहा है. साथ ही कई बैंकों ने कम ब्याज दरों का फायदा अभी तक उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाया है.