दुबई14 मिनट पहले
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भारत के इंग्लैंड दौरे पर बार-बार अंपायर्स का बॉल चेंज चर्चा में रहा। लॉर्ड्स टेस्ट में भी बार-बार गेंद बदलनी पड़ी, क्योंकि पुरानी गेंदें जल्दी खराब हो रही थीं। लॉर्ड्स टेस्ट की पहली पारी में तो भारतीय टीम द्वारा 80 ओवर के बाद ली गई नई गेंद 10 ओवर बाद ही खराब हो गई थी। वहीं, इसके बदले दी गई दूसरी गेंद को भी 8 ओवर बाद दोबारा बदलना पड़ा। इंग्लैंड की 112.3 ओवर की पारी में कुल पांच बार गेंदें बदली गई थीं।
भारतीय कप्तान शुभमन गिल, उप कप्तान ऋषभ पंत और मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ी रिप्लेसमेंट बॉल से नाराज दिखे। क्या आप जानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में बॉल बदलने के नियम क्या हैं। टेस्ट में बॉल किन-किन परिस्थितियों में बदली जा सकती है और बॉल को कैसे जांचते हैं…जैसे सवालों के जवाब हमने पूर्व BCCI पैनल अंपायर राजीव रिसोड़कर से जाने। राजीव एक टेस्ट मैच में फोर्थ अंपायर रह चुके हैं। इतना ही नहीं, वे 3 विमेंस वनडे मैच में अंपायरिंग कर चुके हैं। राजीव ने 200 से ज्यादा डोमेस्टिक मैचों में अंपायरिंग की है।

टेस्ट में बॉल बदलने के नियम
सवाल-1: टेस्ट क्रिकेट में बॉल किन-किन परिस्थितियों में बदली जा सकती है? टेस्ट क्रिकेट में 4 परिस्थितियों में गेंद को बदला जा सकता है।
- गुम जाए: अगर किसी शॉट से बॉल गुम जाए। बॉल स्टेडियम के बाहर चली जाती है।
- खराब हो: खराब होने पर गेंद को बदला जा सकता है। जैसे- गेंद की सीम कट जाए, सिलाई खुल जाए या फिर लेदर फट जाए।
- शेप बदल जाए: यदि बॉल का डीशेप हो गई है, तो इसे बदला जा सकता है। फिर चाहे बॉल का साइज बढ़ा हो या फिर छोड़ा।
- बॉल टैम्परिंग: अगर फील्ड अंपायर को लगता है कि गेंद के साथ छेड़छोड़ की गई है, तो अंपायर बॉल को बदल सकता है।
बॉल टैम्परिंग के मामले में अगर अंपायर गेंद खराब करने वाले फील्डर को पहचान ले, तो रिप्लेसमेंट बॉल का चयन पिच पर खेल रहे बल्लेबाज करते हैं। इसमें विपक्षी टीम को 5 रन पेनल्टी के रूप में मिलते हैं।
सवाल-2: अंपायर बॉल की क्वालिटी कैसे जांचते हैं? फील्ड अंपायर मैच के दौरान बॉल को बार-बार चेक करते रहते हैं। वे ओवर पूरा होने, विकेट गिरने और बॉल बाउंड्री के बाहर जाने के बाद गेंद को चेक करते हैं। बैटिंग या बॉलिंग टीम के अनुरोध या फिर अंपायर खुद से बॉल को जांच सकते हैं।
गेंद के आकार (शेप) का पता लगाने के गेज टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में गेंद को रिंग से गुजारा जाता है। गेज में 2 रिंग होती हैं। दोनों के साइज ICC के मापदंड के अनुसार होते हैं। एक का साइज बड़ा और दूसरे का छोटा होता है।
अगर गेंद एक रिंग से गुजरती है, लेकिन दूसरी से नहीं, तो वह गेज टेस्ट में पास मानी जाती है। वहीं, इसके उलट गेंद दोनों रिंग से गुजर जाती है, तो इसे गेज टेस्ट में फेल माना जाता है, क्योंकि गेंद का आकार तय मानक से बड़ा और छोटा नहीं हो सकता है।

सवाल-3: टेस्ट क्रिकेट में बॉल बदलने के नियम क्या हैं? टेस्ट क्रिकेट में पारी की शुरुआत नई गेंद से होती है। 80 ओवर का खेल होने के बाद गेंदबाजी टीम का कप्तान नई बॉल की मांग कर सकता है। हर पारी के बाद नई गेंद यूज होगी।
सवाल-4: रिप्लेसमेंट बॉल कहां से आती है, इनका रखरखाव कैसे होता है, बॉल लाइब्रेरी क्या है? रिप्लेसमेंट बॉल ‘बॉल लाइब्रेरी’ से लाई जाती है, जो फोर्थ अंपायर के पास रहती है। इसमें फोर्थ अंपायर पुरानी बॉल को रखते हैं। जो पिछले टेस्ट मैचों में उपयोग में लाई जा चुकी हैं।
साथ ही होस्ट एसोसिएशन भी पुरानी बॉल देते हैं। बॉल की कमी होने पर फोर्थ अंपायर दोनों टीमों से प्रैक्टिस बॉल भी मांग सकते हैं। बॉल को लाइब्रेरी में शामिल करने से पहले चौथा अंपायर हर गेंद को एक विशेष उपकरण (गोलाई नापने वाली रिंग) से जांचता है।
लाइब्रेरी में कितनी बॉल रखी जानी हैं, यह चौथा अंपायर जरूरत के हिसाब से तय करता है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड दौरे पर बॉल ज्यादा खराब हो रही हैं, तो वहां लाइब्रेरी पर रखी गई बॉल की संख्या ज्यादा होगी।
अगर बॉल कम खराब हो रही हैं, तो संख्या कम होगी। भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में आमतौर पर 20 तक विकल्प रखे जाते हैं, लेकिन कुछ देशों में 6-12 ही होते हैं।
सवाल-5: क्या पहले जैसी रिप्लेसमेंट गेंद मिलना मुमकिन है? बिलकुल नहीं, एकदम वैसी ही गेंद मिलना संभव नहीं होता। अंपायर कोशिश करते हैं कि जो गेंद बदली जा रही है, उसी जैसी रिप्लेसमेंट गेंद मिले। यह ज्यादा पुरानी भी हो सकती है और कुछ नई भी। एक 60 ओवर पुरानी गेंद किसी सूखी पिच पर 30 ओवर पुरानी गेंद का विकल्प बन सकती है।
लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन भारतीय टीम के साथ यही हुआ था, जब टीम इंडिया ने इंग्लिश पारी के कुछ ही ओवर के बाद गेंद बदलने की मांग की दी। नई बॉल गेज टेस्ट में फेल हो गई और भारत को पुरानी बॉल मिल गई। कप्तान गिल और सिराज इसी बात से नाखुश थे। जैसे लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन सुबह गेंद डी-शेप हो गई थी। लेकिन, स्विंग कर रही थी। अगर भारत खुद बदलाव की मांग न करता, तो गेंद नहीं बदलती।

लॉर्ड्स टेस्ट में अंपायर्स से रिप्लेसमेंट बॉल की शिकायत करते भारतीय खिलाड़ी।
सवाल-6: रिप्लेसमेंट बॉल का चयन कौन करता है? यह अधिकार फील्ड अंपायर्स का होता है। फील्ड अंपायर बैटर्स और गेंदबाजी टीम के कप्तान और गेंदबाज की मौजूदगी में रिप्लेसमेंट बॉल का चयन करता है।
सवाल-7 : क्या अंपायर गेंद को खुद बदल सकते हैं? हां, अगर अंपायर खुद गेंद को बदल सकता है। वह समय-समय पर बॉल को जांचता भी रहता है। अगर फील्ड अंपायर को लगता है कि बॉल खराब हो गई या फिर इसके साथ छेड़छोड़ हुई है तो अंपायर गेंद चेंज कर सकता है। इसमें गेंदबाज या कप्तान की सहमति जरूरी नहीं है। हालांकि यह बहुत कम होता है।
सवाल-8: गेंदबाजी टीम किन परिस्थितियों में गेंद बदलने की मांग कर सकते हैं? गेंदबाजी टीम बॉल खराब होने और डी-शेप होने की स्थिति में फील्ड अंपायर से बॉल बदलने की मांग कर सकता है। प्लेयर्स के कहने पर अंपायर बॉल की क्वालिटी जांचता है और फैसला लेता है कि बॉल बदली है या नहीं।
सवाल-9: किसी मैच में उपयोग की गई बॉल का क्या करते हैं? मैच समाप्त होने के बाद यूज की गई बॉल को अन्य मैचों की रिप्लेसमेंट बॉल के रूप में यूज करते हैं।
सवाल-10 : क्या किसी देश में किसी खास ब्रांड की गेंद यूज करने का नियम है या फिर विजटिंग टीम अपनी पसंदी की बॉल यूज कर सकती है? बॉल के इस्तेमाल को लेकर ICC के कोई खास दिशा-निर्देश नहीं हैं। सभी देश अपनी कंडीशन के लिहाज से बॉल का इस्तेमाल करते हैं। भारत में SG, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में ड्यूक, जबकि अन्य देशों में कूकाबुरा बॉल का इस्तेमाल किया जाता है। किसी देश में किस ब्रांड का इस्तेमाल किया जाना है। यह उस देश का क्रिकेट बोर्ड तय करता है। इस पर विजटिंग टीम सवाल नहीं कर सकती है।

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