Tuesday, July 22, 2025
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Income Tax Bill 2025: लोकसभा में पेश सेलेक्ट कमेटी रिपोर्ट, टीडीएस रिफंड-गुप्त दान समेत कई बदलाव की सिफारिश


Income Tax Bill 2025: लोकसभा की चयन समिति की ओर से सोमवार को सदन में आयकर विधेयक 2025 पर रिपोर्ट पेश की गई. कमेटी ने इसमें कई बड़े बदलावों की सिफारिश की है, जो करीब छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा. 4,575 पेज की रिपोर्ट में व्यक्तिगत करदाताओं को बिना किसी जुर्माने के नियत तिथि के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करके स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) रिफंड का दावा करने की अनुमति देने का सुझाव दिया गया है. इसे साथ ही, धार्मिक और परमार्थ न्यासों को दिए गए गुमनाम दान को टैक्स फ्री रखने का सुझाव दिया गया है.

नया इनकम टैक्स बिल पेश 

बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता गठित लोकसभा की सेलेक्ट कमेटी ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) की आय के प्रबंधन के तरीके में व्यापक बदलाव के सुझाव भी दिए गए हैं.

सेलेक्ट कमेटी का कहना है कि एनपीओ, विशेष रूप से धर्मार्थ और परमार्थ उद्देश्यों वाले संगठनों के लिए गुमनाम दान पर कर लगाने के संबंध में अस्पष्टता को दूर किया जाना चाहिए.  कमेटी ने गैर-लाभकारी संस्थाओं (एनपीओ) की ‘प्राप्तियों’ पर कर लगाने का विरोध किया है, क्योंकि यह आयकर अधिनियम के तहत वास्तविक आय कराधान के सिद्धांत का उल्लंघन है.

सेलेक्ट कमेटी ने सुझावों में ‘आय’ शब्द को फिर से लागू करने की सिफारिश की गई है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि केवल एनपीओ की शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाए. यह देखते हुए कि पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले ‘गुमनाम दान के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर’ है, समिति ने सुझाव दिया कि धार्मिक और परमार्थ न्यास (ट्रस्ट), दोनों को ऐसे दान पर छूट दी जानी चाहिए.

गुप्त दान पर 30 प्रतिशत टैक्स

आयकर विधेयक, 2025 के खंड 337 में सभी पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले गुप्त दान पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए स्थापित एनपीओ को ही सीमित छूट दी गई है. यह आयकर अधिनियम, 1961 की वर्तमान धारा 115बीबीसी से बिल्कुल अलग है. मौजूदा कानून में अधिक व्यापक छूट प्रदान की गई है.

इसके मुताबिक, अगर कोई ट्रस्ट या संस्था पूरी तरह से धार्मिक और परमार्थ कार्यों के लिए बनाई गई हो, तो गुप्त दान पर कर नहीं लगाया जाता है.  गौरतलब है कि ऐसे संगठन आमतौर पर पारंपरिक माध्यमों (जैसे दान पेटियों) से योगदान प्राप्त करते हैं, जहां दान देने वाले की पहचान करना असंभव है. संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति 1961 के अधिनियम की धारा 115बीबीसी में दिए गए स्पष्टीकरण के अनुरूप एक प्रावधान को फिर से लागू करने का पुरजोर आग्रह करती है.’’ 

नए आयकर विधेयक, 2025 की जांच करने वाली लोकसभा की 31 सदस्यीय प्रवर समिति ने यह भी सुझाव दिया कि करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख के बाद भी बिना किसी दंडात्मक शुल्क का भुगतान किए टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए. जिन व्यक्तियों को आमतौर पर कर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होती, उनके टीडीएस रिफंड दावों की वापसी के संबंध में समिति ने सुझाव दिया कि आयकर विधेयक में उस प्रावधान को हटाना चाहिए, जो करदाता के लिए नियत तिथि के भीतर आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य बनाता है.

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