लोकसभा में सोमवार को पारित नए आयकर विधेयक में मौजूदा कानून के कई अहम प्रावधानों को बरकरार रखने के साथ कुछ नए संशोधन भी शामिल किए गए हैं। आयकर (संख्या 2) विधेयक में टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) दावों के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की सुविधा और सभी धार्मिक एवं धर्मार्थ ट्रस्टों को गुमनाम दान पर मिली टैक्स छूट बरकरार रखी गई है। इस साल फरवरी में संसद में पेश किए गए मूल आयकर विधेयक में इन प्रावधानों को हटाने का प्रस्ताव रखा गया था।
नए इनकम टैक्स बिल में क्या बदलाव हुए हैं
आयकर (संख्या 2) विधेयक के प्रावधान 187 में ‘पेशा’ शब्द जोड़कर ऐसे पेशेवरों को, जिनकी सालाना प्राप्तियां 50 करोड़ रुपये से ज्यादा हों, निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यम अपनाने की सुविधा दी गई है। इसके अलावा, आय में घाटे को आगे ले जाने और समायोजित करने से संबंधित प्रावधानों को बेहतर ढंग से पेश करने के लिए नए सिरे से बनाया गया है। इसके अलावा टीडीएस दावों में सुधार के विवरण दाखिल करने की समयसीमा भी घटाकर दो साल कर दी गई है जो आयकर अधिनियम, 1961 में छह साल थी।
शिकायतों में काफी कमी आने की उम्मीद
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सूत्रों ने कहा, “इस प्रावधान से टैक्स कटौती की गई इकाइयों की शिकायतों में काफी कमी आने की उम्मीद है।” आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेने जा रहे आयकर (संख्या 2) विधेयक में प्रवर समिति की 21 जुलाई को पेश रिपोर्ट में की गई लगभग सभी सिफारिशों को जगह दी गई है। मूल आयकर विधेयक, 2025 को प्रवर समिति के पास भेजा गया था।
पंजीकृत एनपीओ को भी मिलेगी टैक्स छूट
प्रवर समिति ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) या धर्मार्थ ट्रस्टों को दिए गए दान पर कराधान के संबंध में आयकर विधेयक 1961 के प्रावधानों को बहाल करने का सुझाव दिया था। गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) को मिलने वाले गुमनाम दान के मामले में अब धार्मिक और धर्मार्थ दोनों उद्देश्यों वाले पंजीकृत एनपीओ को भी टैक्स छूट मिलेगी। हालांकि किसी धार्मिक ट्रस्ट को मिले ऐसे दान पर, जो अस्पताल एवं शैक्षणिक संस्थान चलाने जैसे अन्य धर्मार्थ कार्य भी करता हो, कानून के अनुरूप कर लगाया जाएगा।
प्राप्तियों की अवधारणा को आय की अवधारणा के साथ बदला गया
सूत्रों ने कहा, “विधेयक में गुमनाम दान पर कराधान से संबंधित प्रावधानों को आयकर अधिनियम, 1961 के मौजूदा प्रावधानों के साथ जोड़ दिया गया है। अब मिश्रित उद्देश्य वाले पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठनों को भी छूट उपलब्ध करा दी गई है।” इसके साथ ही ‘ ‘आय’ शब्द का इस्तेमाल कर एनपीओ की केवल वास्तविक आय पर ही टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया है। सूत्रों ने कहा, “आयकर अधिनियम, 1961 में रखी गई प्राप्तियों की अवधारणा को आय की अवधारणा के साथ बदल दिया गया है।”
डेडलाइन के बाद भी रिफंड का दावा कर सकेंगे लोग
इस विधेयक में उन लोगों को राहत दी गई है, जो निर्धारित समय के भीतर आईटीआर दाखिल करना बाध्यकारी न होने के बावजूद टीडीएस का रिफंड लेना चाहते हैं। पहले प्रस्तावित विधेयक में यह प्रावधान था कि टीडीएस रिफंड पाने के लिए करदाता को निर्धारित तारीख के भीतर ही आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा। लेकिन प्रवर समिति के सुझाव पर इसे बदल दिया गया है।
अब ऐसे व्यक्ति, जो आईटीआर दाखिल करने के लिए बाध्य नहीं हैं, निर्धारित समयसीमा बीत जाने के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा कर सकेंगे। विधेयक में एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के ग्राहकों को कर छूट से संबंधित प्रावधानों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा आयकर तलाशी मामलों में थोक आकलन की नई व्यवस्था और सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष को कुछ प्रत्यक्ष कर लाभ भी इसमें शामिल किए गए हैं।
पीटीआई इनपुट्स के साथ