ढाका7 घंटे पहले
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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक मॅाब लिंचिंग का मामला सामने आया है। जहां, एक हिंदू कबाड़ व्यापारी की भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी।
हमलावरों ने 9 जुलाई को मिटफोर्ड अस्पताल के पास कारोबारी लाल चंद सोहाग (39) को पहले ईंटों और पत्थरों से पीटा फिर सिर और शरीर बुरी तरह कुचल दिया।
भीड़ ने कारोबारी के कपड़े तक उतार दिए और कुछ हमलावर उनके शरीर पर कूदते-नाचते हुए देखे गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा की वजह जबरन वसूली और कारोबारी विवाद को बताया जा रहा है। हालांकि, अभी घटना के पीछे का असल मकसद सामने नहीं आया है।
घटना के बाद पूरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। हत्या की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी के गठन की मांग को लेकर वकील यूनुस अली अकंद ने रविवार को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की।
मामले में 19 आरोपियों को नामजद किया गया है, और 15-20 अज्ञात भी शामिल हैं। पुलिस ने अब तक पांच लोगो को गिरफ्तार किया है। मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।

बांग्लादेश में 2024 से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़ गए हैं।
बहन ने दर्ज कराई शिकायत
घटना को लेकर लाल चंद की बहन मंजुआरा बेगम (42) ने गुरुवार को पुलिस थाने में हत्या की शिकायत दर्ज कराई।
मामले में पुलिस ने महमूदुल हसन मोहिन, तारेक रहमान रॉबिन, आलमगीर, मोनिर और एक अन्य को गिरफ्तार किया है।
दोषियों को सजा की मांग को लेकर विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन
घटना के बाद हत्या के दोषियों के लिए कठोर सजा की मांग को लेकर बीती रात कई विश्वविद्यालयों और कुछ जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।
रैलियों में स्टूडेंट ने बीएनपी पर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
छात्र फेडरेशन के अध्यक्ष सैकत आरिफ ने कहा, “हसीना के सत्ता से हटने के बाद, बीएनपी नेता नियंत्रण के लिए आपस में लड़ रहे हैं, जिसके कारण हत्याएं हो रही हैं। बीएनपी को लगता है कि निष्कासन ही काफी है, लेकिन हम मांग करते हैं कि दोषियों पर मुकदमा चलाया जाए।”

ढाका विश्वविद्यालय परिसर में राजू स्मारक मूर्ति के पास शनिवार को विरोध प्रदर्शन हुए।
अप्रैल में हिंदू नेता की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी
बांग्लादेश में 19 अप्रैल, 2025 को अज्ञात लोगों ने एक बड़े हिंदू नेता की हत्या कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाबेश चंद्र रॉय (58) को उनके घर से किडनैप किया गया और पीट-पीटकर मार डाला गया था।
वे बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद की बीराल इकाई के उपाध्यक्ष थे। हिंदू समुदाय में उनकी बड़ी पकड़ थी। पुलिस ने बताया कि वे ढाका से 330 किमी दूर दिनाजपुर के बसुदेवपुर गांव के रहने वाले थे।
दो बाइक पर सवार होकर चार लोग भाबेश के घर आए और उन को जबरदस्ती उठाकर ले गए। चश्मदीदों के मुताबिक, उन्हें पास के नराबाड़ी गांव ले जाया गया और वहां बेरहमी से पीटा गया।
उसी शाम को ही हमलावरों ने भाबेश को बेहोश हालत में वैन से उनके घर भिजवा दिया। पहले उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, फिर दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद हिंदू निशाना बने
5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ था। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया।
बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, खासतौर पर हिंदू आए। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की जान चली गई। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न के 13 केस सामने आए। करीब 133 मंदिरों पर हमले हुए। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं।

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