GST Council: GST में सुधार का इंतजार कर रहे उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए अच्छी खबर है. सितंबर में जीएटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक होने की संभावना है. सरकारी सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी मिली है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में मौजूदा 5 टैक्स स्लैब (0 परसेंट, 5 परसेंट, 12 परसेंट, 18 परसेंट, 28 परसेंट) में से 12 परसेंट स्लैब को हटाकर स्लैब को स्टैंडर्ड और मेरिट दो हिस्सों में बांट दिया जाएगा. इससे जीएसटी को लेकर जटिलताएं कम हो जाएगी.
मौजूदा समय में जीएसटी की संरचना को चार मुख्य प्रकारों में बांटा गया है-
5 परसेंट स्लैब: चाय, चीनी, कॉफी और एडिबल जैसी जरूरी चीजें
12 परसेंट स्लैब: मक्खन, घी, प्रोसेस्ड फूड, बादाम, मोबाइल, फलों का रस, सब्जियों, फलों, मेवे वगैरह शामिल हैं.
18 परसेंट स्लैब: हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, आइसक्रीम और पास्ता जैसी रोजमर्रा की चीजें.
28 परसेंट स्लैब: कार, महंगे कपड़े-जुते, एयर कंडीशनर जैसी लग्जरी वस्तुएं और टोबैको उत्पाद इस स्लैब में शामिल हैं.
आम जनता को टैक्स के बोझ से राहत
विश्व बैंक की 2018 की एक रिपोर्ट में भारत में वस्तु एवं सेवा कर ( जीएसटी) प्रणाली को दुनिया की सबसे जटिल और दूसरा सबसे महंगा टैक्स सिस्टम करार दिया गया है. दुनिया के 49 देशों में सिंगल स्लैब और 28 देशों में दो स्लैब हैं. केवल पांच ही ऐसे देश हैं, जहां चार या उससे अधिक टैक्स स्लैब हैं. लगभग 21 परसेंट वस्तुएं 5 परसेंट की श्रेणी में, 19 परसेंट वस्तुएं 12 परसेंट श्रेणी में तथा 44 परसेंट वस्तुएं 18 परसेंट स्लैब में आती हैं. फिलहाल, 12 परसेंट टैक्स स्लैब को खत्म करने की बात की जा रही है. इसका मकसद रोजमर्रा की चीजों की कीमत घटाकर महंगाई को कम करना है. इससे देश की आम जनता को राहत मिलेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “मैं इस दिवाली एक बड़ा तोहफा देने जा रहा हूं. पिछले आठ सालों में हमने जीएसटी में एक बड़ा सुधार किया है और टैक्स सिस्टम को सरल बनाया है. अब, समीक्षा का समय आ गया है. हमने इसे पूरा कर लिया है, राज्यों के साथ परामर्श किया है, और अब ‘अगली पीढ़ी का जीएसटी सुधार’ लागू करने के लिए तैयार हैं.”
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