Saturday, August 16, 2025
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FY23 में 25.51% बढ़कर 2.39 लाख करोड़ रुपये रही रेलवे की आय, कैग की रिपोर्ट में सामने आईं ये बातें


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Photo:SOUTHERN RAILWAYS रेल मंत्रालय के खर्च में दर्ज की गई 11.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी

संसद में मंगलवार को भारतीय रेल की आय से जुड़ी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई। कैग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में यात्री एवं माल परिवहन से कुल 2,39,982.56 करोड़ रुपये कमाई की, जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 25.51 प्रतिशत ज्यादा है। 

रेल मंत्रालय के खर्च में दर्ज की गई 11.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में रेल मंत्रालय का कुल व्यय (खर्च) 4,41,642.66 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 11.34 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें 2,03,983.08 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय और 2,37,659.58 करोड़ रुपये राजस्व व्यय शामिल है। 

माल ढुलाई के मुनाफे से की गई यात्री परिचालन के घाटे की भरपाई

रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे के कुल कार्यशील व्यय का 72.22 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी, पेंशन और पट्टे पर लिए गए कोच/ इंजन के किराया भुगतान पर गया। कैग ने कहा कि रेलवे के माल भाड़े में कोयले की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 50.42 प्रतिशत रही। वित्त वर्ष 2022-23 में 2517.38 करोड़ रुपये का शुद्ध अधिशेष दर्ज किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में उसे 15,024.58 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालांकि, यात्री परिचालन में हुए 5257.07 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई माल ढुलाई के मुनाफे से पूरी की गई। 

माल ढुलाई से सबसे ज्यादा पैसा कमाती है रेलवे

बताते चलें कि भारतीय रेलवे के लिए माल ढुलाई ही कमाई का सबसे बड़ा जरिया है। भारतीय रेल यात्री सेवाओं से जितनी आय अर्जित करता है, उससे कई गुना ज्यादा आय माल ढुलाई से होती है। वित्त वर्ष 2023-24 में रेलवे ने माल ढुलाई से 1,68,293 करोड़ रुपये की आय अर्जित की थी, जबकि इस दौरान यात्री सेवाओं से सिर्फ 70,693 करोड़ रुपये की आय ही अर्जित हुई थी। 

कैग की रिपोर्ट में कई अनियमितताओं का इशारा

संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कैग ने भारतीय रेल के उत्तर पश्चिम, दक्षिण पूर्व मध्य और दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के कुछ बजट और लेखा नियंत्रण मामलों में अनियमितताओं की ओर भी इशारा किया, जिसमें बंद हो चुकी परियोजनाओं के मद में पैसों का आवंटन और अनुमानों से ज्यादा खर्च शामिल हैं। 

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