Monday, July 14, 2025
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French Macron Russia russia ukraine war india pakistan iran america conflict | मैक्रों बोले- रूस यूरोप की आजादी के लिए खतरा: आजादी के लिए डर पैदा करना जरूरी, और इसके लिए ताकतवर होना जरूरी


पेरिस36 मिनट पहले

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मैक्रों ने कहा कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार आजादी इतने खतरे में है। - Dainik Bhaskar

मैक्रों ने कहा कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार आजादी इतने खतरे में है।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस (बैस्टिल डे) से एक दिन पहले फ्रांसीसी सैनिकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार आजादी इतने खतरे में है।

मैक्रों ने रूस, यूक्रेन वॉर और साइबर क्राइम को यूरोप के लिए मुख्य खतरा बताते हुए कहा कि इस दुनिया में आजाद रहने के लिए डर पैदा करना जरूरी है, और डर पैदा करने के लिए ताकतवर होना जरूरी है।

2026 के लिए देश के रक्षा बजट में 3.5 अरब यूरो (35 हजार करोड़ रुपए) और 2027 में 3 अरब यूरो (27 हजार करोड़ रुपए) की बढ़ोतरी का ऐलान किया है।

डिफेंस बजट 64 अरब यूरो करने का टारगेट

मैक्रों फ्रांस के डिफेंस बजट में बढ़ोतरी करके देश की मिलिट्री क्षमता, आधुनिक हथियारों की सप्लाई और न्यूक्लियर पावर को मजबूत करना चाहते हैं। हालांकि मैक्रों का यह प्रस्ताव अभी फ्रांसीसी सरकार और संसद की मंजूरी के लिए पेंडिंग है।

2017 में फ्रांस का डिफेंस बजट 32 अरब यूरो (2.88 लाख करोड़ रुपए) था। मैक्रों ने इसे 2027 तक 64 अरब यूरो (5.76 लाख करोड़ रुपए) करने का टारगेट रखा है।

फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरो गुरुवार को अगले साल के बजट की घोषणा करेंगे, जिसमें इसकी पुष्टि हो सकती है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, उनकी पत्नी ब्रिजिट, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुबियांतो और कुवैत के अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा बैस्टिल दिवस सैन्य परेड में शामिल हुए।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, उनकी पत्नी ब्रिजिट, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुबियांतो और कुवैत के अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा बैस्टिल दिवस सैन्य परेड में शामिल हुए।

फ्रांस बोला- यूक्रेन युद्ध यूरोप के लिए स्थायी खतरा

मैक्रों ने यूक्रेन पर रूसी हमले का जिक्र करते हुए उसकी साम्राज्यवादी नीतियों की निंदा की। फ्रांसीसी सेना प्रमुख थिएरी बर्कहार्ड ने कहा कि रूस, फ्रांस को यूरोप में अपना सबसे बड़ा विरोधी मानता है और यूक्रेन युद्ध यूरोप के लिए “परमानेंट खतरा” है।

मैक्रों ने ईरान पर अमेरिकी बमबारी, भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष और यूक्रेन के लिए अमेरिकी समर्थन में उतार-चढ़ाव का भी जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने ग्लोबल ताकतों के बीच न्यूक्लियर हथियारों को लेकर बढ़ती होड़ का भी जिक्र किया।

फ्रेंच सैनिक बैस्टिल डे पर परेड निकालते हुए।

फ्रेंच सैनिक बैस्टिल डे पर परेड निकालते हुए।

पहले किला, फिर जेल के लिए मशहूर बैस्टिल बना क्रांति का प्रतीक

बैस्टिल डे को फ्रेंच रेवोल्यूशन के सिंबल के तौर पर देखा जाता है। दरअसल, 18वीं सदी के अंत में फ्रांस के आखिरी राजा लुइस XVI के शासन में बड़ा आर्थिक संकट आया था। 5 मई, 1789 को देश के स्टेट जनरल ने एक बैठक बुलाई, लेकिन इसमें थर्ड स्टेट के लोग यानी आम जनता को शामिल नहीं किया गया। सरकार के इस फैसले से देश के नागरिक नाराज हो गए। फ्रांस की जनता ने राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

बैस्टिल को पहले एक किले और फिर जेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसमें उन कैदियों को रखा जाता था, जिन्होंने राजद्रोह किया हो, या देश के शासक के खिलाफ आवाज उठाई हो। इन कैदियों को अपनी सजा के खिलाफ कहीं भी अपील करने का अधिकार नहीं था। फ्रांसीसी क्रांति यानी फ्रेंच रेवोल्यूशन के दौरान ये जेल कठोर शासन का प्रतीक बन गई थी।

14 जुलाई, 1789 को क्रांति के वक्त बड़ी तादाद में फ्रांस की जनता बैस्टिल जेल के बाहर जमा हुई। लोगों ने जेल पर हमला बोल दिया और यहां मौजूद सात कैदियों को छुड़ा लिया। ये फ्रांसीसी क्रांति की काफी महत्वपूर्ण घटना कही जाती है। इसे राजशाही शासन के अंत के तौर पर देखा जाता है।

ये पेंटिंग उस वक्त की है जब क्रांतिकारियों ने बैस्टिल जेल पर हमला कर दिया था। (क्रेडिट- हिस्ट्री चैनल)

ये पेंटिंग उस वक्त की है जब क्रांतिकारियों ने बैस्टिल जेल पर हमला कर दिया था। (क्रेडिट- हिस्ट्री चैनल)

अब तक सिर्फ 2 बार कैंसिल हुई बैस्टिल डे परेड

14 जुलाई 1880 को पेरिस में पहली बार बैस्टिल डे पर परेड का आयोजन किया गया था। इसके बाद से हर साल फ्रांस में बैस्टिल डे परेड होती आ रही है। इसमें राष्ट्रपति समेत कई डिग्निटरीज मौजूद रहते हैं। 1880 के बाद से आज तक सिर्फ 2 बार ऐसा हुआ है जब बैस्टिल डे परेड का आयोजन नहीं हुआ।

पहली बार 1940-1944 के दौरान वर्ल्ड वॉर 2 की वजह से ये परेड नहीं हुई थी। इसके बाद 2020 में कोरोना के चलते परेड कैंसिल कर दी गई थी। हालांकि, तब 14 जुलाई को आतिशबाजी हुई थी और हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए एक खास समारोह आयोजित किया गया था। इस बार की परेड में फ्रांस के मार्चिंग कंटिन्जेंट के 6300 सैनिक शामिल होंगे।

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