Monday, December 29, 2025
Homeअंतर्राष्ट्रीय समाचारDonald Trump Ministers Fund Raising; Election Campaign | US Politics | ट्रम्प...

Donald Trump Ministers Fund Raising; Election Campaign | US Politics | ट्रम्प ने सालभर में ₹18 हजार करोड़ चंदा लिया: बदले में करोड़ों के फायदे दिए; लिस्ट में सुंदर पिचाई और सत्या नडेला जैसे 6 भारतवंशी शामिल


वॉशिंगटन डीसी6 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी टीम ने बड़े पैमाने पर चंदा जुटाया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की जांच में सामने आया है कि चुनाव के बाद ट्रम्प और उनके करीबियों ने करीब 2 अरब डॉलर (18 हजार करोड़ रुपए) अलग-अलग फंड और योजनाओं के लिए इकट्ठा किए। यह रकम उनके इलेक्शन कैंपेन के लिए जुटाई गई राशि से भी ज्यादा है।

इस जांच के मुताबिक, टाइम्स ने सरकारी कागजात, फंडिंग रिकॉर्ड और कई लोगों से बातचीत करके पता लगाया कि कम से कम 346 बड़े दानदाता ऐसे हैं, जिनमें से हर एक ने 2.5 लाख डॉलर या उससे ज्यादा का चंदा दिया।

इन लोगों से ही करीब 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा की रकम आई। इनमें से लगभग 200 दानदाता ऐसे हैं, जिन्हें या जिनके कारोबार को ट्रम्प सरकार के फैसलों से फायदा मिला है। इनमें सुंदर पिचाई और सत्या नडेला जैसे 6 भारतवंशी बिजनेसमैन शामिल हैं।

इन फायदों में कई बातें शामिल हैं। किसी को राष्ट्रपति की तरफ से माफी मिली, किसी के खिलाफ चल रहे केस खत्म हो गए, किसी कंपनी को बड़े सरकारी ठेके मिल गए, तो किसी को सीधे व्हाइट हाउस तक पहुंच मिली या सरकार में बड़ा पद दिया गया।

हालांकि रिपोर्ट यह भी कहती है कि यह साबित करना मुश्किल है कि किसी ने पैसा दिया और बदले में सीधा फायदा मिला, लेकिन इतना जरूर है कि पैसे और फायदों का यह रिश्ता सवाल खड़े करता है।

ट्रम्प की टीम ने अलग अलग तरीके से पैसे जुटाए

ट्रम्प की टीम ने पैसा जुटाने के लिए कई अलग-अलग रास्ते बनाए हैं। इनमें सबसे बड़ा है MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) Inc., जो एक सुपर PAC है। PAC एक ऐसा संगठन होता है जो राजनीति के लिए पैसा इकट्ठा करता है और उस पैसे से किसी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन करता है।

इसने नवंबर 2024 से जून 2025 के बीच करीब 200 मिलियन डॉलर जुटाए। इसके अलावा ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह के लिए बनी कमेटी ने करीब 240 मिलियन डॉलर जुटाए, जो अमेरिका के इतिहास में सबसे ज्यादा है।

इतना ही नहीं, व्हाइट हाउस में एक शानदार बॉलरूम बनाने के लिए भी चंदा लिया जा रहा है। ट्रम्प का कहना है कि इसके लिए करीब 350 मिलियन डॉलर जुट चुके हैं, हालांकि टाइम्स को करीब 100 मिलियन डॉलर के दानदाताओं की पुष्टि मिली है। यह पैसा ‘ट्रस्ट फॉर दे नेशनल मॉल’ नाम के संगठन के जरिए लिया जा रहा है।

दान देने वालों का नाम उजागर करना जरूरी नहीं

इसके अलावा अमेरिका की आजादी के 250 साल पूरे होने पर होने वाले कार्यक्रमों के लिए बने संगठन ‘अमेरिका250’, व्हाइट हाउस हिस्टोरिकल एसोसिएशन और एक राजनीतिक समूह सिक्योरिंग अमेरिकन ग्रेटनेस के लिए भी पैसा जुटाया गया।

इनमें से कई जगह दान देने वालों के नाम सार्वजनिक करना जरूरी नहीं है, इसलिए पूरा सिस्टम काफी हद तक सीक्रेट बना हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प खुद इस पर नजर रखते हैं कि कौन कितना पैसा दे रहा है। उनकी फंडरेजिंग प्रमुख मेरिडिथ ओ’रूर्क उन्हें रेगुलर जानकारी देती हैं। कई लॉबिस्ट अपने क्लाइंट्स को सलाह देते हैं कि अगर ट्रम्प का ध्यान और पहुंच चाहिए, तो इन संगठनों को दान देना फायदेमंद हो सकता है।

दान के बदले कोई राजदूत बना, किसी को कॉन्ट्रैक्ट मिले

रिपोर्ट में बताया गया है कि एक महिला ने MAGA Inc. को 25 लाख डॉलर दिए और कुछ महीनों बाद उसके पिता को जस्टिस डिपार्टमेंट से रिश्वत मामले में बहुत कम सजा मिली।

इसी तरह एक इंजीनियरिंग कंपनी पार्सन्स ने बॉलरूम प्रोजेक्ट के लिए 25 लाख डॉलर दिए और वह ट्रम्प के गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम जैसे अरबों डॉलर के सरकारी ठेकों की दौड़ में है।

वीडियो गेम कंपनी रोब्लॉक्स के CEO ने भी बड़ा दान दिया और ट्रम्प की AI से जुड़ी नीतियों की तारीफ की। एक दंपती ने शपथ समारोह और MAGA Inc. को मिलाकर करीब 15 लाख डॉलर से ज्यादा दिए और बाद में उनके बेटे को फिनलैंड में अमेरिकी राजदूत बना दिया गया।

टेक कंपनी पैलेंटिर ने बॉलरूम के लिए 1 करोड़ डॉलर और अमेरिका250 को 50 लाख डॉलर दिए। इसके बाद उसे ट्रम्प सरकार से सैकड़ों मिलियन डॉलर के सरकारी ठेके मिले, जिनमें इमिग्रेशन विभाग के लिए सॉफ्टवेयर बनाना भी शामिल है। हालांकि कंपनी का कहना है कि यह सब दान की वजह से नहीं हुआ।

ट्रम्प ने खुद दाने वाले की व्हाइट हाउस में तारीफ की

कैसीनो कारोबारी मिरियम एडेलसन के फाउंडेशन ने बॉलरूम के लिए करीब 2.5 करोड़ डॉलर देने का वादा किया। ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में खुद उनकी तारीफ की और कहा कि उन्होंने उनके इलेक्शन कैंपेन में पहले भी बहुत पैसा दिया है।

डिफेंस कंपनियों लॉकहीड मार्टीन और बोइंग ने भी शपथ समारोह और अन्य प्रोजेक्ट्स को लाखों डॉलर दिए। इसके बाद इन्हें फाइटर जेट और डिफेंस से जुड़े बड़े सरकारी फैसलों से फायदा मिला।

कुछ मामलों में ट्रम्प ने दानदाताओं या उनसे जुड़े लोगों को राष्ट्रपति की माफी भी दी। एक इवेंट कंपनी के मालिक को, जिसकी कंपनी ने दान दिया था, बाद में ट्रम्प ने माफ कर दिया। इसी तरह MAGA Inc. को 10 लाख डॉलर देने वाली महिला के बेटे को टैक्स क्राइम के मामले में माफी मिल गई।

क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों ने भी ट्रम्प सपोर्टेड ग्रुप्स को लाखों डॉलर दिए। इसके बाद सरकार ने उनके खिलाफ चल रहे कई केस और जांचें खत्म कर दीं और क्रिप्टो के फेवर में पॉलिसी अपनाईं। ऑयल, गैस और कोयला कंपनियों ने भी करोड़ों डॉलर दिए और बदले में पर्यावरण नियमों में ढील और ड्रिलिंग की इजाजत मिली।

कई बिजनेसमैन ट्रम्प के साथ विदेश यात्रा पर गए

कम से कम 100 बड़े दानदाता ऐसे हैं जो ट्रम्प के साथ व्हाइट हाउस में निजी डिनर में शामिल हुए, विदेश यात्राओं पर गए और राष्ट्रपति से सीधे मिले। कई बार सरकार की ओर से इन्हें सोशल मीडिया और प्रेस रिलीज में तारीफ के साथ दिखाया गया।

व्हाइट हाउस ने इन सब आरोपों को नकारते हुए कहा है कि ट्रम्प का मकसद सिर्फ देश की भलाई है और दान देने वालों को शक की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई कारोबारी और दानदाता डरते हैं कि अगर उन्होंने पैसा नहीं दिया तो कहीं राष्ट्रपति नाराज न हो जाएं। इसलिए कुछ लोग दान को एक तरह की सुरक्षा भी मानते हैं।

ट्रम्प की टीम और ज्यादा फंड जुटाने की तैयारी में

ट्रम्प की टीम आगे भी फंड जुटाने की तैयारी में है। आने वाले महीनों में फिर बड़े डिनर रखे जाएंगे, जहां लाखों डॉलर देने वालों को ट्रम्प से मिलने का मौका मिलेगा। उनकी राष्ट्रपति लाइब्रेरी के लिए करीब 950 मिलियन डॉलर जुटाने की योजना है।

इसके अलावा ‘फ्रीडम 250’ नाम से नया कैंपेन शुरू किया गया है, जिसमें अमेरिका की आजादी के 250 साल पूरे होने पर बड़े कार्यक्रम और स्मारक बनाने के लिए पैसा इकट्ठा किया जाएगा।

कुल मिलाकर, न्यूयॉर्क टाइम्स की यह रिपोर्ट बताती है कि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में चंदा जुटाने का तरीका और पैमाना दोनों ही असाधारण हैं। भले ही सीधा रिश्वत का सबूत न हो, लेकिन इतना जरूर है कि इससे अमेरिकी राजनीति में पारदर्शिता और नैतिकता पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।

खबरें और भी हैं…



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments