Thursday, July 10, 2025
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Delhi Government School Part Time Teacher and guest teacher contract renew and salary hike ann


दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बड़ा फैसला लेते हुए राजधानी के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ा रहे 410 पार्टटाइम वोकेशनल टीचर्स (PTVTs) का कार्यकाल मार्च 2026 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. साथ ही, इन शिक्षकों के वेतन में भी इजाफा किया गया है. सरकार ने इसके लिए करीब 36 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया है.

किन टीचर्स को होगा फायदा?

इस फैसले से दिल्ली के स्कूलों में स्किल आधारित शिक्षा को रफ्तार मिलेगी. वहीं, छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा का लाभ बिना किसी रुकावट मिलता रहेगा. शिक्षा विभाग ने इन 410 शिक्षकों के कार्यकाल को 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें 402 योग्य और 8 गैर-योग्य शिक्षक शामिल हैं. इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल ने मंजूरी दे दी है. साथ ही, हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म स्ट्रीम में कार्यरत पार्टटाइम वोकेशनल दो टीचर्स के कॉन्ट्रैक्ट को भी 1 मार्च 2025 से 28 फरवरी 2026 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा चार सहायता प्राप्त वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत 9 और वोकेशनल टीचर्स को भी आने वाले शैक्षणिक वर्ष 2025-26 तक जारी रखा जाएगा. 

कब से रखे जा रहे पार्टटाइम टीचर्स?

दिल्ली में पार्टटाइम वोकेशनल टीचर्स की शुरुआत 1970 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में हुई थी. इसके बाद से ये शिक्षक कॉन्ट्रैक्ट या अस्थायी रूप से नियुक्त किए जाते रहे हैं. इसका मकसद स्कूली छात्रों को व्यावसायिक विषयों में शिक्षा देना है. वर्तमान में ये सभी शिक्षक कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को CBSE द्वारा लागू NSQF (नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क) के तहत ट्रेनिंग दे रहे हैं.

कितने पार्टटाइम टीचर्स कर रहे काम?

शिक्षा विभाग ने बताया कि वर्तमान में 505 वोकेशनल टीचर्स दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत हैं, जिनमें से 410 शिक्षक contingent-paid हैं, यानी कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम कर रहे हैं. बाकी 95 शिक्षक अस्थायी पदों पर नियुक्त हैं, जिनके कॉन्ट्रैक्ट हर साल बढ़ाए या नए बनाए जाते हैं.

क्या है इस कदम का मकसद?

बता दें कि दिल्ली में नए शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है और काफी शिक्षक रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में मौजूदा शिक्षकों को बनाए रखना जरूरी हो गया है, जिससे छात्रों को स्किल आधारित शिक्षा में कोई परेशानी न हो. सरकार का यह कदम व्यावसायिक शिक्षा की दिशा में एक मजबूत पहल माना जा रहा है.

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