हवाना1 घंटे पहले
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क्यूबा की श्रम मंत्री मार्ता एलेना फेटो कैबरेरा ने सोमवार को अपनी टिप्पणियों के बाद इस्तीफा दे दिया
क्यूबा की श्रम मंत्री मार्ता एलेना फेतो कैबरेरा को भिखारियों पर बयान देने की वजह से इस्तीफा देना पड़ गया। कैबरेरा ने सोमवार को संसद में कहा था कि क्यूबा में भिखारी जैसी कोई चीज नहीं है, लोग सिर्फ गरीब होने का दिखावा करते हैं।
जब मंत्री ने ऐसी बातें कहीं तो लोग नाराज हो गए। लोगों को लगा कि सरकार उनके दर्द और हालात को नहीं समझ रही। क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कैनेल ने भी संसद में बिना मंत्री का नाम लिए, उनकी आलोचना की।
उन्होंने कहा कि सरकार को संवेदनशील और जनता से जुड़ा हुआ होना चाहिए। हकीकत से अंधा नहीं होनी चाहिए। राष्ट्रपति की आलोचना के तुरंत बाद कैबरेरा ने इस्तीफा दे दिया, जिसे पार्टी ने स्वीकार भी कर लिया।

मार्ता एलेना फेतो कैबरेरा ने संसद में भिखारियों को लेकर बयान दिया था जिसकी काफी आलोचना हुई थी।
मंत्री ने कूड़ा चुनने वालों को टैक्स चोर कहा कैबरेरा ने संसद में कहा-

मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जो भिखारी जैसे लगते हैं, लेकिन उनके कपड़े और हाथ देखकर लगता है कि वे सिर्फ भिखारी होने का नाटक कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग सड़कों पर कारों के शीशे साफ करते हैं, वे आराम से रहते हैं और अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा शराब पर खर्च करते हैं।
मंत्री ने कूड़ा ढूंढने वालों पर भी निशाना साधा और कहा कि ये लोग आसानी से पैसा कमाने की कोशिश कर रहे हैं टैक्स चोरी कर रहे हैं।
क्यूबा इस वक्त एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वहां खाना, दवाओं और ईंधन की भारी कमी है। अब कई बुज़ुर्ग सड़कों पर भीख मांगते, कूड़ा बीनते या गाड़ियों के शीशे साफ करते दिखाई देने लगे हैं।

क्यूबा में गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है। कई लोग कचरा बेचकर जीवनयापन कर रहे हैं।
क्यूबा की इकोनॉमी लगातार गिर रही
क्यूबा एक ऐसा देश है जहां आमतौर पर सरकार की आलोचना नहीं की जाती, और विरोध प्रदर्शन भी कानूनी नहीं हैं। लेकिन इस बार मंत्री की बातों को लेकर इतनी भारी प्रतिक्रिया हुई कि वहां के साहित्यकारों, कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने भी खुले तौर पर विरोध किया और उनके इस्तीफे की मांग की।
अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि एक रिटायर व्यक्ति की पेंशन करीब 2,000 क्यूबाई पेसो होती है, जो ब्लैक मार्केट में सिर्फ 430 रुपए के बराबर है। इससे वे अंडों का एक डिब्बा भी नहीं खरीद सकते।
जिनके रिश्तेदार विदेश में हैं, वही किसी तरह अपना गुजारा कर पा रहे हैं। बाकी लोगों को भूखे रहना पड़ता है। स्थिति इतनी खराब है कि बीते पांच सालों में देश की इकोनॉमी में 11% तक गिरावट आ चुकी है।

क्यूबा में लगातार बिजली कटौती और ऊर्जा आपूर्ति की कमी ने उत्पादन को प्रभावित किया है, जिससे कीमतें बढ़ी हैं।
अमेरिकी प्रतिबंधों का भी क्यूबा पर असर पड़ा
क्यूबा सरकार इस आर्थिक बदहाली का दोष अमेरिका के पुराने प्रतिबंधों को देती है। अमेरिका ने 1960 में फिदेल कास्त्रो की क्रांति के बाद से क्यूबा पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा रखा है। क्यूबा का कहना है कि इन प्रतिबंधों की वजह से उन्हें वित्तीय लेनदेन, ईंधन और जरूरी सामान खरीदने में भारी दिक्कत होती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इन प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया, जबकि उनके पहले राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल में क्यूबा के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की थी। ओबामा क्यूबा जाने वाले 90 वर्षों में पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे और उन्होंने क्यूबा से तनाव घटाने के कई कदम भी उठाए थे।

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो (दाएं)। तस्वीर 22 मार्च 2016 की है। 1928 में कैल्विन कूलिज के बाद क्यूबा की यात्रा करने वाले वे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने।
अमेरिका ने क्यूबा के राष्ट्रपति पर प्रतिबंध लगाया अमेरिका ने इसी महीने 11 जुलाई को क्यूबा के राष्ट्रपति डियाज-कैनेल समेत कई मंत्री-अधिकारी और हवाना के एक लग्जरी होटल पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं।
इससे क्यूबा की पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था पर और असर पड़ा है। पर्यटन क्यूबा के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि हर साल लाखों लोग इस द्वीप पर घूमने आते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में क्यूबा का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 9,296 डॉलर था, जिससे यह एक उच्च मध्यम आय वाला देश माना गया था। लेकिन पिछले 5 साल में हालात काफी बिगड़ चुके हैं।
आज क्यूबा ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। इसकी एक बड़ी वजह वेनेजुएला भी है। यह देश पहले क्यूबा को सब्सिडी वाला तेल देता था, लेकिन अब खुद आर्थिक संकट में है।
