बीजिंग4 मिनट पहले
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चीन के वैज्ञानिकों ने ऐसी मैग्लेव ट्रेन का सफल परीक्षण किया है, जो सिर्फ दो सेकेंड में 700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच गई। यह इतनी तेज है कि आंखों से उसे ठीक से देख पाना भी मुश्किल हो जाता है।
इस सुपरफास्ट ट्रेन का टेस्ट चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने किया। करीब एक टन वजन वाली इस ट्रेन को 400 मीटर लंबे खास ट्रैक पर चलाया गया।
टेस्ट के दौरान ट्रेन ने कुछ ही पलों में रिकॉर्ड स्पीड पकड़ ली और फिर उसे सुरक्षित तरीके से रोक भी दिया गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अब तक की सबसे तेज सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रिक मैग्लेव ट्रेन है।
इंजीनियरों की टीम पिछले 10 साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। इसी साल जनवरी में इसी ट्रैक पर ट्रेन को 648 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचाया गया था, लेकिन अब 700 किमी प्रति घंटे का आंकड़ा पार कर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।
पटरियों को नहीं छूती है मैग्लेव ट्रेन
टेस्ट का वीडियो सामने आया है, जिसमें ट्रेन बिजली की चमक की तरह ट्रैक पर दौड़ती नजर आती है और पीछे हल्की सी धुंध छोड़ जाती है। मैग्लेव ट्रेन की खास बात यह है कि यह पटरियों को छूती ही नहीं है।
इसमें लगे ताकतवर मैग्नेट ट्रेन को हवा में उठा देते हैं और आगे की ओर धक्का देते हैं। चूंकि पहियों और पटरी के बीच कोई संपर्क नहीं होता, इसलिए घर्षण नहीं बनता और ट्रेन बहुत ज्यादा तेज रफ्तार से चल सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस ताकत से यह ट्रेन आगे बढ़ती है, उसी तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में रॉकेट लॉन्च करने में भी किया जा सकता है। अगर इस तकनीक को पैसेंजर ट्रेनों में अपनाया गया, तो बड़े-बड़े शहरों के बीच का सफर कुछ ही मिनटों में पूरा हो सकेगा।
हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट की नींव रख सकती है ये ट्रेन
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह तकनीक भविष्य की हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट की नींव रख सकती है। हाइपरलूप में ट्रेनें वैक्यूम जैसी बंद ट्यूबों में बेहद तेज रफ्तार से चलेंगी, जिससे सफर और भी तेज और सुरक्षित हो जाएगा।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिकों ने कई मुश्किल तकनीकी समस्याओं को हल किया है। इसमें बेहद तेज इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम से ट्रेन को आगे बढ़ाना, हवा में स्थिर रखना, अचानक बहुत ज्यादा बिजली की जरूरत को संभालना और ताकतवर सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट का इस्तेमाल शामिल है।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर ली जी ने कहा कि इस अल्ट्रा हाई-स्पीड मैग्लेव सिस्टम की सफलता से चीन में सुपरफास्ट ट्रेनों पर रिसर्च और विकास को नई दिशा मिलेगी और भविष्य में और तेज ट्रेनें बनाने का रास्ता खुलेगा।
करीब 30 साल पहले इसी यूनिवर्सिटी ने चीन की पहली मैग्लेव ट्रेन बनाई थी, जिसमें लोग सफर कर सकते थे। इसके साथ ही चीन यह तकनीक विकसित करने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया था।


