पाकिस्तान की राजनीति और सेना एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार वजह है एक बड़ा संवैधानिक कदम 27वां संशोधन बिल. पाकिस्तान के कानून मंत्री आज़म नजीर तारड़ ने इसे हाल ही में सीनेट में पेश किया है. यह बिल पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है. माना जा रहा है कि अगर यह बिल पास हो गया, तो फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को ‘कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ (CDF) का नया संवैधानिक पद मिल सकता है. यह पद भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की तरह होगा, जो देश की तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायुसेना का प्रमुख होता है.
कानून मंत्री तारड़ ने संसद में बताया कि इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह भारत के साथ लगातार बढ़ते तनाव हैं. उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध के तरीके अब पूरी तरह बदल चुके हैं. साइबर अटैक, ड्रोन युद्ध और गुप्त अभियानों के इस दौर में सेना की संरचना को और मजबूत करना जरूरी हो गया है. उनका कहना था कि कई अहम सैन्य पद पहले आर्मी एक्ट के तहत तो थे, लेकिन पाकिस्तान के 1973 के संविधान में उनका कोई उल्लेख नहीं था. इसीलिए अब सरकार चाहती है कि सेना की शीर्ष कमान को भी संविधान में दर्ज किया जाए, ताकि उसे कानूनी और संवैधानिक शक्ति मिल सके.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी हलचल
भारत द्वारा 7 मई को चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की राजनीति और सेना में अचानक हलचल बढ़ गई. भारत ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया था. बताया जाता है कि इस हमले में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी सैन्य कार्रवाई की, लेकिन हालात गंभीर होने से पहले ही 10 मई को दोनों देशों ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी.
इसी दिन पाकिस्तान में एक और बड़ी घटना हुई आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया. यह पाकिस्तान के इतिहास में दूसरी बार हुआ है. इससे पहले, 1959 में अय्यूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल बनाया था. इस फैसले के बाद यह सवाल उठने लगे कि क्या पाकिस्तान में सेना एक बार फिर राजनीतिक शक्ति हासिल करने की दिशा में बढ़ रही है.
क्या होगा ‘CDF’ पद का असर?
अगर यह 27वां संशोधन बिल पास हो गया, तो आसिम मुनीर पाकिस्तान के इतिहास में सबसे शक्तिशाली सैन्य अधिकारी बन जाएंगे. ‘कमांडर ऑफ डिफेंस फोर्सेज’ यानी CDF का पद सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों पर सर्वोच्च अधिकार देगा. इसका मतलब यह होगा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की सैन्य मामलों में भूमिका सीमित हो सकती है. अब असली सैन्य निर्णय और रणनीति CDF के हाथों में होगी.
यह पद भारत के CDS के समान होगा, जो तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और युद्धकालीन समन्वय सुनिश्चित करता है. पाकिस्तान के लिए यह एक नया प्रयोग होगा, जो उसकी सैन्य और राजनीतिक व्यवस्था को पूरी तरह बदल सकता है.
आसिम मुनीर की सैलरी और सुविधाएं
हालांकि पाकिस्तान सरकार ने अभी आधिकारिक तौर पर CDF पद की सैलरी और सुविधाओं की जानकारी नहीं दी है. रिपोर्ट्स के अनुसार ये पद फील्ड मार्शल से लगभग 30 प्रतिशत अधिक वेतन वाला हो सकता है. इसके अलावा इस पद के साथ आजीवन सरकारी सुरक्षा, विशेष आवास, विदेश नीति में सलाहकार की भूमिका और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता जैसे विशेषाधिकार भी दिए जा सकते हैं.
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