Monday, August 11, 2025
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CAG report: दिल्ली सीएम ने वित्त वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट पेश की, रेवेन्यू सरप्लस में 55% गिरावट, जानें डिटेल


विधानसभा को संबोधित करतीं दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता।

Photo:IMAGE FROM VIDEO GRAB POSTED@GUPTA_REKHA विधानसभा को संबोधित करतीं दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता।

दिल्ली विधानसभा के मॉनसून सत्र में सोमवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार का रेवेन्यू सरप्लस (राजस्व अधिशेष) 55.30% की गिरावट के साथ ₹14,457 करोड़ से घटकर ₹6,462 करोड़ पर आ गया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने वित्तीय लेखा और अनुदान लेखा से जुड़ी दो प्रमुख रिपोर्टें सदन के पटल पर रखीं। इन रिपोर्टों में सरकार के बजटीय प्रबंधन, वित्तीय जवाबदेही और व्यय की गुणवत्ता का गहराई से विश्लेषण किया गया है।

राजस्व में गिरावट, लेकिन सकल राज्य घरेलू उत्पाद मजबूत

कैग रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व प्राप्तियों में गिरावट के बावजूद दिल्ली का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) पिछले पांच वर्षों में औसतन 8.79% की दर से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2019-20 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद ₹7.93 लाख करोड़ था, जो 2023-24 में बढ़कर ₹11.08 लाख करोड़ तक पहुंच गया। अकेले 2023-24 में ही सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 9.17% की वृद्धि दर्ज की गई। दिल्ली सरकार का कुल बजट आउटले भी लगातार बढ़ा है। यह 2019-20 में ₹64,180.68 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹81,918.23 करोड़ हो गया, जो कि 7.14% की औसत वृद्धि दर को दर्शाता है।

दिल्ली सरकार का राजकोषीय घाटा कम हुआ

इसी तरह, राजस्व व्यय ₹39,637 करोड़ (जीएसडीपी का 5%) से बढ़कर ₹50,336 करोड़ (जीएसडीपी का 4.54%) हो गया। यह व्यय कुल सरकारी खर्च का 81% से 83% तक का हिस्सा रहा, और इसमें 6.51% की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि दिल्ली सरकार का राजकोषीय घाटा 2022-23 के ₹4,566 करोड़ से घटकर 2023-24 में ₹3,934 करोड़ पर आ गया। हालांकि, राजस्व और व्यय के बीच अंतर सरकार के सामने बढ़ते वित्तीय तनाव को दर्शाता है।

 ₹3,500 करोड़ फंड पड़ा रहा बेकार

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक अहम ऑडिट रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में राजधानी में निर्माण श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन में अनियमितताओं और उनके कल्याण पर बेहद कम खर्च को उजागर किया गया है, जबकि 2019 से 2023 के बीच सरकार के पास ₹3,500 करोड़ से अधिक का फंड उपलब्ध था।

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