
डीप स्लीप को स्लो-वेव स्लीप भी कहा जाता है. यह नींद का सबसे गहरा और रिस्टोरेटिव स्टेप है, जब शरीर और दिमाग दोनों पूरी तरह से रिपेयर और रिस्टोर होते हैं. इस दौरान मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, हार्मोन बैलेंस रहते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. यही वजह है कि गहरी नींद को सेहत और मानसिक संतुलन दोनों के लिए जरूरी माना जाता है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर गहरी नींद पूरी न हो तो शरीर में भूख बढ़ाने वाले हार्मोन ज्यादा बनने लगते हैं, जिससे बार-बार खाने की इच्छा होती है. यही नहीं, लगातार डीप स्लीप की कमी डिप्रेशन, मूड स्विंग और कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याओं से भी जुड़ी है. बच्चों में यह स्टेज और भी अहम है क्योंकि इसी दौरान ग्रोथ और लर्निंग तेजी से होती है.

तो सवाल ये है कि अगर आपको गहरी नींद नहीं मिल रही, तो इसका पता कैसे चले? डॉक्टरों के मुताबिक, सुबह उठकर अगर लगे कि शरीर पर बोझ है, दिमाग सुस्त है या दिनभर स्टिमुलेंट्स पर निर्भर रहना पड़ रहा है, तो यह गहरी नींद की कमी का संकेत हो सकता है. इसके अलावा चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन और लगातार थकान भी इसी ओर इशारा करते हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि गहरी नींद पाने के लिए सबसे पहले नींद की बेसिक हाइजीन दुरुस्त करनी चाहिए. रात में कैफीन और शराब से दूरी बनाएं, सोने से पहले मोबाइल और टीवी से बचें और बेडरूम को ठंडा और अंधेरा रखें. साथ ही दिनभर का तनाव कम करने की कोशिश करें, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य सीधे नींद को प्रभावित करता है.

दूसरा उपाय है जल्दी सोने की आदत डालना. शरीर की बॉयोलॉजिकल क्लॉक सबसे ज्यादा डीप स्लीप रात की शुरुआत में देती है. यानी अगर आप देर से सोएंगे तो नींद का यह अहम हिस्सा कट जाएगा. इसलिए थकान महसूस होते ही सो जाना बेहतर है.

कई बार हेल्थ कंडीशन्स भी डीप स्लीप में बाधा डालती हैं. स्लीप एपनिया एक ऐसी समस्या है, जिसमें नींद बार-बार टूटती है और गहरी नींद अधूरी रह जाती है. अगर लगातार सुबह उठकर लगता है कि नींद पूरी नहीं हुई, तो डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.

आखिर में, कुछ दवाइयां भी नींद पर असर डाल सकती हैं. ब्लड प्रेशर और माइग्रेन के लिए दी जाने वाली बीटा ब्लॉकर्स या कुछ एंटीडिप्रेसेंट्स गहरी नींद को कम कर सकती हैं. ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.

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Published at : 29 Oct 2025 10:10 PM (IST)


