Thursday, November 20, 2025
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Azoospermia: क्या है एजोस्पर्मिया, जिसमें ‘जीरो’ हो जाता है मर्द का स्पर्म काउंट?



Zero Sperm Count In Men: अगर आप पिता बनना चाहते हैं और आपको अचानक पता चले कि आपका स्पर्म काउंट एकदम से जीरो हो गया है. आपको लग रहा होगा कि ऐसा थोड़ी होता है, लेकिन ऐसा होता है और इसे एजोस्पर्मिया कहा जाता है. एजोस्पर्मिया वह स्थिति है, जब पुरुष के सेमन में बिल्कुल भी स्पर्म मौजूद नहीं होते. यह दो तरह की हो सकती है ऑब्स्ट्रक्टिव, जिसमें किसी रुकावट की वजह से स्पर्म सेमन तक पहुंच ही नहीं पाते, और नॉन-ऑब्स्ट्रक्टिव, जिसमें समस्या स्पर्म बनने की प्रक्रिया में ही होती है. चलिए आपको बताते हैं कि यह समस्या कब होती है और इसका इलाज क्या है.

कितनी आम है यह समस्या?

अब सवाल आता है कि कितनी आम है यह समस्या, इसका जवाब है काफी ज्यादा. अगर इनफर्टिलिटी से लगभग 10 प्रतिशत पुरुष जूझ रहे हैं, तो उनमें कुल मिलाकर 1 प्रतिशत पुरुषों में एजोस्पर्मिया पाई जाती है.

एजोस्पर्मिया होने की वजहें क्या हैं?

इसके होने के कई कारण हो सकते हैं. कुछ जेनेटिक कंडीशंस जैसे क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट जैसे कीमोथेरेपी या रेडिएशन और कई दूसरे कारण भी. सबसे सीधी वजह वेसैक्टमी भी हो सकती है, जिसमें स्पर्म बाकी फ्ल्यूइड्स में मिल ही नहीं पाते. कई मामलों में वजह पूरी तरह समझ नहीं आती जैसे गर्भावस्था या बचपन में खराब टेस्टिक्युलर डेवलपमेंट.

इस दिक्कत से कैसे निपटा जाए

hopkinsmedicine के अनुसार, सबसे पहले तो किसी पुरुष इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट से मिलें. इसके बाद एक दोबारा सीमन एनालिसिस कराना जरूरी है. ऐसी लैब में जो स्पर्म टेस्टिंग में माहिर हो, क्योंकि अलग-अलग जगहों की रिपोर्टों में काफी फर्क आ सकता है. यह भी जरूरी है कि यह पता चले कि थोड़ी मात्रा में स्पर्म मौजूद हैं या नहीं, क्योंकि इससे इलाज का रास्ता पूरी तरह बदल सकता है. पहले लगभग हर एजोस्पर्मिक पुरुष का बायोप्सी किया जाता था ताकि यह तय हो सके कि समस्या ऑब्स्ट्रक्टिव है या नॉन-ऑब्स्ट्रक्टिव. लेकिन अब आमतौर पर बायोप्सी अकेले नहीं की जाती, क्योंकि ज्यादातर मामलों में बिना बायोप्सी के भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि रुकावट है या स्पर्म बन ही नहीं रहे.

टेस्टिकुलर डिसेक्शन के दौरान यह पाया गया है कि टेस्टिस के अलग-अलग हिस्सों में स्पर्म बनने की स्थिति अलग हो सकती है. कहीं कम स्पर्म बन रहे होते हैं, कहीं मैचुरेशन रुक जाती है, और कहीं स्पर्म बनाने वाली सेल्स ही मौजूद नहीं होतीं. इसी वजह से सिर्फ डायग्नोस्टिक बायोप्सी अक्सर इलाज को नहीं बदलती.

इलाज कैसे तय होता है?

यह पूरी तरह मरीज पर निर्भर है. पार्टनर की उम्र, दोनों की प्रजनन क्षमता, मेडिकल रिपोर्ट, परिवार की योजनाएं और आर्थिक परिस्थिति जैसे कई कारक इलाज तय करते हैं.
कुछ लोगों में रुकावट दूर करना जैसे वेसैक्टमी रिवर्सल, कुछ में हानिकारक दवाएं या नशे छोड़ना, कुछ में हार्मोनल समस्याएं ठीक करना और कुछ में वैरिकोसील की सर्जरी मददगार हो सकती है. कई पुरुषों में सीधे टेस्टिस से स्पर्म निकालकर ART ही सबसे बेहतर रास्ता होता है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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