सिडनी52 मिनट पहले
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अहमद ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर फायरिंग कर रहे आतंकी को पीछे से दबोच लिया और राइफल छीन कर लोगों की जान बचाई।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रविवार को बॉन्डी बीच पर जश्न मना रहे लोगों पर दो आतंकियों ने हमला किया। इस दौरान 44 साल के अहमद अल-अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान बचाई।
अहमद अंधाधुंध फायरिंग कर रहे आतंकी साजिद अकरम से निहत्थे भिड़ गए। उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए पीछे से आतंकी पर झपट्टा मारा और उससे बंदूक छीन ली, जिससे कई लोगों को सुरक्षित निकलने का मौका मिल गया। इस हमले में एक आतंकी समेत 16 लोगों की मौत हुई है।
लोग अब अहमद को ‘ऑस्ट्रेलिया का नया हीरो’ कह रहे हैं। अहमद जब आतंकी साजिद से मुठभेड़ करने जा रहे थे, तब उनके भाई ने उन्हें रोका था। तब उन्होंने कहा था, ‘अगर मुझे कुछ हुआ तो परिवार को बताना कि मैं लोगों की जान बचाते हुए मारा गया।’

ऑस्ट्रेलिया में अहमद ने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाई।
अब पढ़िए अहमद ने कैसे लोगों की जान बचाई…
अहमद हनुक्का उत्सव में शामिल होने आए थे
अहमद अल अहमद बॉन्डी बीच पर अपने चचेरे भाई जोजाय अलकंज के साथ हनुक्का उत्सव में शामिल होने आए थे। दोनों कॉफी पीने बाहर निकले थे। कुछ ही मिनटों बाद ताबड़तोड़ गोलीबारी की आवाजें सुनाई दी।
अहमद ने देखा कि दो लोग भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग कर रहे हैं। लोग चीखते-चिल्लाते भाग रहे थे। अहमद और जोजाय कारों के पीछे छिप गए। जोजाय डर से कांप रहे थे, अहमद ने उन्हें शांत करते हुए हमलावरों से निपटने की बात कही।

अहमद ने पीछे से आतंकी को पकड़ लिया और उसकी राइफल छीन ली।
अहमद ने आतंकी साजिद को धक्का मारकर गिराया
जोजाय ने अहमद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपने भाई की बात नहीं सुनी। वे कारों के पीछे से हमलावरों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। अहमद निहत्थे थे, लेकिन अपनी जान की परवाह किए बिना मौका मिलते ही सीधे हमलावर की ओर दौड़ पड़े।
उन्होंने पीछे से झपट्टा मारकर 50 साल के आतंकी साजिद अकरम की राइफल छीन ली और उसे धक्का मारकर दूर गिरा दिया। अहमद ने राइफल आतंकी पर तान दी, जिससे डरकर वो पीछे की ओर भागने लगा। उन्होंने आतंकी से गन छीनकर कई लोगों की जान बचाई।

अहमद ने आतंकी साजिद अकरम की राइफल छीनने के बाद उसे धक्का मारकर दूर गिरा दिया।
दूसरे आतंकी की गोलियों से घायल हुए
आतंकी अहमद से डरकर भाग गया। तब उन्होंने राइफल एक पेड़ के पास रख दी। लेकिन तभी दूसरी तरफ से आतंकी के बेटे नवीद अकरम ने उन पर हमला कर दिया। दो गोलियां अहमद के बाएं कंधे में लगीं। वे बेहोश होकर गिर पड़े।
अहमद के चचेरे भाई मुस्तफा ने बताया कि अहमद को बंदूक चलानी नहीं आती थी। इसीलिए वे आतंकी पर फायरिंग नहीं कर पाए। वे बस आतंकी को डराते रहे, लेकिन तब तक पीछे से उन्हें गोली लग गई।
अहमद ने मुस्तफा से कहा कि उसे नहीं पता कि उस क्षण उसे क्या हुआ था, ईश्वर ने उसे ऐसी शक्ति दी जो उसने पहले कभी नहीं महसूस की। अहमद ने कहा कि उसे हर कीमत पर लोगों को बचाना था।

अहमद को देख कर हमलावर साजिद डर गया और दूर भागने लगा।

अहमद को बंदूक चलानी नहीं आती थी, इसलिए वे आतंकी पर फायरिंग नहीं कर पाए।
अहमद की हालत स्थिर, बोले- फिर करना पड़े तो दोबारा करूंगा अहमद फिलहाल सेंट जॉर्ज अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी सर्जरी हो चुकी है और वे ठीक हो रहे हैं। अस्पताल से अहमद की तस्वीर सामने आई है। उन्होंने कहा है कि अगर दोबारा जरूरत पड़ी तो वे फिर ऐसा ही साहसिक कदम उठाएंगे।
उनके पिता ने बताया कि अहमद अच्छे मूड में हैं। मैं खुदा का शुक्रिया अदा कर रहा हूं कि मेरे बेटे ने निर्दोष लोगों को हत्यारों से बचाया। जब अहमद की मां को पता चला कि उनके बेटे ने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जानें बचाई हैं, तो वे रोने लगीं।

तस्वीर अस्पताल में भर्ती अहमद अल अहमद की है।

आतंकी के बेटे नवीद अकरम ने अहमद पर हमला कर दिया। दो गोलियां अहमद के बाएं कंधे में लगीं।
गृहयुद्ध के चलते सीरिया से भागकर ऑस्ट्रेलिया आए थे अहमद
अहमद मूलत: सीरिया के हैं। वे गृहयुद्ध के कारण 2006 में सीरिया से भागकर ऑस्ट्रेलिया आए थे। उनकी एक तंबाकू की दुकान है। अहमद पांच और छह साल की दो बेटियों के पिता हैं।
अहमद के वकील ने मीडिया को बताया कि 2019 में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया था, क्योंकि एनएसडब्ल्यू पुलिस ने उन पर चोरी का सामान रखने का आरोप लगाया था।
बाद में आरोप हट गए और 2022 में उन्हें नागरिकता मिली। नागरिकता मिलने के बाद अहमद खुद को ऑस्ट्रेलियाई समाज का कर्जदार मानते हैं।
अहमद के वकील ने कहा कि अहमद एक अच्छे नागरिक हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। अब उनकी बहादुरी के इनाम के रूप में वे अहमद के बुजुर्ग माता-पिता को भी नागरिकता दिलाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से इसके लिए अपील भी की है।
ट्रम्प बोले- बहादुर व्यक्ति ने लोगों को बचाया, मेरे मन में बहुत सम्मान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी अहमद की बहादुरी की तारीफ की। ट्रम्प ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया में एक बहादुर व्यक्ति ने हमलावरों में से एक पर सीधे हमला किया। उन्होंने कई लोगों की जान बचाई, जिस व्यक्ति ने ऐसा किया, उसके प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है।”
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलियाई लोग खतरे में भी दौड़कर दूसरों की मदद करते हैं। ये हीरो हैं और उनकी बहादुरी ने जानें बचाईं।’
न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर क्रिस मिन्स ने भी कहा कि इस मुश्किल और दुख की घड़ी में भी ऑस्ट्रेलियाई बहादुर हैं, जो अजनबियों के लिए जान जोखिम में डालते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि उनकी बहादुरी की वजह से आज रात कई लोगों की जान बची है।

अहमद के बाएं हाथ में करीब पांच गोलियां लगी हैं। इसके अलावा एक गोली बाएं कंधे के पीछे की हड्डी में फंसी हुई है।
लोगों ने फंडिंग कर अहमद के लिए ₹3.43 करोड़ जुटाए
लोगों ने अहमद के लिए 570,000 डॉलर (₹3.43 करोड़) से अधिक की फंडिंग जुटाई है। ऑस्ट्रेलिया की क्राउडफंडिंग साइट GoFundMe पर करीब 5700 लोगों ने एक कैंपेन चलाया था। दानदाताओं में अमेरिकी अरबपति बिल एकमैन भी शामिल हैं, जिन्होंने 100,000 डॉलर का दान दिया है।
पूरे देश में लोग अहमद की सेहत के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। उम्मीद है कि वे जल्द अपनी बेटियों और परिवार के पास लौटेंगे।
आतंकी साजिद रेजिडेंट रिटर्न वीजा पर रह रहा था
ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री टोनी बर्क ने खुलासा किया है कि आतंकी साजिद अकरम 1998 में छात्र वीजा पर ऑस्ट्रेलिया आया था। उसने वेरेना नामक ऑस्ट्रेलियाई महिला से शादी की और अपना वीजा पार्टनर वीजा में बदल लिया। तब से वह रेजिडेंट रिटर्न वीजा पर था। यानी साजिद अकरम के पास ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता नहीं थी।
बर्क ने यह नहीं बताया कि अकरम ऑस्ट्रेलिया में कहां से आकर बसा था। हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि वह पाकिस्तान से आया था। अकरम के बेटे नवीद का जन्म 2001 में ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। वह एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक है।

बॉन्डी बीच के पास आतंकी साजिद और नवीद ने एक ब्रिज से हनुक्का त्योहार मना रहे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग की।
यहूदियों पर हमले की लोकेशन

हनुक्का फेस्टिवल मना रहे यहूदियों को निशाना बनाया गया
रविवार को घटना के वक्त यहूदी समुदाय के लोग हनुक्का फेस्टिवल मना रहे थे। यह यहूदियों का खास त्यौहार है, जो 14 दिसंबर से शुरू हुआ था।
बॉन्डी बीच पर हुई सामूहिक गोलीबारी की घटना के बाद मेलबर्न में आयोजित होने वाला हनुक्का फेस्टिवल रद्द कर दिया गया।
ऑस्ट्रेलिया की कुल यहूदी आबादी करीब 1,17,000-1,20,000 है, जिसमें से लगभग आधी (53,000 से 60,000) मेलबर्न शहर में रहती है।
2021 जनगणना में विक्टोरिया (जिसमें मेलबर्न मुख्य है) में 46,000 यहूदी दर्ज हुए, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि असली संख्या 60,000 के करीब है।

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