आकाश चोपड़ा टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव विश्वरंग-2025 में शामिल होने के लिए भोपाल पहुंचे थे।
भारतीय टीम की हालिया टेस्ट हारों के बाद कोचिंग स्टाफ, सिलेक्टर्स और खिलाड़ियों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई विवादों ने भी माहौल को गरमाया है। इसी बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर और लोकप्रिय विश्लेषक आकाश चोपड़ा ने टीम इंडिया की स्थिति पर बे
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उन्होंने कहा कि हार को किसी एक वजह से जोड़ना बेहद आसान तरीका है, जबकि असलियत में कई कारण एक साथ असर करते हैं। सिलेक्टर्स और कोच को लेकर फैल रही गलत धारणाओं पर भी उन्होंने खुलकर जवाब दिया।
बता दें कि आकाश चोपड़ा टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव विश्वरंग-2025 में शामिल होने के लिए भोपाल पहुंचे थे।
गौतम गंभीर को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं
कोच गौतम गंभीर को लेकर उठ रहे सवालों को आकाश चोपड़ा ने पूरी तरह गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि किसी एक व्यक्ति को दोष देना आसान है, लेकिन क्रिकेट अकेले कोच की नहीं, पूरी टीम की जिम्मेदारी है। अगर कोच ने टीम को जीत दिलाई है तो उसी तरह हार में खिलाड़ियों, सिलेक्टर्स और सपोर्ट स्टाफ की जिम्मेदारी भी बराबर होती है।
चोपड़ा ने स्पष्ट किया कि कोच खिलाड़ियों का सुझाव देता है लेकिन अंतिम फैसला सिलेक्टर्स का होता है। “अगर कोच ही सब करता है तो एशिया कप और चैंपियंस ट्रॉफी की सफलता का पूरा श्रेय भी गंभीर को दे दो” उन्होंने तीखे लहजे में कहा।

मोहम्मद शामी।
आकाश चोपड़ा बोले- चयन में पारदर्शिता है, फोन न उठाने वाली बात गलत
मोहम्मद शमी के चयन न होने पर उठी पारदर्शिता की कमी वाली बहस पर आकाश चोपड़ा ने साफ कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि शमी के साथ चयनकर्ता खुद खेले हुए लोग हैं। यह मानना ही गलत है कि उन्होंने फोन उठाया और सामने से किसी ने जवाब न दिया।
उन्होंने कहा, “नहीं, मेरे विचार में पारदर्शिता है। सेलेक्टर ने उनसे बात भी की है। शमी के साथ चयनकर्ता खुद खेले हुए लोग हैं, फिर चाहे वह अजीत अगरकर हों या आरपी सिंह। मैं यह मानने के लिए तैयार ही नहीं हूं कि शमी के फोन उठाया हो और किसी ने सामने से जवाब न दिया हो। और इसके उलट, मैं यह भी मानने को तैयार नहीं हूं कि सेलेक्टर ने खुद फोन उठाकर शमी को ‘ना’ कहा हो।”
“मैसेजिंग या कम्युनिकेशन का अर्थ यह नहीं होता कि मैं और आप एक बात पर सहमत हों। हम असहमत भी हो सकते हैं। और वह सिर्फ संदेश भर से भी हो सकता है। जरूरी नहीं है कि कम्युनिकेशन का मतलब यह हो कि मैं आपकी बात सुनूं और उसे मान भी लूं।”
सरफराज विवाद पर दुख, फॉर्म से आएगी वापसी
सरफराज खान को लेकर सोशल मीडिया और कुछ प्लेटफॉर्म्स पर चल रहे विवाद को आकाश चोपड़ा ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सरफराज ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन मौजूदा फर्स्ट क्लास सीजन में उनका फॉर्म थोड़ा गिरा है, इसी कारण चयन रुका है।
इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। चोपड़ा ने यह भी कहा कि सरफराज को लेकर जो विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह भारतीय क्रिकेट की छवि के अनुरूप नहीं। “वह रन बनाएंगे तो टीम में जरूर आएंगे, भारतीय क्रिकेट योग्यता पर चलता है, विवाद पर नहीं”, उन्होंने यह बात जोर देकर कही।

रवींद्र भवन में विश्वरंग कार्यक्रम में शामिल हुए आकाश चोपड़ा।
हार का दोष किसी एक को नहीं दिया जा सकता
आकाश चोपड़ा का मानना है कि भारतीय टेस्ट टीम की हारों को किसी एक फैक्टर या खिलाड़ी पर आरोप लगाकर नहीं समझा जा सकता। वह कहते हैं कि पिच से लेकर टीम संयोजन और खिलाड़ियों की चोट तक कई चीजें एक साथ नतीजे तय करती हैं।
ढाई दिन में मैच खत्म होने वाली पिचों ने भी टीम को नुकसान पहुंचाया है। बैटिंग ऑर्डर में लगातार बदलाव से स्थिरता प्रभावित होती है। चोपड़ा कहते हैं कि अगर एक सीरीज हार भी गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि टीम में सोचने की क्षमता खत्म हो गई है। हार में कई हिस्सेदारी होती है और उन्हीं से सीखकर टीम और मजबूत बनेगी।
टेस्ट क्रिकेट छोड़ने की मानसिकता भारतीय टीम में नहीं
आकाश चोपड़ा ने टेस्ट फॉर्मेट को लेकर उठ रही चिंताओं को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि टेस्ट हमारे क्रिकेट की रीढ़ है। एक सीरीज हारने पर विदाई की बातें करना गलत है। WTC साइकिल में क्वालीफाई नहीं कर पाए तो बड़े करियर पर भी असर पड़ता है।
सभी की सोच टेस्ट जीतने की है, चाहे खिलाड़ी हों या कोच। वहीं चोपड़ा के मुताबिक, टेस्ट क्रिकेट में टॉप-5 में लगातार छेड़छाड़ नुकसान करती है। KL राहुल और शुभमन गिल जैसे सेट खिलाड़ी, वहीं खेलें, जहां उनका रोल फिट बैठता है। बैटिंग ऑर्डर बार-बार बदलने से भरोसा और फोकस दोनों प्रभावित होते हैं।
गिल की चोट से टीम को बड़ा नुकसान
कठिन परिस्थितियों में एक इन-फॉर्म खिलाड़ी का बाहर होना टीम को महंगा पड़ा है, कोलकाता में हम 30 रन से हारे थे। शुभमन गिल दो इनिंग मिलाकर इतने रन निकाल देते तो नतीजा बदल सकता था। कई बार छोटा फर्क बड़े परिणाम ला देता है।


