भारत-पाकिस्तान और इजरायल-ईरान संघर्ष के दौरान काफी समानताएं देखने को मिली. इस वॉर ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर इसलिए भी खींचा, क्योंकि इस दौरान युद्ध के तौर-तरीके भी बदले हुए दिखाई दिए. अब लड़ाई सिर्फ लड़ाकू विमानों और मिसाइल हमलों तक ही सीमित नहीं रह गई है बल्कि साइबर अटैक, अवेयरनेस और लोगों के बीच बात पहुंचाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की हो गई है.
इजरायली वेबसाइट वायनेट की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल और भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित युद्ध और साइबर संचालन को लेकर अपनी क्षमताएं विकसित की हैं. भारत ने इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ तो इजरायल ने ईरान पर हमले के दौरान किया. ये दिखाता है कि सूचना पर कंट्रोल भी वॉर में निर्णायक भूमिका निभा सकता है.
इजरायल ने ईरान के खिलाफ किया एआई का इस्तेमाल
इजरायल ने ईरान के खिलाफ जून में ऑपरेशन राइजिंग लायन शुरू किया. इसमें HUMINT, SIGINT और अत्याधुनिक AI कंट्रोल्ड सिस्टम के पूर्ण-स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया गया. इजरायल ने ईरान की परमाणु फैसिलिटी, कमांड सेंटर और हथियारों के काफिले पर सटीक हमले किए गए. मिनटों में टारगेट पता कर उसे नष्ट किया गया.
इजरायल के ये सटीक हमले एआई से लैस क्लोज्ड लूप टारगेटेड सिस्टम की वजह से संभव हुए. इसे रियल टाइम के वीडियो विश्लेषण, मानवरहित लड़ाकू ड्रोन और वितरित स्वायत्त अग्नि नियंत्रण प्रोटोकॉल के जरिए ऑर्गेनाइज किया गया. इसके साथ ही इजरायली साइबर अभियानों ने ईरानी वित्तीय संस्थानों, वाटर सिस्टम और डिजिटल प्लेटफॉर्म को निशाना बनाया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने क्या किया ?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने (6-7 मई, 2025) की रात को पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया. इस दौरान सशस्त्र ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल और बहुस्तरीय खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया गया. भारत ने पाकिस्तान के कई शहरों में आतंकी ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमले किए.
इजरायल के ऑपरेशन अम कलावी की तरह ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने दिखाया कि नैरेटिव की लड़ाई भी वॉर के साथ-साथ चलती है. भारत ने सैटेलाइट तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से ये बताने में कामयाबी पाई कि पाकिस्तान में किस तरह से आतंकी ठिकाने और एयर बेस निशाना बनाए गए हैं. इजरायली मीडिया का कहना है कि यह दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को भी दिखाता है.
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