Wednesday, December 31, 2025
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दुनिया के टॉप 5 सबसे खतरनाक टैंक, जंग के मैदान में मचा देते हैं तबाही, पहाड़ से जमीन सब हो जाएगा धुआं-धुआं!


दुनिया के अधिकतर हिस्सों में इस समय जंग की वजह से अस्थिरता का माहौल बना हुआ है. ऐसे तमाम बड़ा देश अपनी रक्षा के लिए सैन्य साजों-सामान के साथ अपनी ताकत बढ़ा रहा है. अमेरिका से लेकर रूस, चीन और भारत तक अपनी सैन्य ताकत में जुटा हुआ है. दुनिया में कई देशों के पास ऐसे-ऐसे खतरनाक टैंकों हैं, जो एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है.

1. अमेरिका का M1A2 अब्राम टैंक

डिफेंस वेबसाइट 19fortyfive की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के खतरनाक टैकों में पहले नंबर पर अमेरिका का M1A2 अब्राम है. अमेरिकी सेना का यह सबसे खतरनाक टैंक को जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स से लैस है.यह की तरह के गोले दागने में सक्षम है, जिससे यह बख्तरबंद वाहनों, पैदल सेना और कम उड़ान वाले हवाई जहाजों को आसानी से निशाना बना सकता है.

ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड ने अपनी सेनाओं को मजबूत करने के लिए इस टैंक का ऑर्डर दिया है. इसे टैंक-रोधी मिसाइलों और ड्रोन के खतरे को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. इसमें SEPv3 का कवच लगाया है, जो इजरायल में बनता है. यह 360 डिग्री के घेरे में टैंक-रोधी मिसाइलों के खतरे से बचाता है.

2. जर्मनी का लेपर्ड 2A7 टैंक

जर्मनी का यह टैंक उनकी सेना के मुख्य हथियारों में से एक है, जो दुनियाभर में विश्वसनीय है. इसमें एमटीयू 1500 एचपी इंजन का उपयोग किया गया है. यह टैंक शक्तिशाली L/55A1 तोप, एडवांस मारक क्षमता, नए सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी विशेषताओं लैस है. टैंक की अधिकतम रफ्तार 70 किमी/घंटा है. इसमें Rh-120 L/44 120 मिमी या Rh-120 L/55 120 मिमी राइनमेटल गन लगी हुई है. 

इसके लेटेस्ट वर्जन को साल 2021 में जर्मन वायु सेना) में शामिल किया गया, जिसका वजन लगभग 66.5 टन है और इसमें एमटीयू 1500 एचपी इंजन का उपयोग किया गया है. बारूदी सुरंगों से सुरक्षा के लिए इसके निचले भाग को खास तरीके से डिजाइन किया गया है. इसमें गोला-बारूद के लिए उन्नत गन बैरल, टीसी और जीएनआर के लिए तीसरी पीढ़ी का एफएलआईआर, बीएमएस (बैटलफील्ड मैनेजमेंट सिस्टम), बेली और लोअर ग्लेसिस कवच, और एपीएस लगा है.

3. दक्षिण कोरियाई K-2 ब्लैक पैंथर टैंक

आधुनिक तकनीक और हाई स्पीड वाला यह टैंक दक्षिण कोरिया की सेना को गजब ताकत प्रदान करता है. इसे एशिया के सबसे एडवांस टैंकों में से एक भी माना जाता है. यह टैंक प्रति मिनट 10 से 15 राउंड फायर कर सकता है. पोलैंड अपनी सेना का विस्तार करने की योजना बना रहा है और K2 टैंक को पोलिश टैंक बलों की नई रीढ़ की हड्डी के रूप में देखा जा रहा है. K2 टैंक में 120 मिलीमीटर की स्मूथबोर तोप, 12.7 मिलीमीटर (.50 कैलिबर) की हेवी मशीन गन और 7.62 मिलीमीटर की नाटो-मानक सेकेंडरी मशीन गन है. इन टैंकों का कवच स्टील और सिलिकॉन कार्बाइड सिरेमिक प्लेटों से बना है. 

इसकी लंबाई 36 फीट है, वजन 55 टन (121,254 पाउंड) है और इसे तीन सदस्यीय दल द्वारा संचालित किया जाता है- एक कमांडर, एक गनर और एक ड्राइवर.K2 टैंक 1,500 हॉर्सपावर के इंजन और छह-स्पीड ट्रांसमिशन से लैस है, जो 43 मील प्रति घंटे की रफ्तार और 280 मील की रेंज तक पहुंचने में सक्षम है. ह दुनिया के सबसे उन्नत मुख्य युद्धक टैंकों (MBT) में से एक होने के साथ-साथ सबसे महंगा भी है, जिसकी कीमत लगभग 85 लाख डॉलर प्रति यूनिट है.

4. इजरायल का मर्कवा मार्क IV टैंक 

इस टैंक को 2004 में इजरायली सेना में शामिल किया गया था. इसे दुनिया के सबसे बेहतर सुरक्षित टैंकों में से एक माना जाता है. MARK-4 टैंक में 120 एमएम की स्मूथबोर गन लगी हुई है, जो हीट और सैबोट राउंड के साथ-साथ LAHAT एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें फायर कर सकती है. इसका फ्रंट-माउंटेड इंजन चालक दल को लिए शक्तिशाली सुरक्षा कवच प्रदान करता है. टैंक की छत पर दो 7.62 मिमी मशीनगन लगी हैं, एक कमांडर के लिए और एक लोडर के लिए, साथ ही एक तीसरी मशीनगन मुख्य बंदूक के समानांतर लगी है. इसमें खाइयों में छिपी पैदल सेना की टैंक-रोधी टीमों को दबाने के लिए 60 मिमी का मोर्टार भी लगा है. टैंक के पिछले हिस्से में लगे क्लैमशेल दरवाजे एक छोटी पैदल सेना की टुकड़ी के लिए खुलते हैं, जो गाजा और लेबनान जैसे युद्ध में आईडीएफ के लिए कारगर साबित हुई.

5. रूस का टी-14 आर्मटा टैंक 

दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक रूस का यह टैंक जबरदस्त मार करता है. यह टैंक 125 एमएम की 2A82-1M स्मूथबोर गन से लैस है, जो इसे बेहद ताकतवर बना देती है. इसमें लगा ऑटोमेटिक गोला लोडिंग सिस्टम इसे लगातार हमला करने की क्षमता देता है. इस टैंक में A-85-3A टर्बोचार्ज्ड डीजल इंजन लगा है, जिसकी मदद से यह 90 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ता है.

रूस ने भारत को T-14 आर्मटा टैंक ऑफर किया है. रूस ने सिर्फ इस टैंक के सप्लाई का प्रस्ताव नहीं रखा, बल्कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में ही प्रोडक्शन की पेशकश की थी. यह टैंक मानवरहित ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम है. इसमें 1500 HP इंजन है, जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों और रेगिस्तान दोनों में कारगर है. यह डिजिटल बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर क्षमता से लैस है. सैनिकों की सुरक्षा के लिए इसका क्रू कैप्सूल आर्मर से घिरा हुआ है. रूस का दावा है कि यह टैंक भविष्य के युद्धक्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है.



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