Silver Price Record High: साल 2025 में अगर किसी एक चीज ने सबसे ज्यादा लोगों को चौंकाया तो वो है चांदी के रिकॉर्ड तोड़ कीमतों ने. अब तक लोग शादी-ब्याह, पूजा या गिफ्ट तक चांदी को सीमित मानते थे. हालात ऐसे हैं कि मिडिल क्लास के लिए यह साल कीमती धातुओं के मामले में किसी झटके से कम नहीं रहा.
सिर्फ 20 दिनों के भीतर करीब 70 हजार रुपये की तेजी देखने को मिली. भले ही बीच में हल्की गिरावट आई हो, लेकिन पूरे साल का ट्रेंड साफ बताता है कि चांदी अब “सस्ती धातु” नहीं रही. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि चांदी के दाम इस कदर उछल गए? इसका जवाब सिर्फ बाजार में नहीं बल्कि ग्लोबल पॉलिटिक्स और टेक्नोलॉजी की दुनिया में छिपा है.
विभिन्न इंडस्ट्री में होता है चांदी का इस्तेमाल
चांदी का इस्तेमाल अलग-अलग इंटस्ट्री में होने लगा है. यह सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक गाड़ियां, मोबाइल फोन, सेमीकंडक्टर, AI चिप्स और यहां तक कि डिफेंस टेक्नोलॉजी की रीढ़ है. एक सोलर पैनल में औसतन 15–20 ग्राम चांदी लगती है, जबकि एक इलेक्ट्रिक गाड़ी में 25 से 50 ग्राम तक चांदी इस्तेमाल होती है. अगर दुनिया को ग्रीन और स्मार्ट बनना है, तो चांदी की मांग अपने आप बढ़ेगी.
चीन एक्सपोर्ट पर सख्त
2025 के अंत में चीन ने ऐलान किया कि वह चांदी के एक्सपोर्ट पर सख्त नियंत्रण लगाएगा. यानी अब कोई भी कंपनी मनमर्जी से चांदी बाहर नहीं भेज सकेगी. ध्यान देने वाली बात यह है कि चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है.
जैसे चावल बेचने से बेहतर है बिरयानी बेचो. वही मॉडल अब चांदी पर लागू हो रहा है. इसी वजह से सप्लाई घट रही है, मांग लगातार बढ़ रही है और निवेशक घबराकर खरीदारी कर रहे हैं.
चांदी क्या नया सोना बन जाएगी?
चांदी की आसमान छूती कीमतों के बीच अब बड़ा सवाल यही है, क्या चांदी नया सोना बन चुकी है? क्या आम आदमी इसे कभी सस्ते में खरीद पाएगा? या फिर ये खेल सिर्फ बड़े देशों और बड़े निवेशकों के लिए रह जाएगा? फिलहाल सच्चाई यही है कि चांदी अब सिर्फ एक धातु नहीं रही ये अब जियोपॉलिटिक्स का हथियार बन चुकी है.
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