Sunday, December 28, 2025
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स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट की शुरुआत में देरी क्यों? दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताई सारी बात


Starlink Satellite Internet:- India TV Hindi
Image Source : STARLINK
स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट

Starlink Satellite Internet: केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि एलन मस्क की स्टारलिंक सहित प्रमुख कंपनियां सुरक्षा एजेंसियों द्वारा निर्धारित आवश्यकताओं का पालन करने के बाद भारत में उपग्रह संचार सेवाएं शुरू की जाएंगी। हाल ही में एक इंटरव्यू में मंत्री ने कहा कि दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा स्पेक्ट्रम की कीमत तय होने के बाद सरकार जल्द ही स्टारलिंक, यूटेलसैट वनवेब और जियो एसजीएस जैसे उपग्रह संचार प्रदाताओं को स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए तैयार होगी।

सुरक्षा और स्पेक्ट्रम आवंटन

दूरसंचार मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह योजना दो मुख्य कारकों पर निर्भर करती है सुरक्षा अनुपालन और मूल्य निर्धारण। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि दो मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। पहला कि लाइसेंस धारकों वनवेब, रिलायंस जियो और स्टारलिंक को अंतरराष्ट्रीय गेटवे से संबंधित सुरक्षा मंजूरी का अनुपालन करना होगा, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि डेटा भारत में ही रहे। 

सरकार ने इन कंपनियों को पहले ही अस्थायी स्पेक्ट्रम जारी कर दिया है, जिससे उन्हें सुरक्षा एजेंसियों को अपनी अनुपालन क्षमता प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। सिंधिया ने कहा, “वे इस प्रक्रिया में हैं, इसलिए उन्हें अनुपालन करना होगा।” वित्तीय पहलू के संबंध में, दूरसंचार विभाग और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) वर्तमान में स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण को अंतिम रूप दे रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “उम्मीद है कि यह जल्द ही सुलझ जाएगा।” इन कारणों को जैसे ही सुलझा लिया जाएगा, मंजूरी देने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ने में कोई परेशानी नहीं है।

नियामक संबंधी चर्चाएं

सैटकॉम स्पेक्ट्रम को लेकर TRAI और DoT के बीच फिलहाल कई विवाद चल रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में ही TRAI ने DoT के कई सुझावों को खारिज कर दिया, जिनमें वार्षिक स्पेक्ट्रम शुल्क को 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव और शहरी क्षेत्रों में प्रति कनेक्शन 500 रुपये का शुल्क हटाने का प्रस्ताव शामिल था।

DoT द्वारा इस क्षेत्र की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, डिजिटल संचार आयोग (DCC) के समक्ष अपना पक्ष रखने की उम्मीद है। इसके बाद DCC स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के लिए आगे के कदम तय करेगा, जिसके लिए अंततः कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत हो सकती है।

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