कभी सिगरेट को सबसे बड़ा साइलेंट किलर माना जाता था, लेकिन अब डॉक्टर एक नई और उतनी ही खतरनाक आदत नींद की लगातार कमी की ओर इशारा कर रहे हैं.दरअसल मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रॉनिक स्लीप डेप्रिवेशन यानी लंबे समय तक पूरी नींद न लेना आज के समय में स्मोकिंग जितना ही खतरनाक बनता जा रहा है.इसका असर तुरंत नजर नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे यह शरीर के लगभग हर सिस्टम को नुकसान पहुंचता है.
वहीं आज की तेज रफ्तार जिंदगी में देर रात तक जागना, जल्दी उठना, घंटों स्क्रीन देखना और नींद को मैनेज कर लेने की सोच आम हो चुकी है.वहीं कई लोग यह मानते हैं कि 5 घंटे की नींद उनके लिए काफी है, लेकिन डॉक्टर इसे खतरनाक भ्रम बताते हैं. नींद सिर्फ आराम नहीं बल्कि शरीर की रिपेयर और रिकवरी की एक्टिव प्रक्रिया है, जब इसे लगातार कम किया जाता है तो शरीर के अंदर नुकसान जमा होने लगता है.जिससे हार्ट, इम्यूनिटी और दिमागी हेल्थ प्रभावित होती है.
साइलेंट तरीके से शरीर को कैसे नुकसान पहुंचा रही नींद की कमी?
एक्सपर्ट्स के अनुसार आज नींद की कमी वहीं भूमिका निभा रही है जो कुछ दशक पहले स्मोकिंग निभाती थी. खराब नींद से शरीर में सूजन बढ़ती है और नेचुरल रिपेयर सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है. शुरुआती दौर में इसके साफ लक्षण नहीं दिखते, लेकिन समय के साथ यह गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है. भले ही व्यक्ति सही खान-पान खाता हो या एक्सरसाइज करता हो.वहीं एक्सपर्ट्स यह भी बताते हैं कि नींद की कमी का सबसे पहले असर दिल पर पड़ता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, सूजन बढ़ती है और हार्ट डिजीज व स्ट्रोक का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है. इसके साथ ही मेटाबॉलिज्म भी बिगड़ने लगता है. वहीं नींद पूरी न होने पर भूख ज्यादा लगती है, मीठे और जंक फूड की क्रेविंग बढ़ती है और इन्सुलिन सेंसिटिविटी कम हो जाती है. इससे मोटापा, टाइप टू डायबिटीज और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर का खतरा बढ़ता है.
इम्यूनिटी और दिमाग के लिए कितनी जरूरी नींद?
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि नींद के दौरान ही इम्यून सिस्टम खुद को मजबूत करता है. वहीं नींद पूरी न होने पर शरीर जल्दी बीमार पड़ता है और रिकवरी में भी ज्यादा समय लगता है. दिमाग के लिए भी नींद बहुत जरूरी है, यह टॉक्सिंस को साफ करने और इमोशंस को बैलेंस करने में मदद करती है. लंबे समय तक नींद की कमी से एंग्जायटी, डिप्रेशन, याददाश्त कमजोर होना, ज्ञान की कमी और ब्रेन फॉग जैसी समस्याएं बढ़ सकती है.इसके अलावा डॉक्टर भी साफ तौर पर कहते हैं कि नींद कोई ऑप्शन नहीं है, ज्यादातर वयस्कों को रोजाना 7 से 9 घंटे की नींद चाहिए. टीनएजर्स के लिए यह जरूरत 8 से 10 घंटे की होती है, जबकि बुजुर्गों को भी कम से कम 7 घंटे सोना जरूरी है. वहीं डॉक्टर यह भी कहते हैं कि मान लेना कि शरीर कम नींद का आदी हो गया है, पूरी तरह गलत है. असल में शरीर स्लिप डेट जमा करता रहता है, जो अंदर ही अंदर नुकसान करता है.
क्या है नींद की कमी के शुरुआती संकेत?
नींद की कमी अक्सर छोटे-छोटे संकेतों के रूप में सामने आती है. जिन्हें लोग नजरअंदाज कर देते हैं. जैसे हर वक्त थकान महसूस होना, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स, फोकस की कमी, बार-बार सिर दर्द, ज्यादा कैफीन पर निर्भरता, कम मोटिवेशन और अनहेल्दी खाने की ज्यादा इच्छा.डॉक्टर कहते हैं कि अगर आपको अलार्म, कॉफी या वीकेंड पर कैच अप स्लिप की जरूरत पड़ रही है, तो यह संकेत है कि शरीर पहले ही संघर्ष कर रहा है. वहीं डॉक्टर यह भी बताते हैं कि नींद कोई लग्जरी नहीं बल्कि सेहत की बुनियाद है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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