Sunday, December 28, 2025
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60 हजार करोड़ में बिक जाएगा यह सरकारी बैंक, क्या आपका भी है इसमें अकाउंट?



IDBI Bank: सरकार IDBI बैंक लिमिटेड में 7.1 बिलियन डॉलर की अपनी हिस्सेदारी जो कि 60.72 परसेंट के बराबर है को बेचने की प्रक्रिया में एक कदम और आगे बढ़ चुकी है. अब जल्द ही इसके लिए बोली लगाने का इंतजाम किया जा सकता है. यह पहले से मुश्किल में फंसे इस बैंक को प्राइवेट करने और डाइवेस्टमेंट की कोशिश को तेज करने की लंबे समय से चली आ रही कोशिशों में एक अहम कदम है.

मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, इसके लिए संभावित खरीदारों के साथ बातचीत एडवांस्ड स्टेज पर है. यह भी बताया जा रहा है बोली लगाने की प्रक्रिया इसी महीने से शुरू की जा सकती है. अगर सब कुछ ठीक रहता है तो दशकों बाद किसी सरकारी बैंक का प्राइवेटाइजेशन होगा. 

हाल के सालों में सुधरी बैंक की हालत

सरकार का लक्ष्य मुंबई बेस्ड इस बैंक में 60.72 परसेंट की अपनी हिस्सेदारी को बेचना है, जो IDBI बैंक के करेंट मार्केट प्राइस के हिसाब से लगभग 7.1 बिलियन डॉलर है. भारी कर्ज के बोझ तले दबा यह बैंक हाल के सालों में क्लीनअप से उभरा है. कैपिटल सपोर्ट और तेजी से रिकवरी से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स में तेजी से कटौती करने में मदद मिलने के बाद  बैंक मुनाफे में लौटा.

कब तक हो जाएगा प्राइवेटाइजेशन? 

चूंकि बैंक आज मुनाफे में है, बकाए कर्ज की वापसी हो रही है और बैलेंस शीट की भी हालत पहले से सुधरी है इसलिए सरकार अब निजी हाथों में देने के लिए तैयार है, लेकिन रेगुलेटरी अप्रूवल मिलने में देरी जैसी कई और दिक्कतों की वजह से  सरकार सेल पूरी करने की पिछली डेडलाइन चूक गई. सरकार का कहना है कि प्राइवेटाइजेशन मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा.

बोली लगाने की दौड़ में कौन-कौन शामिल? 

शॉर्टलिस्ट किए गए बिडर्स अभी ड्यू डिलिजेंस यानी कि बैंक की बारीकी से जांच कर रहे हैं. बैंक को खरीदने में कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, एमिरेट्स NBD PJSC और फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड ने इंटरेस्ट दिखाया था.  केंद्र सरकार और सरकारी कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्प ऑफ इंडिया की कुल मिलाकर IDBI बैंक में लगभग 95 परसेंट हिस्सेदारी है. सरकार बैंक में अपनी 30.48 परसेंट हिस्सेदारी बेचेगी, जबकि LIC मैनेजमेंट कंट्रोल के ट्रांसफर के साथ 30.24 परसेंट हिस्सेदारी बेचेगी.

ग्राहकों पर क्या होगा असर? 

बैंक के बिकने के बाद प्राइवेटाइजेशन में इसके मूव करने से बेशक कुछ बदलाव होंगे, लेकिन इसका असर बैंक खाताधारकों पर नहीं पड़ेगा. बैंक अकाउंट, लोन की रकम सब जस का तस पहले की तरह चलता रहेगा, बल्कि प्राइवेटाइजेशन के बाद ग्राहकों को और बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं. कुछ छोटे-मोटे बदलाव करने पड़ सकते हैं जैसे कि लॉगिन आईडी बदल सकता है या चेकबुक या पासबुक में बदलाव हो सकते हैं. इसका असर आने वाले समय में बैंक के शेयरों पर भी देखने को मिल सकता है.

 

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