अगर आप भी IPS बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह खबर आपके काम की है. भारतीय पुलिस सेवा यानी IPS देश की सबसे जिम्मेदार और प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक है. हर साल लाखों युवा UPSC परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन IPS की कुर्सी सिर्फ उन्हीं को मिलती है जो पूरी तैयारी के साथ आते हैं.
IPS अधिकारी की ताकत और जिम्मेदारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किसी जिले में एसपी यानी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस वही होता है. कानून-व्यवस्था से जुड़ा उनका हर फैसला पूरे जिले को प्रभावित करता है.
कब हुई थी शुरुआत?
दिलचस्प बात यह है कि IPS सेवा की शुरुआत आजादी के बाद नहीं, बल्कि ब्रिटिश दौर में हुई थी. तब इसे इंपीरियल पुलिस कहा जाता था और 1948 में इसका नाम बदलकर Indian Police Service कर दिया गया. आज IPS, IAS की तरह देश की ऑल इंडिया सर्विस का हिस्सा है.
जरूरी योग्यता
IPS बनने के लिए कुछ बुनियादी योग्यता जरूरी है. उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए, उम्र 21 से 32 साल के बीच होनी चाहिए, ग्रेजुएशन पास होना जरूरी है और UPSC के नियमों के अनुसार प्रयासों की सीमा लागू होती है. शारीरिक फिटनेस भी इस सर्विस का अहम हिस्सा है—पुरुष उम्मीदवारों की न्यूनतम लंबाई 165 सेमी और महिला उम्मीदवारों की 150 सेमी तय है.
देनी पड़ती है ये परीक्षा
IPS बनने का रास्ता UPSC की सिविल सेवा परीक्षा से होकर गुजरता है. फॉर्म भरते समय उम्मीदवार IAS और IPS में अपनी पसंद बताते हैं. रैंक और वरीयता के आधार पर सर्विस अलॉट की जाती है. चयन के बाद पहले IAS और IPS दोनों को तीन महीने की संयुक्त ट्रेनिंग मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री अकादमी में मिलती है. इसके बाद IPS अधिकारियों की सख़्त ट्रेनिंग हैदराबाद की सरदार वल्लभभाई पटेल पुलिस अकादमी में लगभग एक साल तक चलती है.
कहां होती है तैनाती
करियर ग्रोथ भी IPS की सबसे बड़ी ताकत है. राज्य में IPS अधिकारी DGP तक पहुंच सकता है, जबकि केंद्र में CBI, IB और RAW के प्रमुख भी IPS अधिकारी ही बनते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जैसी अहम पोस्ट भी IPS के लिए खुली रहती है.
सैलरी कितनी?
वेतन की बात करें तो IPS अधिकारी को 7वें वेतन आयोग के अनुसार 56,100 रुपये से 2,25,000 रुपये तक सैलरी मिलती है. रैंक बढ़ने पर वेतन, सुविधाएं और ताकत तीनों बढ़ते जाते हैं. सरकारी घर, गाड़ी, सुरक्षा, स्टाफ और कई अन्य लाभ भी मिलते हैं.
पहली पोस्टिंग
IPS अधिकारी की पहली पोस्ट आमतौर पर DSP के रूप में होती है. शुरुआत से ही अधिकारी पर जिले की कानून-व्यवस्था की बड़ी जिम्मेदारी होती है. दंगे नियंत्रण से लेकर बड़े अपराधों की जांच तक सब कुछ IPS अधिकारी की निगरानी में होता है. ड्रेस कोड की बात करें तो IPS की खाकी वर्दी देश भर में सम्मान और अधिकार दोनों की पहचान मानी जाती है. वहीं कुछ श्रेणियों को ऊंचाई में 5 सेमी की छूट दी जाती है.
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