Tuesday, November 25, 2025
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आपका बैंक पहले ही एआई का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन आगे जो होगा वो पूरी तरह से नया होगा



 दुनिया की पहली “ऑटोमेटेड टेलर मशीन” या “एटीएम” को नॉर्थ लंदन में बार्कलेज बैंक की एक ब्रांच में जून 1967 में एक बड़े समारोह में शुरू किया गया था. वह पहला सिस्टम आज के सिस्टम से थोड़ा अलग दिखता था, जिसे हम जानते और इस्तेमाल करते हैं. लेकिन लगभग छह दशक बाद, ऐसी दुनिया की कल्पना करना मुश्किल है, जहां लोग सिर्फ़ बैंकिंग घंटों के दौरान ही नकदी निकाल सकें. अब, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया भर में, बैंक इस बात पर बड़ा दांव लगा रहे हैं कि एक नए तरह का ऑटोमेशन उनके बिज़नेस मॉडल को बदल देगा और वह है : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई).

सोमवार को, बेंडिगो बैंक ने बताया कि उसने गूगल के साथ कई साल का समझौता किया है. इसके तहत वह टेक कंपनी के जेमिनी एंटरप्राइज एआई प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कई कामों में मदद के लिए करेगा, जिसमें लोन एप्लीकेशन की जांच करना और धोखाधड़ी का पता लगाना शामिल है. यह अगस्त में घोषित कॉमनवेल्थ बैंक और ओपनएआई के बीच एक बड़े करार के बाद हुआ है, जिसका मकसद “ग्राहकों और कर्मचारियों के लिए एडवांस्ड एआई लाना” है.

एआई से बदलाव का आहट

बैंकिंग का भविष्य क्या है – और खतरों से निपटने की ज़िम्मेदारी किसकी है?  कुछ बड़े बदलाव पहले ही हो चुके हैं अभी, एआई बैंकों और कर्मचारियों की फ़ैसले लेने में मदद कर रहा है. यह धोखाधड़ी और घोटालों की जांच कर रहा है, क्रेडिट स्कोर का पता लगा रहा है, ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट एक्टिविटी में मदद कर रहा है, और रोज़ाना के समय लेने वाले कामों को संभाल रहा है. इस काम में सबसे आगे सिर्फ़ ऑस्ट्रेलियाई बैंक ही नहीं हैं.

उदाहरण के लिए, अमेरिकी निवेश बैंक जेपी मॉर्गन ने अपना खुद का एआई प्लेटफ़ॉर्म, एलएलएम सुइट बनाया है, जिसे कथित तौर पर इसकी सभी बिज़नेस लाइन में लागू किया गया है ताकि स्टाफ़ को कई तरह के कामों में मदद मिल सके. आगे क्या होने वाला है? लेकिन एआई अपनाने की अगली लहर पूरी तरह से अलग हो सकती है. इंसानों को तेज़ी से काम करने में मदद करने की बजाय, टेक्नोलॉजी पर खुद से फ़ैसले लेने और एक्शन लेने के लिए भरोसा किया जा सकता है. इसे “एजेंटिक एआई” कहा जाता है. हालांकि अभी तक कुछ बैंकों – जैसे कि बैंक ऑफ़ न्यूयॉर्क मेलन – ने ही इसका टेस्ट किया है, लेकिन शुरुआती नतीजे अच्छे हैं.

एआई को कंट्रोल देने से बढ़ सकती है प्रोडक्टिविटी

कंसल्टिंग फर्म मैकिन्जी की हालिया रिसर्च में एक बड़े ग्लोबल बैंक की केस स्टडी का ब्योरा दिया गया, जिसने नए कस्टमर एप्लीकेशन को शुरू से आखिर तक संभालने के लिए एआई एजेंट्स की दस “टीमे” बनाईं. इन एआई एजेंट्स ने सरकारी रजिस्ट्री की जांच कीं, पहचान की पड़ताल की, पाबंदियों की जांच की और रिपोर्ट तैयार की. इंसानों ने सिर्फ़ कुछ ही मामलों में ही मदद की.उत्पादकता में बढ़ोतरी?  मैकिन्जी के अनुसार, बेसिक एआई ऑटोमेशन से टीम 15-20 फीसदी तेज़ हो सकती है, लेकिन एआई को पूरा नियंत्रण सौंपने से उत्पादकता 200 फीसदी से 2,000 फीसदी तक बढ़ सकती है.

मुश्किल सबक ऑस्ट्रेलियाई बैंक इस भविष्य पर बहुत ज़्यादा दांव लगा रहे हैं. लेकिन वे इंसानी कीमत के बारे में मुश्किल सबक भी सीख रहे हैं. जुलाई में, कॉमनवेल्थ बैंक के 45 कॉल सेंटर कर्मचारियों को बताया गया कि एआई चैटबॉट आने के बाद उनकी नौकरी चली गई है. बैंकिंग के भविष्य के लिए इन सबका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि आने वाले समय में एआई सिस्टम पूरी बैंकिंग प्रणाली को खुद ही चला सकेंगे. सोचिए कि आप रात के 2 बजे ऋण के लिए आवेदन करें और पांच मिनट बाद मंजूरी मिल जाए, और एआई हर एक कदम पर इस मामले को संभाले. खतरों से कैसे निपटेंगे?

जनता उम्मीद करती है कि बैंक सही, समझने लायक और सुरक्षित एआई सिस्टम लगाएंगे. लेकिन टेक्नोलॉजी इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है कि नियामक भी उसके साथ चलने के लिए जूझ रहे हैं.एल्गोरिदमिक पूर्वाग्रहों को लेकर खास चिंता है. अगर एआई पुराने भेदभाव को दिखाने वाले पुराने डेटा से सीखता है, तो यह लोन देने के गलत तरीकों को बनाए रख सकता है या बढ़ा भी सकता है.  

एआई से हुई किसी भी गलती के लिए बैंक खुद ज़िम्मेदार हैं. जवाबदेही एल्गोरिदम को आउटसोर्स नहीं की जा सकती. हालांकि, हो सकता है कि ग्राहक को उन गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़े. एआई बैंकिंग को पूरी तरह से बदलने वाला है, चाहे हम इसके लिए तैयार हों या नहीं. इसका मतलब हो सकता है कि बैंकिंग सस्ती, तेज़ और ज़्यादा निजीकृत हो.लेकिन इससे नौकरियों को भी खतरा है, निजता की चिंताएँ बढ़ती हैं और बहुत ज़्यादा शक्ति ऐसे एल्गोरिदम में जमा हो जाती है, जिन्हें हममें से ज़्यादातर लोग नहीं समझते. 

ये भी पढ़ें: एआई से सबसे ज्यादा कौन से सेक्टर में जाएगा लोगों की नौकरी? जानें क्या कहती है रिपोर्ट्स



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