
अगर आप अपनी पहली नौकरी की तलाश में हैं, इंटर्नशिप कर रहे हैं या जल्द ही किसी कंपनी में कदम रखने वाले हैं, तो भारत सरकार के नए लेबर कोड आपके लिए बड़ा बदलाव लेकर आए हैं। 21 नवंबर 2025 से देशभर में 29 पुराने श्रम कानूनों की जगह चार नए लेबर कोड लागू हो गए हैं। इन्हें युवाओं की कमाई, सुरक्षा और रोजगार संबंधी अधिकारों को मजबूती देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
न्यूनतम वेतन का कानूनी अधिकार
पहले न्यूनतम वेतन सिर्फ शेड्यूल्ड एम्प्लॉयमेंट में काम करने वालों को मिलता था। लेकिन वेतन संहिता, 2019 ने इसे बदल दिया है। अब हर वर्कर चाहे संगठित क्षेत्र में हो या असंगठित कानूनी रूप से न्यूनतम वेतन पाने का हकदार होगा। इसका मतलब यह है कि कंपनियां इंटर्नशिप और एंट्री-लेवल जॉब में भी मनमानी पेमेंट नहीं दे पाएंगी।
हर वर्कर को अनिवार्य अपॉइंटमेंट लेटर
कई युवाओं की पहली नौकरी बिना किसी लिखित प्रमाण के शुरू होती है, जिससे न तो काम का रिकॉर्ड बनता है और न ही भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में सबूत मिलता है। नए लेबर कोड के तहत हर कर्मचारी को अपॉइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य है। यानी आपकी पहली नौकरी अब पूरी तरह डॉक्यूमेंटेड होगी।
लिव पर भी मिलेगी सैलरी
पहले कई कंपनियां इंटर्न या फ्रेशर्स को छुट्टी के दिनों में वेतन नहीं देती थीं। लेकिन नए नियमों में पेड लीव को अनिवार्य किया गया है। इसका उद्देश्य युवाओं और शुरुआती कर्मचारियों के आर्थिक शोषण पर रोक लगाना है।
नेशनल फ्लोर वेज
केंद्र सरकार ने एक नेशनल फ्लोर वेज तय किया है, जिसके नीचे कोई भी राज्य न्यूनतम वेतन नहीं रख सकता। इससे पूरे देश में न्यूनतम कमाई का एक समान स्तर सुनिश्चित होगा और युवाओं को किसी भी राज्य में काम करने पर बेसिक इनकम की गारंटी मिलेगी।
समय पर सैलरी देना अब कानूनी जिम्मेदारी
सैलरी लेट मिलना अब नॉर्म नहीं रहेगा। कोड के तहत हर नियोक्ता पर समय पर वेतन देने की कानूनी जिम्मेदारी तय की गई है, जिससे युवाओं को महीने भर की आर्थिक टेंशन से राहत मिलेगी।


