
गूगल के एआई अपडेट्स
Google Safety Tools: गूगल ने आज कई भारत-केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सेफ्टी अपडेट्स की घोषणा की। इस तकनीकी दिग्गज ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान ये घोषणाएं कीं। भारतीय यूजर्स के लिए आने वाली नई पहलों और सुविधाओं में वित्तीय ऐप्स के लिए सेफ्टी, एसएमएस ओटीपी फ्लो की जगह लेने वाली नई सुरक्षा तकनीक और SynthID AI वॉटरमार्किंग डिटेक्शन टूल तक एक्सटेंडेड एक्सेस बढ़ाना शामिल हैं। कंपनी ने कहा कि ये नए अपडेट न केवल एआई को उपयोग में सुरक्षित बनाएंगे बल्कि लोगों को इसके गलत उपयोग से खुद को बचाने के लिए टूल्स भी मुहैया कराएंगे।
Google भारत में नए AI सेफ्टी टूल्स ला रहा है
एक ब्लॉग पोस्ट में इस टेक जाएंट ने भारत में लाए जा रहे नए अपडेट और पहल के बारे में विस्तार से बताया ताकि कमजोर ग्राहकों को ऑनलाइन नुकसान से बचाया जा सके। गूगल ने कहा कि इस कदम से एंटरप्राइजेज और AI मॉडल के लिए मजबूत कॉन्फिडेंशियल और साइबर सुरक्षा टूल्स तैयार किए जा सकेंगे जो रीप्रेजेंटेटिव, न्यायसंगत और समावेशी होंगे। कंपनी के मुताबिक ये सुविधाएं भारत के AI इम्पैक्ट समिट से पहले पेश की जा रही हैं जो 19-20 फरवरी, 2026 के बीच आयोजित होने वाला है।
वित्तीय सुरक्षा के मोर्चे पर काम आएंगे ये टूल
गूगल भारत में एक नए स्क्रीन-शेयरिंग स्कैम अलर्ट फीचर का परीक्षण करने के लिए अपने गूगल पे डिपार्टमेंट और वित्तीय ऐप्स Navi और Paytm के साथ पार्टनरशिप कर रहा है। यह सुविधा किसी अनजान कॉन्टेक्ट के साथ कॉल पर स्क्रीन शेयर करते समय यूजर्स को इनमें से किसी एक ऐप को खोलने पर अलर्ट दिखाएगी। ये फैसिलिटी Android 11 और उसके बाद के वर्जन पर उपलब्ध होगी। यानी अगर आप कॉल के दौरान अनजाने कॉन्टेक्ट के साथ इन ऐप में किसी एप का स्क्रीन शेयर कर रहे हैं तो ये आपको अलर्ट करेगा।
Enhanced Phone Number Verification (ePNV)
ePNV के जरिए कंपनी एक नई एंड्रॉइड बेस्ड सेफ्टी सिस्टम पर काम कर रही है जो मौजूदा ओटीपी सिस्टम की जगह ले सकती है। कंपनी के मुताबिक यह सिस्टम ज्यादा सिक्योर है और सहमति बेस्ड भी है जिससे सिम बेस्ड चेक के जरिए ये ओटीपी से जुड़े संभावित रिस्क को कम कर सकता है।
SynthID AI का एक्सपेंशन
SynthID AI के एक्सपेंशन के जरिए एआई से बनाई गई सामग्री की पहचान करने से लेकर इसके गलत इस्तेमाल को रोकने पर तकनीक काम करेगी। ये गूगल की प्रोपाइटरी एआई वॉटरमार्किंग और डिटेक्शन टेक्नोलॉजी है जो कई एकेडमिक इंस्टीट्यूट्स से लेकर रिसर्चर्स और मीडिया पब्लिकेशन तक पहुंचाई जा रही है।
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