पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में थॉयराइड कैंसर के मामलों में लगातार तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. यह कैंसर एक्सपर्ट्स के लिए चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि एक और तकनीकी और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही है. वहीं दूसरी ओर इस बीमारी की दर तेजी से ऊपर जा रही है. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि दुनिया में तेजी से थॉयराइड कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और क्या थॉयराइड कैंसर एक लाइलाज बीमारी है.
क्यों बढ़ रहे हैं थॉयराइड कैंसर के मामले?
कई एक्सपर्ट्स बताते हैं कि थॉयराइड कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण संवेदनशील डायग्नोस्टिक टेक्निक है. दरअसल एक्सपर्ट्स के अनुसार आज छोटी से छोटी गांठ या शुरुआती अवस्था के कैंसर भी अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी जांचों से पकड़ में आ जाते हैं. इससे ऐसे छोटे कैंसर भी सामने आ रहे हैं जिनके बारे में पहले कभी पता नहीं चल पाता था. हालांकि कई एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि यह सिर्फ दिखावटी बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि इसके मामले सच में बढ़ रहे हैं. इसका संकेत इस बात से मिलता है कि न सिर्फ छोटे बल्कि बड़े आकार की ट्यूमर भी बढ़ रहे हैं. साथ ही जेंडर डिफरेंस, बर्थ कोहोर्ट इफेक्ट्स और कई देश में मौतों की हल्की बढ़ोतरी इस और इशारा करती है कि कुछ बाहरी कारक भी थॉयराइड कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
थॉयराइड कैंसर के संभावित कारण
कई स्टडीज के अनुसार एनवायरमेंट में मौजूद कुछ कार्सिनोजेंस यानी कैंसर पैदा करने वाले कारक थॉयराइड पर विशेष रूप से प्रभाव डाल सकते हैं. इनमें सबसे बड़ा खतरा मेडिकल रेडिएशन में बढ़ोतरी खासकर सीटी स्कैन और अन्य रेडिएशन से आधारित जांचों का उपयोग माना जाता है. इसके अलावा कुछ अन्य कारक जैसे आयोडीन का बढ़ा सेवन और ऑटोइम्यून थायरॉयडिटिस डिजीज के मामलों में वृद्धि भी माना जाता है.
क्या थॉयराइड कैंसर लाइलाज है?
डॉक्टरों के अनुसार थॉयराइड कैंसर का एक बड़ा हिस्सा धीमी गति से बढ़ने वाला होता है और सही समय पर सही इलाज मिले तो यह पूरी तरह ठीक हो सकता है. वहीं एक्सपर्ट्स बताते हैं कि थॉयराइड कैंसर का मुख्य इलाज सर्जरी है. इसमें या तो पूरा थॉयराइड निकाला जाता है जिसे थायरॉयडेक्टॉमी कहा जाता है या अगर छोटा ट्यूमर होता है तो आंशिक थॉयराइड हटाया जाता है. वहीं अगर कैंसर गर्दन के लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है तो नेक डी सेक्शन भी किया जाता है. वहीं कुछ मामलों में सर्जरी के अलावा रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और कीमोथेरेपी से भी इलाज किया जाता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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