China 9-9-6 Work Culture: भारत में काम के घंटे और वर्क कल्चर को लेकर 2 साल पहले उस वक्त बहस छिड़ गई, जब इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने भारतीय युवाओं से हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दे दी. एक बार फिर से उन्होंने एक प्राइवेट टेलीविजन चैनल को दिए इंटव्यू में चीन के 9-9-6 मॉडल का हवाला दिया. नारायणमूर्ति ने कहा कि अगर देश आगे बढ़ना चाहता है, चीन जैसे विकसित अर्थव्यवस्था के साथ अपनी तुलना करना चाहता है तो फिर भारतीय युवाओं को काम के घंटे बढ़ाने होंगे.
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि नारायमण मूर्ति चीन के कौन से वर्किंग मॉडल 9-9-6 का उदाहरण देते हुए भारतीय युवाओं से उसे सीखने की नसीहत दे रहे हैं.
क्या है 9-9-6 वर्क मॉडल?
दरअसल, चीन की टेक कंपनियां जिस 9-9-6 मॉडल को अपना रही है, उसमें कर्मचारियों को सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 9 बजे तक और हफ्ते में लगातार छह दिनों तक काम करने के लिए कहा गया है. इससे हफ्ते में काम के 72-घंटे हो जाते हैं. हालांकि, अधिकतर देशों में काम के घंटे 40 से लेकर 48 के बीच है.
चीन में यह वर्क मॉडल उस वक्त काफी चलन में रहा जब टेक कंपनियां अलीबाबा और हुवेई तेजी के साथ आगे बढ़ रही थी. इसके पीछे यह तर्क था कि वर्ल्ड क्लास प्रोडक्टस बनाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहने के लिए काम के लंबे घंटे आवश्यक है. इसके समर्थकों की ये दलील है कि 9-9-6 वर्क मॉडल की बदौलत चीन ने साल 2010 में जबरदस्त ग्रोथ हासिल किया है.
जबकि, आलोचक इसके बिल्कुल विपरीत राय रखते हैं और वे बताते हैं कि इससे लोगों में स्ट्रेस बढ़ा है और लाइफ स्टाइल अनहेल्दी हो गई है.
क्यों हो रही आचोलना?
हालांकि, जब इस वर्क कल्चर के खिलाफ शिकायतें बढ़ीं तो उसके बाद साल 2021 में चीन के सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध करार दिया. हालांकि, रिपोर्ट्स ये बताती है कि अब भी कई कंपनियों में अनौपचारिक तौर पर इस मॉडल पर काम किया जा रहा है.
नायाराण मूर्ति ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि आर्थिक मामले में अभी चीन की तुलना में भारत काफी पीछे है. उन्होंने कहा कि चीन की इकोनॉमी, भारत की तुलना में करीब छह गुणा ज्यादा बड़ी है. ऐसे में सभी वर्गों से एक अनुशासित तरीके से इसमें सहयोग की अपेक्षा की जा रही है.


