Hidden Vitamin B12 Deficiency: कई लोग मान लेते हैं कि अगर उनकी Vitamin B12 की रिपोर्ट नॉर्मल है, तो सेहत भी ठीक ही होगी. लेकिन अपोलो दिल्ली के सर्जन डॉ. अंशुमान कौशल, जो सोशल मीडिया पर The Angry Doc के नाम से जाने जाते हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि नॉर्मल रिपोर्ट हमेशा सच नहीं बताती. बहुत से लोग थकान, पैरों में झनझनाहट, भूलने की आदत और चिड़चिड़ापन जैसी दिक्कतों से जूझते रहते हैं, जबकि उनकी रिपोर्ट बिल्कुल सामान्य लगती है.
फंक्शनल B12 डेफिशिएंसी: जब रिपोर्ट ठीक, पर शरीर में रहती है कमी
डॉ. कौशल ने एक वीडियो में कहा कि “क्या आपने ऐसे लोगों को देखा है जो हमेशा थके रहते हैं, भूलते हैं, डिप्रेस रहते हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट में B12 नॉर्मल आता है? यह फंक्शनल B12 डेफिशियेंसी है.” उन्होंने समझाया कि इसमें खून में B12 मौजूद होता है, लेकिन शरीर की सेल्स उसे इस्तेमाल नहीं कर पातीं. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि “कागज पर B12 लेवल परफेक्ट दिखता है, लेकिन असल में सेल्स के पास कुछ नहीं होता. जैसे बैंक अकाउंट में पैसे हों, पर ATM कार्ड न हो, दिखने में अमीर, महसूस में कंगाल.”
क्यों भरोसेमंद नहीं होते नॉर्मल टेस्ट?
डॉ. कौशल के मुताबिक, ज्यादातर लैब केवल serum B12 मापकर रिपोर्ट दे देती हैं, जबकि असली कमी सेल्स के स्तर पर होती है. उन्होंने कहा, “B12 और फोलेट बैटमैन-रॉबिन की तरह काम करते हैं. DNA रीपेयर से लेकर RBC बनाने और न्यूरॉन बचाने तक दोनों साथ चलते हैं. इनमें से एक भी कमी हो जाए तो दिमाग ‘गॉथम मोड’ में चला जाता है. तनाव, सुन्न हाथ-पैर, झनझनाहट सब मुफ्त में मिलते हैं.”
किन लोगों में ज्यादा खतरा?
डॉ. कौशल बताते हैं कि कुछ ग्रुप्स पहले से ही रिस्क जोन में आते हैं. इनमें metformin या acidity की दवाएं लेने वाले, दूसरे नम्बर पर वीगेन डाइट पर रहने वाले तीसरे नम्बर पर bariatric surgery करा चुके लोग होते हैं. उनका कहना है कि अगर लक्षण बने हुए हैं लेकिन रिपोर्ट नॉर्मल है, तो MMA, homocysteine या active B12 की जांच जरूरी है. उन्होंने कहा कि “कई बार टैबलेट असर नहीं करतीं और इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. समस्या विटामिन की नहीं, ऑब्जर्बेशन की होती है.” फंक्शनल डेफिशियेंसी का मतलब है कि आपकी कोशिकाएं B12 को सही से इस्तेमाल नहीं कर रहीं. नंबरों पर मत जाएं, फंक्शन मायने रखता है. अपने न्यूरॉन्स बचाइए और ऊर्जा के लिए B12 gummies पर भरोसा मत कीजिए. यह बायोकेमिस्ट्री है, बॉलीवुड नहीं.
दूसरे डॉक्टर भी दे चुके हैं चेतावनी
अपोलो के ही न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने भी X पर बताया कि B12 की कमी होने पर थकान, भूलेपन और सुस्ती की शिकायतें आम हैं, और नॉर्मल रिपोर्ट हमेशा पूरी कहानी नहीं बताती. उन्होंने कहा कि खून में मौजूद B12 का बड़ा हिस्सा एक ऐसे प्रोटीन से जुड़ा रहता है, जो विटामिन को सेल तक पहुंचाता ही नहीं. इससे रिपोर्ट में B12 सामान्य दिखता है, लेकिन शरीर को उसका फायदा नहीं मिलता. यही वजह है कि टेस्ट सही आने के बावजूद थकान और ब्रेन फंक्शन से जुड़ी समस्याएं बनी रह सकती हैं.
विटामिन B12 क्या है?
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, B12 एक जरूरी पोषक तत्व है जो नर्व और रेड ब्लड सेल्स को स्वस्थ रखता है और DNA बनाने में मदद करता है. शरीर इसे खुद नहीं बनाता, इसलिए इसे भोजन से लेना पड़ता है जैसे मांस, मछली, अंडे, डेयरी और फोर्टिफाइड फूड. आम तौर पर वयस्कों को रोज लगभग 2.4 माइक्रोग्राम B12 चाहिए होता है, जबकि गर्भवती और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं की जरूरत इससे अधिक होती है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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