बिहार विधानसभा चुनाव में बंपर वोटिंग के बाद शुक्रवार (14 नवंबर, 2025) को मतगणना प्रक्रिया जारी है, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली NDA दो-तिहाई से भी ज्यादा बहुमत के साथ बढ़त हासिल कर शानदार जीत की ओर से बढ़ती दिख रही है. एनडीए ने साल 2010 के चुनाव का अपना 206 सीटों पर जीत का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. रुझानों में एनडीए 208 सीटों पर आगे बढ़ती दिखाई दे रही है. वहीं, इस हाई-प्रोफाइल चुनावी दंगल में बढ़त हासिल करते हुए पार्टी ने विपक्षी गठबंधन और कांग्रेस नेत राहुल गांधी पर तीखा प्रहार किया है. एनडीए की ओर से दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस नेता अब लगातार चुनावी हारों के प्रतीक बन चुके हैं.
भाजपा नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर कसा तंज
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसा. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी! एक और चुनाव, एक और हार! अगर चुनावी हार में निरंतरता के लिए कोई अवॉर्ड होता, तो वे सारे अवॉर्ड जीत जाते. इनकी इस रफ्तार को देखकर तो शायद हार भी यह सोच रही होंगी कि वह उन्हें इतने विश्वास से ढूंढ कैसे लेते हैं.’
सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस को याद दिलाया कबीर का दोहा
वहीं, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर तंज कसने के लिए कबीर दास का एक दोहा पढ़ा और पार्टी से अपील की कि वे नतीजों की पुष्टि के लिए वोटर लिस्ट की जांच कर लें. उन्होंने कहा, ‘150 और 175 सीटें पार करने के बाद अब हम 200 की ओर बढ़ता बना रहे हैं. मैं कांग्रेस को कबीर दास की एक पंक्ति याद दिलाना चाहता हूं कि बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिल्या कोई. जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोई.’
बिहार में चुनाव से पहले बेहद सक्रिय नजर आए थे राहुल गांधी
राहुल गांधी बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले बेहद सक्रिय तौर पर नजर आ रहे थे. उन्होंने बिहार में 16 दिनों की वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी. जिसके तहत उन्होंने बिहार के 23 जिलों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने वोट चोरी का मुद्दा उठाते हुए चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलीभगत से चुनाव में जीत सुनिश्चित करने का आरोप तक लगाया. कांग्रेस और महागठबंधन ने अपने इस अभियान को संविधान बचाने की लड़ाई करार दिया था और राज्य की सरकार को वोट चोर कहा था.
राहुल गांधी बिहार में कांग्रेस और महागठबंधन के प्रमुख प्रचारकों में से एक थे. हालांकि, उनकी राजनीतिक रैलियों और तीखी बयानबाजी का असर वोटों में तब्दील नहीं हो पाया, जिसका नतीजा कांग्रेस और विपक्षी महागठबंधन एक शर्मनाक हार की ओर बढ़ते दिख रहे हैं.
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