वॉशिंगटन डीसी25 मिनट पहले
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की दूसरी सरकार में पाकिस्तान के साथ रिश्ते अचानक सुधर गए हैं। पहले ट्रम्प पाकिस्तान को ‘झूठ और धोखे’ वाला देश कहते थे, लेकिन अब वे पाक आर्मी चीफ को अपना ‘फेवरेट फील्ड मार्शल’ बुलाते हैं।
अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस बदलाव के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। पाकिस्तान ने इस साल अप्रैल और मई के महीनों में वॉशिंगटन की कई लॉबिंग फर्म्स के साथ 5 मिलियन डॉलर (करीब 42 करोड़ रुपए) के कॉन्ट्रैक्ट किए।
पाकिस्तान ने ट्रम्प को अपने पाले में करने के लिए भारत-पाक संघर्ष रोकने का क्रेडिट दिया और नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया। जबकि पीएम मोदी ने क्रेडिट देने से इनकार कर दिया, जिससे ट्रम्प नाराज हो गए।
इसके अलावा, पाकिस्तान ने 500 मिलियन डॉलर का मिनरल एक्सट्रैक्शन डील और अमेरिकी कृषि प्रोडक्ट्स के लिए मार्केट खोला।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर सितंबर में व्हाइट हाउस पहुंचे थे, यहां उन्होंने ट्रम्प को रेयर अर्थ मिनरल्स से भरा ब्रीफकेस दिखाया था।
पाकिस्तान ने ट्रम्प के करीबियों से डील की
पाकिस्तान ने जिन फर्म्स के साथ डील की उनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे जो पहले डोनाल्ड ट्रम्प के करीबी सहयोगी रह चुके हैं, जैसे उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर और बॉडीगार्ड कीथ शिलर।
पाकिस्तान ने 8 अप्रैल को लॉबिंग फर्म ‘सीडेन लॉ LLP’ से कॉन्ट्रैक्ट किया, जिसमें यह वादा किया गया कि पाकिस्तान की व्हाइट हाउस में बाई लेवल पर बैठकों की व्यवस्था कराई जाएगी। इसके बाद 24 अप्रैल को एक और करार हुआ।
कुछ हफ्तों बाद ही पाकिस्तानी सेना आसिम मुनीर ने वॉशिंगटन का दौरा किया जहां उन्होंने खुद राष्ट्रपति ट्रम्प से व्हाइट हाउस में प्राइवेट मुलाकात की।

कीथ शिलर लंबे वक्त तक डोनाल्ड ट्रम्प के बॉडीगार्ड और करीबी सहयोगी रहे हैं। वे अपनी वफादारी और चुप्पी के लिए मशहूर हैं।
पाकिस्तान को फायदा- टैरिफ घटा, रिश्ते सुधरे
रिपोर्ट के मुताबिक, इन लॉबिंग कॉन्ट्रैक्ट्स के बाद ही अमेरिका का रुख पाकिस्तान के लिए नरम पड़ा। अप्रैल में ट्रम्प ने पाकिस्तान पर 29% टैरिफ लगाया था। चार महीने बाद ही इसे घटाकर 19% कर दिया गया, जबकि भारत के लिए यह 50% तक बढ़ा दिया गया।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का अहम साझेदार रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व में भारत-पाक संघर्ष को खत्म करने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने में पाकिस्तान ने सकारात्मक भूमिका निभाई है।
इस मामले पर ईस्ट साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर माइकल कुगेलमैन ने कहा-
ये डॉट्स खुद कनेक्ट हो जाते हैं। लॉबिस्ट टैरिफ पर काम करते हैं, फिर पाकिस्तान का टैरिफ कम हो जाता है। आर्थिक सहयोग पर कॉन्ट्रैक्ट, फिर मिनरल और एनर्जी डील्स। पाक की चालाकी ने कई फैक्टर मिलाकर ये टर्नअराउंड किया।

भारत के लिए मुश्किलें बढ़ीं
भारत ने भी लॉबिंग बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान से तीन गुना कम खर्च किया। भारत ने अप्रैल में ‘SHW पार्टनर्स LLC’ और अगस्त में ‘मर्करी पब्लिक अफेयर्स’ जैसी अमेरिकी फर्मों को हायर किया, जिनसे ट्रम्प के पुराने सलाहकार जुड़े हैं।
इसके बावजूद, ट्रम्प प्रशासन की नीतियां पाकिस्तान के पक्ष में झुकी रहीं, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
लॉबिस्ट कैसे काम करता है समझिए
लॉबिस्ट एक ऐसा इंसान होता है जो सरकारी नीतियों, कानूनों और फैसलों को प्रभावित करता है। यह किसी ग्रुप, बिजनेस और इंसान की तरफ से वकालत करता है। यह सरकारी फैसलों पर असर डालते के लिए डेटा, कम्युनिकेशन और पर्सनल संबंधों का इस्तेमाल करता है।
लॉबिस्ट के काम को ऐसे समझिए कि एक दवाई बनाने वाली कंपनी चाहती है कि सरकार उसकी नई दवा को जल्दी मंजूरी दे दे। अब कंपनी खुद सीधे मंत्री से तो नहीं मिल सकती, इसलिए वह एक लॉबिस्ट को हायर करती है।
ये लॉबिस्ट नेताओं, अधिकारियों से मिलकर कंपनी की बात रखता है, उन्हें समझाता है कि ये दवा जरूरी है, लोगों का भला होगा वगैरह-वगैरह। बदले में कंपनी उसे पैसे देती है।
आसान शब्दों में कहें तो लॉबिस्ट सरकार और प्राइवेट कंपनियों के बीच का पुल है, जो अपने क्लाइंट का फायदा चाहता है।

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