पुणे शहर के मुंढवा क्षेत्र में भूमि खरीद के मामले में स्टांप शुल्क की चोरी सामने आई है. शुल्क विभाग ने इस मामले में मेरी अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो सात दिनों में रिपोर्ट देगी. जिन लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी की है, उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा, ऐसा बयान सह निबंधन महानिरीक्षक राजेंद्र मुंठे ने दिया है.
पुणे जिलाधिकारी की ओर से भी इस संदर्भ में रिपोर्ट सौंपी गई है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भूमि लेन-देन में अनियमितता हुई है. इस कारण उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार की कंपनी के लिए की गई इस जमीन की खरीद में बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है. इस पर अजित पवार ने खुद को मामले से अलग बताया है, जबकि पार्थ पवार कल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी भूमिका स्पष्ट करेंगे.
रिपोर्ट में क्या बातें सामने आई?
रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त दस्तावेज के साथ संलग्न 7/12 उतारे पर भोगवटाधारक का नाम ‘मुंबई सरकार’ दर्ज है और आगे लिखा है कि यह 7/12 रद्द हो चुका है. इससे स्पष्ट होता है कि संपत्ति सरकार के स्वामित्व में थी, और इस दस्तावेज के पंजीकरण से पहले सक्षम प्राधिकरण की अनुमति या NOC आवश्यक थी. लेकिन बिना ऐसे प्रमाणपत्र के पंजीकरण किया गया, जिससे गंभीर अनियमितता हुई है.
इस प्रकरण में तत्कालीन सहायक उप-पंजीयक रवींद्र तारू को निलंबित कर दिया गया है. विभाग ने कहा है कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 2023 की औद्योगिक नीति के अनुसार डेटा सेंटर और आईटी कंपनियों के लिए स्टांप शुल्क में छूट दी गई है. कंपनी ने इस छूट के लिए पत्र दिया था, अब इस पर उद्योग विभाग से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, यह लेन-देन तकनीकी रूप से जटिल है और इसमें झूठे दस्तावेजों का उपयोग किया गया है, इसलिए कंपनी के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है.
स्टांप शुल्क में छूट, लेकिन 6 करोड़ रुपए देय
दस्तावेज में संपत्ति का बाजार मूल्य ₹294.65 करोड़ और सौदे का मूल्य ₹300 करोड़ बताया गया है. महाराष्ट्र स्टांप अधिनियम की धारा 25(ब) के अनुसार 5% स्टांप शुल्क, 1% स्थानीय संस्था कर और 1% मेट्रो कर यानी कुल ₹21 करोड़ का शुल्क देय था. कंपनी ने उद्योग केंद्र, पुणे का लेटर ऑफ इंटेंट और राजस्व विभाग की अधिसूचना दिनांक 01/02/2024 संलग्न की थी.
इसके अनुसार स्टांप शुल्क में छूट लेकर केवल ₹500 के स्टांप पर पंजीकरण किया गया. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही स्टांप शुल्क में छूट मान्य थी, 1% स्थानीय संस्था कर और 1% मेट्रो कर (कुल ₹6 करोड़) की छूट नहीं दी जा सकती थी. इस प्रकार सरकार को लगभग ₹6 करोड़ का नुकसान हुआ है, ऐसा जिलाधिकारी की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है.


